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ईंट निर्माता समिति घोषित हो चुकी है अवैध

उप्र. ईंट निर्माता समिति को 2012 में ही रजिस्ट्रार फ‌र्म्स सोसायटीज एवं चिट्स द्वारा अवैध, कालातीत घोषित किया जा चुका है। इसका अंतिम चुनाव 2010 में हुआ था इसके बाद से एक बार भी चुनाव नहीं हुआ है। लेकिन कुछ लोग अभी इस समिति के पदाधिकारी बनकर प्रदेश भर के ईंट भट्टा मालिकों से वसूली और चंदा ले रहे हैं। इनकी ओर से भट्टा मालिकों का शोषण किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 09:16 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 09:16 PM (IST)
ईंट निर्माता समिति घोषित हो चुकी है अवैध
ईंट निर्माता समिति घोषित हो चुकी है अवैध

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : उप्र ईंट निर्माता समिति को 2012 में ही रजिस्ट्रार फ‌र्म्स सोसायटीज एवं चिट्स द्वारा अवैध, कालातीत घोषित किया जा चुका है। इसका अंतिम चुनाव 2010 में हुआ था, इसके बाद से एक बार भी चुनाव नहीं हुआ है। लेकिन कुछ लोग अभी इस समिति के पदाधिकारी बनकर प्रदेश भर के ईंट भट्ठा मालिकों से वसूली और चंदा ले रहे हैं। इनकी ओर से भट्ठा मालिकों का शोषण किया जा रहा है।

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उप्र. ईंट निर्माता समिति लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष कमलाकांत पांडेय ने शुक्रवार को बताया कि कुछ गिरोह बनाकर फर्जी कागजों के आधार ईंट भट्ठा मालिकों से जबरन वसूली कर रहे हैं। वे तरह-तरह के हथकंडों से मालिकों को परेशान करते हैं और कभी-कभी धरना-प्रदर्शन का सहारा लेकर भट्ठा मालिकों को पैसे देने के लिए मजबूर करते हैं। बताया कि इस समिति के पूर्व अध्यक्ष होने के कारण उनकी जिम्मेदारी है प्रदेश भर के ईंट भट्ठा मालिकों को इसकी जानकारी दी जाए ताकि कोई इनके झांसे में न आए। इसी क्रम में 29 सितंबर को वाराणसी में एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया है। नहीं मिल रहा कोयला

कमलाकांत पांडेय ने बताया कि भट्ठों को बढि़या गुणवत्ता वाला कोयला नहीं मिल पाता जिसकी वजह से वह ठीक से नहीं जलता और प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। इसके लिए कम से कम 6000 सीवी यानी कैलोरिफिक वैल्यू का कोयला मिलना चाहिए। इसकी उपलब्धता न होने के कारण अभी तक भट्ठा मालिक खुले बाजार से अधिक मूल्य पर कोयला खरीदने को मजबूर होते हैं।


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