राम के चरित्र से मिटता है अहंकार
क्षेत्र के बस्तरा गांव में चल रहे भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को चित्रकूट की भागवताचार्य सुश्री कंचन द्विवेदी ने कहा कि संसार में रहकर मनुष्य सांसारिक शक्तियों में उलझा हुआ है। इसमें माया मोह एवं लोभ का उलझन है। भगवान के सभी अवतार से विश्वास और भक्ति बढ़ती है क्योंकि राम कृष्ण के चरित्रों से त्याग तपस्या आपसी विश्वास की शिक्षा मिलती है और अहंकार मिटता है।
जासं, लालगंज (मीरजापुर) : क्षेत्र के बस्तरा गांव में चल रहे भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को चित्रकूट की भागवताचार्य सुश्री कंचन द्विवेदी ने कहा कि संसार में रहकर मनुष्य सांसारिक शक्तियों में उलझा हुआ है। इसमें माया, मोह एवं लोभ का उलझन है। भगवान के सभी अवतार से विश्वास और भक्ति बढ़ती है क्योंकि राम कृष्ण के चरित्रों से त्याग तपस्या, आपसी विश्वास की शिक्षा मिलती है और अहंकार मिटता है। भागवताचार्य ने कहा कि मनुष्य जबतक सांसारिकता के मोह में जीवन यापन करता है। उस समय तक वह कष्टों से घिरा रहता है। वह अपने पराए के पाट में पिसता रहता है। यह पीड़ा और चिता भरा जीवन है। इससे मुक्ति का राह केवल धर्म से संभव है क्योंकि धर्म माया के दुनिया से निर्लिप्त करती है। जिसमें शांति है। विश्वास है और विकास है।कहा कि भगवत भजन के नाद से मनोविकार अंतर्मन के नष्ट होते है। जिससे मन प्रफुल्लित होता है। इसके चलते आगे बढ़ने की शक्ति मिलती है। कहा कि भरत का चरित्र भक्ति की उत्तम शिक्षा देती है। बताया कि राम नाम से मुक्ति द्वार खुलते हैं। भागवत कथा के आयोजक बालकृष्ण पांडेय व श्रीकांत पांडेय व्यवस्था में लगे रहे। रामकुमार गुप्ता, तेजबहादुर दुबे, राजनाथ दुबे, सदानंद, विध्यवासिनी पांडेय, राजित केशरवानी, राकेश पांडेय, अमरनाथ तिवारी आदि रहे।