ड्रिप सिचाई से बदल रही किसानों की तकदीर
ड्रिप सिचाई विधि ने मीरजापुर में किसानों को सफलता का नया आयाम दिया है इससे अन्नदाताओं के जीवन की तस्वीर भी बदल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना के तहत किसानों की आय दोगुनी करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। ड्रिप सिचाई से जहां एक ओर जल संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है तो वहीं कम लागत और 40 प्रतिशत पानी में ही किसानों अर्थात अन्नदाताओं को अच्छी उपज मिल जा रही है। साथ ही साथ अन्नदाताओं को उनकी मेहनत की उपज का बेहतर दाम भी मिल रहा है। ड्रिप सिस्टम से सिचाई करने से 60 प्रतिशत पानी की बचत हो रही है।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : ड्रिप सिचाई विधि ने मीरजापुर में किसानों को सफलता का नया आयाम दिया है, इससे अन्नदाताओं के जीवन की तस्वीर भी बदल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना के तहत किसानों की आय दोगुनी करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। ड्रिप सिचाई से जहां एक ओर जल संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है तो वहीं कम लागत और 40 प्रतिशत पानी में ही किसानों अर्थात अन्नदाताओं को अच्छी उपज मिल जा रही है। अन्नदाताओं को मेहनत की ऊपज का बेहतर दाम मिल रहा है। ड्रिप सिस्टम से सिचाई करने से 60 प्रतिशत पानी की बचत हो रही है।
ड्रिप सिचाई अथवा टपक विधि से पानी और खाद की बचत होती है साथ ही पानी की बचत के साथ ही पैदावार में भी बढ़त होती है। जिला उद्यान विभाग के निर्देशन में किसानों द्वारा ड्रिप सिचाई विधि से केला, सब्जी, बागवानी में नीबू, अमरूद आदि की खेती करके नया उदाहरण अन्य किसानों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। जिला उद्यान अधिकारी मेवा राम ने बताया कि ड्रिप सिचाई विधि से 60 प्रतिशत तक पानी की खपत में कमी आने के साथ ही खरपतवार पर भी अंकुश लगता है। इससे किसानों की आय में डेढ़ गुना तक इजाफा हो रहा है। इस विधि के चलते किसानों को नाली नहीं बनाना पड़ता है और खेती के लिए अधिक जगह भी मिलती है।
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ड्रिप सिचाई से किसानों की सुधरी आय
ड्रिप सिचाई विधि से रामजी दुबे नुआव सिटी ब्लाक, राम गोविद सिंह बघौड़ा राजगढ़, सहेंद्र मौर्य नीबी, राजेश सिंह पटेहरा कला, मुन्नी सिंह पटेहरा कला सहित लगभग 300 किसानों द्वारा ड्रिप विधि से सिचाई की जा रही है।
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पहाड़ी अथवा कम बरसात वाले स्थानों पर कारगर
जनपद के विकास खंड पहाड़ी, राजगढ़, मड़िहान, हलिया सहित कई ब्लाकों में पेयजल किल्लत है। ऐसे में किसान खेती नहीं कर पाते हैं और किसी तरह खेती भी हो गई तो समुचित पैदावार नहीं हो पाता है। इसके चलते इन क्षेत्र के किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ड्रिप सिचाई विधि के रूप में ऐसे किसानों को वरदान मिल गया है। अब इन स्थानों पर भी किसान कम पानी में खेती करके अच्छी पैदावार प्राप्त करके मिसाल बन रहे हैं।
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क्या है ड्रिप सिचाई
योजना प्रभारी पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी के अनुसार ड्रिप सिचाई विधि में पानी को पौधों की जड़ों पर बूंद-बूंद करके टपकाया जाता है। इस कार्य के लिए वाल्व, पाइप, नलियों तथा एमिटर का नेटवर्क लगाना पड़ता है। इसे टपक सिचाई या बूंद-बूंद सिचाई भी कहते हैं। इसमें पानी थोड़ी-थोड़ी मात्र में, कम अंतराल पर, प्लास्टिक की नालियों द्वारा सीधा पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। परंपरागत सतही सिचाई द्वारा जल का समुचित व उचित उपयोग नहीं हो पाता, पौधों को मिलने वाला अधिकतर पानी जमीन में रिस कर या वाष्पीकरण द्वारा व्यर्थ चला जाता है।
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पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों को खेती करने में परेशानी हो रही थी। सरकार की महत्वपूर्ण योजना के तहत ड्रिप सिचाई विधि इन क्षेत्रों में कारगर साबित हो रही है। किसान ड्रिप सिचाई का प्रयोग करके 60 प्रतिशत तक पानी की बचत करने के साथ ही ऊपज डेढ़ गुना तक बढ़ा सकते हैं। सरकार द्वारा अनुदान पर ड्रिप सिस्टम दिया जा रहा है। जिसमें लघु व सीमांत किसान को 90 व बड़े किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान मिल रहा है।
- अविनाश सिंह, मुख्य विकास अधिकारी, मीरजापुर।