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शाही राजमहल से चुनार किले के दीदार को पहुंचे विदेशी मेहमान

केंद्र सरकार द्वारा गंगा में जल पर्यटन की संभावनाओं को विस्तार देने व विदेशी सैलानियों में चुनार क्षेत्र के पर्यटन के प्रति रुचि विकसित करने के क्रम में बुधवार को शाही सुविधाओं से लैस गंगा पर तैरता पांच सितारा राजमहल 17 सदस्यीय विदेशी सैलानियों को लेकर चुनार पहुंचा। राजमहल जलपोत से विदेशी मेहमानों ने चुनार में बाबू देवकीनंदन खत्री की तिलिस्मी दुनिया को जाना-समझा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 06:19 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 12:47 AM (IST)
शाही राजमहल से चुनार किले के दीदार को पहुंचे विदेशी मेहमान
शाही राजमहल से चुनार किले के दीदार को पहुंचे विदेशी मेहमान

जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : केंद्र सरकार द्वारा गंगा में जल पर्यटन की संभावनाओं को विस्तार देने व विदेशी सैलानियों में चुनार क्षेत्र के पर्यटन के प्रति रुचि विकसित करने के क्रम में बुधवार को शाही सुविधाओं से लैस गंगा पर तैरता पांच सितारा राजमहल 17 सदस्यीय विदेशी सैलानियों को लेकर चुनार पहुंचा। राजमहल जलपोत से विदेशी मेहमानों ने चुनार में बाबू देवकीनंदन खत्री की तिलिस्मी दुनिया को जाना-समझा। वहीं बाबा पुरातन आंग्ल कब्रिस्तान, इफ्तखार खां का रौजा देख उनके ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के बारे में जिज्ञासा शांत की। चुनार के प्रसिद्ध पाटरी उद्योग व कालीन बुनाई का काम भी उन्हें उनके गाइड द्वारा दिखाया गया।

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दोपहर करीब 12 बजे जल मार्ग से चुनार स्थित रामघाट पहुंचे राजमल में अमेरिका, इंग्लैड, हांगकांग, आस्ट्रेलिया देशों के 17 सदस्य थे। सबसे पहले चुनार दुर्ग पहुंचे पर्यटकों ने किले की प्राचीर से लगातार बढ़ रही गंगा के विकराल रूप को देखा। उसके बाद जब इन्हें गाइड अखिलेश कुमार सोनवा मंडप ले गए तो उसकी प्रस्तर कला देख करीब सभी के चेहरों पर आश्चर्य मिश्रित सुखद अनुभूति दिखाई दी। महिला सैलानियों ने सोनवा मंडप की नक्काशी को हाथ से छूकर भी देखा। सोनवा मंडप के पत्थरों पर उकेरी गई कलाओं को कैमरों में कैद कर रहे इन विदेशी मेहमानों के हावभाव स्वत: बता रहे थे कि यह उन्हें कितना पसंद आया। वहीं बगल में स्थित योगिराज भर्तृहरि की समाधि के दर्शन करने और दुभाषिए द्वारा उसके बारे में जानकारी दिए जाने और उसे समझने के बाद इनके चेहरे स्वत: बयां कर रहे थे कि वे इस समाधि को देखने के बाद खुद को धन्य समझ रहे हैं। दल में ब्रिटेन से आए दंपती एलेन और एलीन ने यहां पर फोटोग्राफी की और साथ चल रहे गाइड से अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया। इसके पश्चात किले के दक्षिणी ओर स्थित अंग्रेजों के कब्रिस्तान को भी देखा। जहां अपने कब्रों पर लिखे कोटेशन को पढ़ कर सभी भावुक हो गए। यहां से हीरा पाटरी सेंटर जाकर यहां बनने वाले चीनी मिट्टी के बर्तनों की जानकारी ली और स्मृति के लिए सामान भी खरीदे। - चुनार किले को बताया बेहतरीन

हांगकांग से आए दंपती फ्रांसिस और टेरेसा ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इतिहास के नजरिए से चुनार किला बहुत अच्छा है लेकिन इस जगह को टूरिस्ट गाइड में शामिल करना चाहिए। वहीं सिगापुर से आए चा‌र्ल्स और फेन ने कहा कि उन्हें अपने पूरे टूर में चुनार बेहद शांतिपूर्ण और खूबसूरत जगह लगी। इन्हें सबसे अच्छा सोनवा मंडप लगा। वहीं अमेरिका के कैलिफोर्लिया से आए डेविड आर्नाल्ड व मार्गरेट आरनाल्ड को भी चुनार बहुत पसंद आया। पहली बार भारत की यात्रा पर आए सैलानियों की खुशी देखते बनी। ज्यादातर सैलानी पेशे से इंजिनियर-डॉक्टर और सेवानिवृत हो चुके हैं। अमेरिका के डेविस अर्नाल्ड, मिस्टर ऐंड मिसेज बुश, ऑस्ट्रेलिया के जॉन वुड, इंग्लैंड की स्मिथ, हॉन्गकॉन्ग के थामस का कहना है कि कोलकाता से बनारस तक की गंगा यात्रा शानदार और अनूठी रही है। इच्छा है कि यहां बार-बार आएं। -40 सैलानियों के लिए व्यवस्था

क्रूज में 40 व्यक्तियों को एक साथ कहीं लाने ले जाने की व्यवस्था है। 22 कमरे है जिसमें 18 कमरे डबल तथा चार कमरे सिगल बेड के है। क्रूज में सफर करना काफी महंगा भी है। इसमें एक दिन का प्रति व्यक्ति किराया करीब 300 यूएस डॉलर यानि करीब 21 हजार रुपए है। विदेशी सैलानियों को गंगा के जरिए भारत दर्शन कराने वाला क्रूज अपने नाम के मुताबिक शानो-शौकत में राजमहल जैसा ही है। इसमें अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस डबल और सिगल बेड के 22 वातानुकूलित कमरे हैं जिसमें 40 पर्यटक ठहर सकते हैं। 50 मीटर लंबे और दो फ्लोर वाले क्रूज में कैफे एरिया के अलावा लॉन, कॉमन रूम, लॉबी, ई-लाइब्रेरी, आर्ट गैलरी, मेस, सन बाथ लेने की सुविधाएं भी हैं। -एक अगस्त को कोलकाता से चला था क्रूज

क्रूज के मैनेजर रोमित कश्यप ने बताया कि विदेशी मेहमानों के साथ राजमहल जल मार्ग से एक अगस्त को कोलकाता से 6 मेहमानों के साथ चला था और पटना पहुंच कर बाकी सैलानी भी इसमें सवार हो गए। तय स्थानों से होते हुए 21 अगस्त को दोपहर करीब 12 बजे चुनार रामघाट पहुंचा। काशी से रामनगर होते हुए चुनार तक का क्रूज का यह सफर गंगा किनारे की बस्तियों में कौतूहल और आकर्षण का केंद्र बना रहा। चुनार पहुंच कर क्रूज ने लंगर डाल दिए और पर्यटक बस द्वारा स्थानीय दर्शनीय स्थलों के लिए घूमने निकल पड़े। इस दौरान क्रूज को देखने के लिए गंगा किनारे सैकड़ों की भीड़ उमड़ी।


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