धनुष टूटते ही जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा आकाश
तहसील चुनार के ग्राम सभा नुनौटी में श्रीराम लीला नवयुवक मंगल दल द्वारा रामलीला का मंचन किया गया। तीसरे दिन प्रभु श्रीराम चंद्र द्वारा धनुष तोड़कर सभी राजाओं का मद चूर करने और माता जानकी द्वारा वरमाला पहनाए जाने का मार्मिक प्रसंग का मंचन किया गया।
जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : तहसील चुनार के ग्राम सभा नुनौटी में श्रीराम लीला नवयुवक मंगल दल द्वारा रामलीला का मंचन किया गया। तीसरे दिन प्रभु श्रीराम चंद्र द्वारा धनुष तोड़कर सभी राजाओं का मद चूर करने और माता जानकी द्वारा वरमाला पहनाए जाने का मार्मिक प्रसंग का मंचन किया गया। जिसे देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। राजा जनक ने सीता विवाह की शर्त रखी थी कि जो कोई शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी के साथ सीता का विवाह होगा। आयोजित स्वयंवर में कई देशों के नरेश व राजकुमार आए। यहां तक कि राजा रावण भी धनुष यज्ञ में अपना दांव आजमाने आया और भगवान भक्त बाणासुर पहुंचे। रावण-बाणासुर संवाद के शंखनाद से देश के राजा थर्रा उठे। रावण के जाने के बाद देश देश के राजाओं ने धनुष उठाने का प्रयास किया। हुड़दंग देश के राजा ढोलक चंद्र व उनका नौकर करोड़पति द्वारा धनुष तोड़ने के हास्य को देखकर लोट-पोट हुए। राजा जनक ने अपने संताप स्वर में कहा, मैं अगर जानता की यह धरती वीरों से खाली पड़ी है तो मैं इतना बड़ा प्रण नहीं करता। जिसे सुनकर लक्ष्मण क्रोधित होकर बोले की विद्वान मंडली में मेरा बोलना अनुचित है लेकिन अनुचित वाणी सुनकर मौन रहना भी पाप है। जनक के संताप को दूर करने के लिए गुरु की आज्ञा पाकर श्रीराम ने जैसे धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और धनुष टूट गया। माता सीता ने राम को वरमाला पहनाई। धनुष टूटने की आवाज सुनकर परशुराम राजा जनक के दरबार पहुंचे और लक्ष्मण-परशुराम संवाद का मंचन हुआ। श्रीरामलीला नवयुवक मंगल दल के प्रबंधक रामेश्वर नाथ दुबे, अध्यक्ष जय सिंह, कोषाध्यक्ष राजेश कुमार विश्वकर्मा, मंत्री गोपाल नाथ पांडेय, संरक्षक संतोष सिंह, व्यास के रूप में मंचासीन कल्लू राम, जोखन राम, रामप्रसाद, व्यवस्थापक राम सिंह, संजय, प्रदीप, बृजमोहन, राजकुमार, कमलेश, वकील इत्यादि पात्रों द्वारा रामलीला का मंचन कराया जा रहा है।