दिलराजी की दिलेरी ने दरिद्रता को लगाई दुत्कार
पटेहरा विकास खंड के पड़रिया कला ग्राम पंचायत की एक गरीब महिला दिलराजी ने अपनी दिलेरी और हिम्मत से न सिर्फ गरीबी का चक्रव्यूह तोड़ा है बल्कि वे क्षेत्र की गरीब महिलाओं के लिए आइकन बनकर उभरी हैं। अपना पेट काटकर छोटी-छोटी बचत से उन्होंने समूह बनाया और मात्र पांच हजार के प्रथम लोन से छोटा उद्यम स्थापित किया। अब वे परिवार को भी स्वरोजगार से जोड़ चुकी हैं और तमाम ऐसी महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं जो गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकलने के लिए छटपटा रही हैं।
मनोज द्विवेदी, मीरजापुर
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पटेहरा विकास खंड के पड़रिया कला ग्राम पंचायत की एक गरीब महिला दिलराजी ने अपनी दिलेरी और हिम्मत से न सिर्फ दरिद्रता को दुत्कार लगाई है, बल्कि वे क्षेत्र की गरीब महिलाओं के लिए प्रेरक व्यक्तित्व बनकर उभरी हैं। अपना पेट काटकर छोटी-छोटी बचत से उन्होंने समूह बनाया और मात्र पांच हजार के प्रथम लोन से छोटा उद्यम स्थापित किया। अब वे परिवार को भी स्वरोजगार से जोड़ चुकी हैं और तमाम ऐसी महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं जो गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकलने के लिए छटपटा रही हैं।
दिलराजी बताती हैं कि आजीविका मिशन के बारे में उन्होंने सुना था जिससे प्रेरित होकर गांव में एक उजाला समूह का गठन किया। इसका अध्यक्ष गांव की शिव कुमारी को बनाया। इस समूह में 10 महिलाओं को जोड़कर पटेहरा के पंजाब एंड सिध बैंक में पेट काट कर पैसा जमा किया व समूह की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद उन्हें पांच हजार का प्रथम सहयोग मिला। उस पैसे से ब्लाक परिसर में प्रेरणा कैंटीन जलपान की एक छोटी दुकान खोली और अथक परिश्रम करने लगीं और उनकी गाड़ी चल निकली। दिलराजी ने अपने परिवार के लोगों को भी प्रेरित किया व दिहाड़ी मजदूरी छुड़ाकर स्वरोजगार से जोड़ दिया। पति को गो-सेवा से जोड़कर दुग्ध उत्पादन में लगा दिया और यही दूध कैंटीन में उपयोग करने लगीं। उसी डेयरी से उत्पादित दूध मिड-डे मील के लिए भेजने लगीं जिससे उनके व्यवसाय ने गति पकड़ ली। दिलराजी की तमन्ना है कि वे धीरे-धीरे बड़ी पूंजी तैयार सफल उद्यमी बनेंगी और आस-पास की गरीब महिलाओं को भी स्वरोजगार से जोड़कर आर्थिक रूप से आजाद कराएंगी।
संघर्ष से शिखर की ओर पटेहरा ब्लाक के पड़रिया कला ग्राम पंचायत की दिलराजी जिस दिन ससुराल में उतरी व हाथ का महावर भी नहीं छूटा था तभी से उन्हें खेतों में दिहाड़ी मजदूरी के लिए मजबूर होना पड़ा। दिलराजी अपने भाग्य को कोसती लेकिन पति व परिवार के भरण-पोषण के लिए काम करती रहीं। इसी दौरान उन्हें समूह बनाकर रोजगार शुरू करने की जानकारी मिली और उन्होंने यह रास्ता अपनाया। इसकी बदौलत आज से गरीबी से उबरकर समृद्धि की राह पर चल रही हैं। समूह की महिलाओं की मददगार दिलराजी बताती हैं कि हमने प्रेरणा देकर अपने समूह की 10 महिलाओं में शिव कुमारी को दीपनगर में श्रृंगार की दुकान और बिदू देवी को गांव में ही परचून की दुकान खुलवाई है। इसकी मानीटरिग दिलराजी स्वयं कर उन्हें भी अपने पैर पर खड़े होने की नसीहत देती हैं। शिव कुमारी अपने समूह की बहनों को भी दुकान का नाम प्रेरणा ही रखने की सलाह देती हैं ताकि इससे और भी महिलाएं प्रेरित हों और स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बनें।