दुष्कर्म के आरोपियों का जमानत प्रार्थना पत्र कोर्ट ने किया निरस्त
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश पीएन श्रीवास्तव ने दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामलों में आरोपी सूरज एवं सूरज मांझी का जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। अभियोजन से मुकदमे की पैरवी सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सच्चिदानंद तिवारी एवं पूर्व शासकीय अधिवक्ता रामेंद्र कुमार शुक्ला ने जमानत का कड़ा विरोध किया।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश पीएन श्रीवास्तव ने दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामलों में आरोपित सूरज एवं सूरज मांझी का जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। अभियोजन से मुकदमे की पैरवी सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सच्चिदानंद तिवारी एवं पूर्व शासकीय अधिवक्ता रामेंद्र कुमार शुक्ला ने जमानत का कड़ा विरोध किया।
अभियोजन के अनुसार अहरौरा थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी की पंद्रह वर्षीय पुत्री दस जुलाई वर्ष 2018 को सुबह आठ बजे घर से स्कूल साइकिल लेकर पढ़ने के लिए गई थीं। दोपहर एक बजे तक स्कूल से लौट कर नहीं आई तो पता करने पर पता चला कि उसी गांव का आरोपित सूरज उसे बहला-फुसलाकर भगा ले गया है और उसके साथ दुष्कर्म करता रहा। घटना की प्राथमिकी पीड़ित छात्रा के पिता ने अहरौरा थाने में दर्ज कराया था।
इसी तरह दूसरे मामले में जिगना थाना क्षेत्र के एक गांव निवासिनी की एक चौदह वर्षीय पुत्री एक जून वर्ष 2018 को दोपहर बारह बजे के लगभग गंगा घाट नहाने के लिए अपनी छोटी बहन के साथ गई थीं। वही पर आरोपित सूरज मांझी इलाहाबाद का रहने वाला है और वह अपने ससुराल में ही रहता है। वह भी उस समय गंगा घाट पर स्नान कर रहा था। पीड़िता का जबरदस्ती पानी में खींचकर ले गया और दुष्कर्म किया था। घटना के दौरान साथ में गई छोटी बहन ने घर पहुंचकर सारी बात अपनी मां को बताई तो उसकी मां तत्काल गंगा घाट पर पहुंची तो वहां पर पीड़िता अचेतावस्था में पड़ी थी। घटना की प्राथमिकी पीड़िता की मां ने जिगना थाने में दर्ज कराया था।