गुलाब की खेती से मालामाल हो रहे किसान
क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में फूलों की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। एक बीघे फूल की खेती से प्रतिवर्ष 50 हजार तक की कमाई करने वाले किसान अब गुलदाउदी, गेंदा और चमेली, श्रीकांती जैसी महंगे फूलों की खेती भी करने लगे हैं जिसकी मांग में लगातार इजाफा हो रहा है। इससे प्रभावित होकर पारंपरिक धान, गेहूं की खेती करने वाले किसान भी अब फूलों की खेती करना शुरू कर दिया है।
जागरण संवाददाता, अदलहाट (मीरजापुर) : क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में फूलों की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। एक बीघे फूल की खेती से प्रतिवर्ष 50 हजार तक की कमाई करने वाले किसान अब गुलदाउदी, गेंदा और चमेली, श्रीकांती जैसी महंगे फूलों की खेती भी करने लगे हैं जिसकी मांग में लगातार इजाफा हो रहा है। इससे प्रभावित होकर पारंपरिक धान, गेहूं की खेती करने वाले किसान भी अब फूलों की खेती करना शुरू कर दिया है।
खेती में हो रहे नित नए प्रयोग किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। ग्रामीण अंचल में प्रगतिशील किसान अब पारंपरिक खेती के अलावा व्यवसायिक खेती भी कर रहे हैं। इसमें फूलों की खेती करना किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रहा है। अदलहाट थाना क्षेत्र के बरी-जीवनपुर गांव के किसान राजमणि मौर्य ने ढाई बीघे खेत में गुलाब, गुलदाउदी, श्रीकांती, गेंदा, कुंद सहित कई अन्य फूलों की खेती की है। राजमणि ने बताया कि एक बीघे फूल की खेती में प्रतिवर्ष 40 से 50 हजार रुपये तक का आय हो रही है। किसानों ने कहा कि खेत की जोताई, निराई, उर्वरक, फूलों को तोड़ने एवं अन्य खर्च को मिलाकर तीस हजार रुपये प्रतिवर्ष का खर्च आता है। खेती के फूलों की बिक्री से खर्च काटकर 40 से 50 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। बाजार की मंदी का असर नहीं
किसानों ने बताया कि बाजार की मंदी का असर फूलों पर कम ही पड़ता है। वहीं शादियों के सीजन में फूलों की मांग कई गुना बढ़ जाती है और किसी डेट पर तो फूलों की पूर्ति कर पाना मुश्किल हो जाता है। फूलों को मंडी के अलावा सजावट करने वाले निजी ठेकेदार भी खरीदकर ले जाते हैं, जो किसानों को खेत पर ही अच्छा दाम देते हैं।