Move to Jagran APP

सर्पगंधा की खेती से अब मालामाल होंगे किसान

हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग को देख जनपद के किसान भी खेती का तरीका बदल रहे है। पारंपरिक खेती के साथ ही किसानों ने सर्पगंधा सतावर जैसी गैर पारंपरिक औषधीय खेती करना भी शुरु कर दिया है। ऐसे में राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के जरिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग किसानों को औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। जिससे जिले के किसान भी औषधीय खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकें। इसमें औषधीय खेती के लिए किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। जनपद में 35 किसान सर्पगंधा की खेती कर रहे है। सर्पगंधा की खेती करके जनपद के किसान भी अब मालामाल हो सकेंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 07:57 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 07:57 PM (IST)
सर्पगंधा की खेती से अब 
मालामाल होंगे किसान
सर्पगंधा की खेती से अब मालामाल होंगे किसान

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : हर्बल उत्पादों की बढ़ती मांग को देख जनपद के किसान भी खेती का तरीका बदल रहे है। पारंपरिक खेती के साथ ही किसानों ने सर्पगंधा, सतावर जैसी गैर पारंपरिक औषधीय खेती करना भी शुरू कर दिया है। ऐसे में राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के जरिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग किसानों को औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। जिससे जिले के किसान भी औषधीय खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकें। इसमें औषधीय खेती के लिए किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। जनपद में 35 किसान सर्पगंधा की खेती कर रहे है। सर्पगंधा की खेती करके जनपद के किसान भी अब मालामाल हो सकेंगे।

loksabha election banner

जनपद के पटेहरा, मड़िहान, हलिया, लालगंज ब्लाकों में किसानों द्वारा सर्पगंधा की खेती की जा रही है। सर्पगंधा जैसी औषधीय खेती से जनपद के किसानों को आर्थिक मजबूती के साथ एक नई पहचान भी मिल सकेगी। औषधीय खेती के लिए जिला उद्यान विभाग द्वारा किसानों को सर्पगंधा का महत्व और फायदा बताया जा रहा है। जिला उद्यान अधिकारी मेवालाल ने बताया कि सर्पगंधा एक महत्वपूर्ण औषधि है, जो कि आधुनिक दवाइयों और आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए प्रयोग की जाती है। इसकी जड़ें सुगन्धित होती हैं लेकिन स्वाद में कड़वी होती हैं। इसकी जड़ें विभिन्न प्रकार की दवाइयां बनाने के लिए प्रयोग की जाती हैं। सर्पगन्धा से तैयार दवा को प्रयोग घाव, बुखार, पेट का दर्द, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, पागलपन के इलाज में किया जाता है।

------ क्या है सर्पगंधा

जिला उद्यान अधिकारी मेवालाल के अनुसार यह सर्पगंधा एक झाड़ी वाला पौधा है, जिसकी औसतन ऊंचाई 0.3 से 1.6 मीटर है। इसके पत्ते लम्भाकार होते है, जिसकी लम्बाई  8-15 सेमी होती हैं। इसके सख्तपन के कारण लाल लैटेराइट दोमट से रेतली जलोढ़ मिट्टी में उगाया जा सकता है। यह नमी और नाइट्रोजन युक्त मिट्टी, जिसमें जैविक तत्व मौजूद हो और अच्छे जल निकास वाले आदि स्थानों में उगाने पर अच्छे परिणाम देती है। चिकनी  और चिकनी दोमट मिट्टी में भी उगाई जा सकती है। इसकी अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का पीएच 4.6-6.5 होना चाहिए। जनपद की मिट्टी सर्पगंधी की खेती के लिए उपयुक्त है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.