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नारी पर अस्मिता का संकट : प्रो. अनुराग

स्थानीय सावित्री बाई फूले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में सोमवार को नारी अस्मिता संघर्ष साहित्य समाज एवं विधान के सन्दर्भ में विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार ने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति के विकास तथा वैश्वीकरण के चलते नारी अस्मिता पर नया संकट खड़ा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 09:58 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 06:11 AM (IST)
नारी पर अस्मिता का
संकट : प्रो. अनुराग
नारी पर अस्मिता का संकट : प्रो. अनुराग

जासं, चकिया (चंदौली) : स्थानीय सावित्री बाई फूले राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में सोमवार को नारी अस्मिता संघर्ष साहित्य समाज एवं विधान के सन्दर्भ में विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार ने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति के विकास तथा वैश्वीकरण के चलते नारी अस्मिता पर नया संकट खड़ा हुआ है।

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उन्होंने कहा कि बाजारवादी संस्कृति में महिलाओं के सौन्दर्य को नई परिभाषा मिली है। जिससे महिलाओ की आर्थिक स्थिति में तो सुधार हुआ है। लेकिन उनकी अस्मिता पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के युग में भी नारी पुरूष का सहयोग करते हुए काम के साथ ही घर परिवार में सहयोग करती है। जबकि पुरूष का आचरण ऐसा नही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अस्मिता पर मीडिया की भूमिका भी पूरी तरह खरी नहीं है। जिससे महिलाओं को समाज में संघर्ष करना पड़ रहा है।

विशिष्ठ अतिथि पण्डित कमलापति त्रिपाठी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय चंदौली की प्राचार्य डा. सविता पाणि ने कहा कि पुरूष प्रधान समाज की अवधारणा ने नारी के अस्तित्व को नकारने का कार्य किया है तथा राजनैतिक संस्थाओ में भी महिला जनप्रतिनिधियों का स्थान उनके परिवार के पुरूषों के ही हाथ में है। जिससे महिलाओं की आजादी प्रभावित हो रही है। उन्होने कहा कि नारी के प्रति पुरूष समाज के सोच में बदलाव आने से ही नारी की अस्मिता पर से संकट टलेगा।

सारस्वत अतिथि सकलडीहा पीजी कालेज के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. दयानन्द यादव ने कहा कि समाज के निर्माण में नारी और पुरूष दोनो की समान भूमिका है। नारी के सहयोग से ही पुरूष समाज में आगे बढ़ता है। उपभोक्तावादी समाज के कारण नारी को उसकी वास्तविक पहचान नही मिल रही है। उन्होंने कहा कि नारी की अस्मिता के लिए नारी चेतना का विकास आवश्यक है। प्राचार्य डा. संगीता सिन्हा, डा. मिथिलेश सिंह, डा. अमिता सिंह, डा. अनिल कुमार सिंह, डा. शमशेर बहादुर सिंह, डा. सरवन कुमार यादव, देवेन्द्र बहादुर सहित तमाम शोध छात्र तथा महाविद्यालय की छात्र-छात्राएं मौजूद थे। अध्यक्षता प्राचार्य डा. संगीता सिन्हा ने संचालन रमाकांत गोड़ ने किया।


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