प्रदेश के पहले गो-अभ्यारण्य से आबाद होगी जैविक खेती
उत्तर प्रदेश के पहले गो-अभ्यारण्य की तैयारियों में जुटे जिला प्रशासन ने अभ्यारण्य से मिलने वाले बायो फर्टिलाइजर के उपयोग की प्लानिग की है। अभ्यारण्य में बनने वाले जैव रसायन से जनपद में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही आर्गेनिक खेती के उत्पाद को आनलाइन मार्केटिग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बेचा जा सकेगा। इन संभावनाओं को आधार देने के लिए बीते 29 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले गो-अभ्यारण्य का शिलान्यास किया है।
सतीश रघुवंशी, मीरजापुर :
उत्तर प्रदेश के पहले गो-अभ्यारण्य की तैयारियों में जुटे जिला प्रशासन ने अभ्यारण्य से मिलने वाले बायो फर्टिलाइजर के उपयोग की प्लानिग की है। अभ्यारण्य में बनने वाले जैव रसायन से जनपद में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। आर्गेनिक खेती के उत्पाद को आनलाइन मार्केटिग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बेचा जा सकेगा। इन संभावनाओं को आधार देने के लिए बीते 29 जनवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले गो-अभ्यारण्य का शिलान्यास किया है।
प्रदेश सरकार गंगा के किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। इसमें जनपद में गंगा तराई के करीब 30 किलोमीटर क्षेत्र में औषधीय फूलों की खेती की जाएगी। सीखड़, चुनार, पहाड़ी व कोन ब्लाक में गंगा किनारे प्याज की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए भारी मात्रा में जैव रसायन की आवश्यकता होगी। इसकी पूर्ति प्रदेश के पहले गो अभ्यारण्य से की जाएगी। हलिया ब्लाक के गजरिया गांव में अदवा बांध के पास 28 बीघे में अभ्यारण्य बनाया जा रहा है। इस अभ्यारण को हराभरा रखने के लिए जिला प्रशासन पौधारोपण का विशेष अभियान चलाएगा। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि गो- अभ्यारण्य में करीब पांच हजार पशुओं को रखा जा सकेगा। बेसहारा पशुओं के चारे की व्यवस्था जनपद में जलाई जाने वाली पराली से पूरी की जाएगी और धान की फसल होते ही प्रशासन इसकी खरीद कर लेगा। अभ्यारण्य का निर्माण जहां किया जा रहा है, वहां आसपास पानी की वर्षभर प्रचुरता रहती है, इससे पशुओं को पानी की कमी नहीं पड़ेगी।
जैव-विविधता बचाने की पहल
जिलाधिकारी सुशील कुमार पटेल ने बताया कि गंगा किनारे जैविक खेती को इसलिए बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि यहां की जैव-विविधता का संरक्षण हो सके। गंगा तराई वाले इलाकों में रासायनिक खाद का प्रयोग स्थानीय जीव जंतुओं व जैव-पारिस्थितिकि के लिए अच्छा नहीं होगा। हलिया के गो-अभ्यारण्य से अच्छी मात्रा में जैव रसायन तैयार किए जा सकेंगे और इसे हम जनपद में हो रही जैविक खेती में प्रयोग कर सकेंगे।
गायों की विभिन्न नस्लों का संरक्षण
जिलाधिकारी ने बताया कि गो-अभ्यारण्य सिर्फ बेसहारा पशुओं को आश्रय भर देने का काम नहीं करेगा बल्कि इसे गो-संरक्षण के लिए भी उपयोग किया जाएगा। उन्होंने बताया कि देशी गाय की वह नस्लें खत्म होने के कगार पर हैं जिनका दूध मात्रा में जरुर कम होता है लेकिन पौष्टिकता बहुत अधिक होती है। इसलिए प्रशासन की यह कोशिश होगी कि ग्रामीण क्षेत्र की देशी गायों की प्रजाति का संरक्षण किया जाए। विभिन्न नस्ल की गायों का संवर्धन किया जाए।
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वर्जन
आर्गनिक खेती के उत्पादों की मांग दिनों दिन बढ़ रही है। ऐसे में जैविक खेती को बढ़ावा देने में भी इस गो-अभ्यारण्य का प्रमुख योगदान रहेगा। यहां बने बायो फर्टिलाइजर को जैविक खेती के लिए प्रयोग किया जाएगा।
- सुशील कुमार पटेल, जिलाधिकारी, मीरजापुर