बादलों को देख किसान चितित तैयार फसल समेटने की होड़
खेती को लेकर घाघ कवि द्वारा कही गईं कहावतों के अनुसार यदि फाल्गुन माह में बारिश होती है तो फसल चौपट हो जाती है।कुछ इसी की आशंका किसानों को सता रही है। सरसों चना अरहर आदि की फसल लगभग तैयार हो चली है।
जासं, सीखड़ (मीरजापुर) : खेती को लेकर घाघ कवि द्वारा कही गईं कहावतों के अनुसार यदि फाल्गुन माह में बारिश होती है तो फसल चौपट हो जाती है।कुछ इसी की आशंका किसानों को सता रही है। सरसों, चना, अरहर आदि की फसल लगभग तैयार हो चली है। अरहर, चना में तो पंद्रह-बीस दिनों का समय भी है लेकिन सरसों की फसल पक कर तैयार हो गई है। इस दौरान आसमान में उमड़ते-घुमड़ते गरजते बादलों को देख कर किसान परेशान है। वे अपनी तैयार फसल समेटने में पूरी ताकत लगा रहे है। नरम गरम कटाई मड़ाई कर जल्द से फसलों को समेटने की होड़ में थ्रेशरों के मालिक व मजदूरों की खींचातानी हो रही है। बारिश के सापेक्ष खेती के लिए कही गई घाघ कवि की कहावत अगहन हून, पूष दून माघ सवाई, फाल्गुन में घर से भी जाई आज भी एकदम सटीक दिखाई देती है।
कलवारी : राजगढ़ के स्थानीय बाजार कलवारी में दोपहर में तेज गर्जना के साथ करीब आधे घंटे तक जमकर बारिश हुई, बारिश के साथ साथ ओले भी पड़े मौसम में आए एका एक बदलाव से किसान काफी चितित दिखे। उनकी तिलहन की खड़ी फसल नष्ट होती नजर आ रही है हर कोई काटे गए अपने फसलों को ढकने में दिखा। किसानों को अपनी फसल को बचाने के लिए खुब मशक्कत करनी पड़ी, हर कोई किसान मौसम में अचानक बदलाव से चितित है। उन्हें डर सता रहा है कि यदि इसी तरीके से बरसात होती रही तो उनके तिलहन की फसलों को काफी नुकसान होगा और खड़ी फसल के लिए तो पानी नुकसानदायक ही है।