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एक्सपायर मास्टर प्लान के भरोसे विकास प्राधिकरण

विकास प्राधिकरण का जिक्र आते ही जेहन में मेट्रो शहरों में हो रहे विकास की तस्वीर कौंधने लगती है। चौड़ी-चौड़ी चमचमाती सड़कें, आकर्षित करते बड़े पार्क, एलइडी स्ट्रीट लाइट्स, बहुमंजिली इमारतें, केंद्रीयकृत सीवरेज सिस्टम, मल्टीलेवल पार्किंग और अंडर ग्राउंड वाटर रिजर्वायर जैसी सुविधाएं मिलने की कल्पना सजीव हो उठती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 08:50 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 10:31 PM (IST)
एक्सपायर मास्टर प्लान के भरोसे विकास प्राधिकरण
एक्सपायर मास्टर प्लान के भरोसे विकास प्राधिकरण

सतीश रघुवंशी, मीरजापुर :

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विकास प्राधिकरण का जिक्र आते ही जेहन में मेट्रो शहरों में हो रहे विकास की तस्वीर कौंधने लगती है। चौड़ी- चौड़ी चमचमाती सड़कें, आकर्षित करते बड़े पार्क, एलइडी स्ट्रीट लाइट्स, बहुमंजिली इमारतें, केंद्रीयकृत सीवरेज सिस्टम, मल्टीलेवल पार्किंग और अंडर ग्राउंड वाटर रिजर्वायर जैसी सुविधाएं मिलने की कल्पना सजीव हो उठती है। सभी की उम्मीदें परवान चढ़ीं थी कि नवगठित मीरजापुर-¨वध्याचल विकास प्राधिकरण नगर की सूरत व सीरत में बदलाव लाएगा लेकिन प्राधिकरण के पास अभी तक ऐसा कोई प्लान नहीं है। हालात यह है कि प्राधिकरण को सात साल पहले एक्सपायर हो चुके मास्टर प्लान का ही भरोसा है, जिसकी अब कोई अहमियत नहीं बची। ऐसे में शहर व आसपास के इलाकों में बगैर नक्शा पास कराए ही अंधाधुंध अवैध निर्माण होता जा रहा है।

तत्कालीन मीरजापुर-¨वध्याचल विशेष क्षेत्र प्राधिकरण द्वारा शहर के लिए 2001 में मास्टर प्लान बनाया गया था। यह प्लान 10 वर्षों के लिए था जो कि 2011 में एक्सपायर हो गया। तब से लेकर अभी तक कोई नया मास्टर प्लान नहीं बना है। प्राधिकरण के अधिकारियों की मानें तो इन वर्षों में शहर पूरी तरह से बदल चुका है और उनके पास कोई प्लान न होने की वजह से शहर के विकास की एक भी योजना नहीं बन पाई। ऐसे में शहरी क्षेत्र में 50 हेक्टेयर से भी ज्यादा ऐसे प्लाट्स हैं जिनका लैंड यूज तक नहीं बदला गया है यानी जो जमीन कृषि कार्य के लिए दर्ज है, उस पर रिहायशी मकान व कालोनियां खड़ी हो गई हैं और विकास प्राधिकरण के पास इसका कोई अधिकृत डाटा उपलब्ध नहीं है। बीते इन सात वर्षों में प्राधिकरण की वह जमीनें जिनका अधिग्रहण सार्वजनिक सुविधाएं बनाने के लिए होना था, उन पर कतिपय लोगों, भू-माफिया का कब्जा हो चुका है और प्राधिकरण के पास इसका कोई जवाब नहीं है। तकरीबन छह माह पहले मीरजापुर-¨वध्याचल विकास प्राधिकरण के गठन के बाद शहर की सूरत बदलने की उम्मीद जगी लेकिन अफसरों की उदासीनता ने शहरियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

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नये मास्टर प्लान में देरी

जून 2018 में मीरजापुर-¨वध्याचल विकास प्राधिकरण के गठन को मंजूरी मिली तो लगा कि अब शहर का विकास होगा और यह भी मेट्रो शहरों में शुमार हो जाएगा लेकिन गठन के छह महीने बाद तक प्राधिकरण में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। जुलाई में नया मास्टर प्लान बनाने की योजना बनी और लखनऊ की एक कंसलटेंसी को यह काम सौंपा गया लेकिन अभी तक मास्टर प्लान का कहीं अता-पता नहीं है। वहीं प्राधिकरण के लिए कम से कम 35 कर्मचारियों अधिकारियों की आवश्यकता का पत्र शासन को भेजा गया है, इस पर अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं हो पाई है।

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वर्जन

'नया मास्टर प्लान तैयार करने के लिए विकास प्राधिकरण सचिव को सख्त निर्देश दिया गया है। साथ ही इसमें जो खामियां हैं उसे भी जल्द दूर कर लिया जाएगा। मास्टर प्लान तैयार होते ही विकास कार्यों को गति दी जाएगी।

- अनुराग पटेल, जिलाधिकारी, मीरजापुर


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