संगीत जगत के पितामह पं. महेश्वरपति नहीं रहे
संगीत जगत के भीष्म पितामह कहे जाने वाले पं. महेश्वर पति त्रिपाठी के दिवंगत होने की खबर मिलते ही संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके जाने से संगीत जगत को अपूर्ण क्षति हुई है, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। साधना ललित कला प्रशिक्षण केंद के संस्थापक, ¨वध्य रत्न समेत तमाम अलंकरणों से सम्मानित पं. महेश्वरपति त्रिपाठी रविवार की सुबह बैकुंठधाम को सिधार गए।
जासं, ¨वध्याचल (मीरजापुर) : संगीत जगत के भीष्म पितामह कहे जाने वाले पं. महेश्वर पति त्रिपाठी के दिवंगत होने की खबर मिलते संगीत जगत में शोक लहर दौड़ गई। इससे संगीत जगत को अपूर्णनीय क्षति हुई है, साधना ललित कला प्रशिक्षण केंद के संस्थापक, ¨वध्य रत्न समेत तमाम अलंकरणों से सम्मानित पं. महेश्वरपति त्रिपाठी रविवार की सुबह बैकुंठधाम को सिधार गए। सैकड़ों शिष्यों को कत्थक नृत्य क्षेत्र में शिक्षा-दीक्षा देकर देश-विदेश के मंचों पर ¨वध्याचल का नाम काफी ऊंचा किया। राष्ट्रीय स्तर पर खुद की कला के माध्यम से लोगों की वाहवाही लूटने वाले कत्थक कलाकार ल सैकडों शिष्यों के गुरु पंडित जी अंतिम यात्रा में भीड़ रही।
गंगा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संस्कार भारती काशी प्रांत के संरक्षक समेत कई संस्थाओं से आत्मीय संबंध रहा। विन्ध्याचल स्थित आवास पर भोर में अंतिम सांस ली। कलाकार की अंतिम इच्छा पुत्रों ने पूरी की। शहनाई के साथ ही बैंड वालों के धुनों संग अंतिम यात्रा रामगया घाट पर पहुंची। रामगया घाट पर मुखाग्नि ज्येष्ठ पुत्र कामेश्वरपति त्रिपाठी ने दी। डा. गणेश प्रसाद अवस्थी, अजिता श्रीवास्तव, पं. त्रियोगी मिट्छू मिश्र, रतन, कृष्णा नंद गुप्त, गोपाल जी , विन्ध्यवासिनी प्रसाद केसरी, राजेश मिश्र, नितिन अवस्थी, विभूति मिश्र ने संवेदना व्यक्त की।