मां विध्यवासिनी का वार्षिक पूजा आज
चैत्र मास के पूर्णिम के दूसरे गुरुवार को मां विध्यवासिनी का वार्षिक पूजा किया जाएगा। हालांकि लॉकडाउन के चलते मंदिर का कपाट पूरी तरह से बंद होने के कारण इस बार वार्षिक पूजा सीमित लोगों के बीच ही किया जाएगा। इसमें पंडा समाज के अलावा अन्य किसी को भी मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
जासं, विध्याचल (मीरजापुर) : चैत्र मास के पूर्णिमा के दूसरे गुरुवार को मां विध्यवासिनी का वार्षिक पूजा किया जाएगा। हालांकि लॉकडाउन के चलते मंदिर का कपाट पूरी तरह से बंद होने के कारण इस बार वार्षिक पूजा सीमित लोगों के बीच ही किया जाएगा। इसमें पंडा समाज के अलावा अन्य किसी को भी मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
विभिन्न बांधाओं को दूर करने के लिए मां विध्यावासिनी की पूजा अर्चना एवं श्रृंगार चैत्र नवरात्र समाप्ति के बाद किया जाता है। विध्य पंडा समाज के मंत्री भानू पाठक ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए इस वर्ष पूजा व श्रृंगार किया जाएगा इसमें किसी भी व्यक्ति व श्रद्धालुओं को शामिल नहीं किया जाएगा। इसमें सिर्फ पंडा समाज के बीस लोग और एक-एक चर्मकार, धर्मकार, नाई, व्यापार समाज के लोग ही रहेंगे। इसके अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति नहीं रहेगा। बताया कि पूर्णिमा के दूसरे दिन ही वार्षिक पूजा किया जाता है और श्रद्धालुओं और अन्य लोगों द्वारा 11 हजार घड़ा गंगा जल से गर्भगृह व मंदिर परिसर के अन्दर अन्य देवी देवताओं के मंदिरों की साफ-सफाई किया जाता था लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते मात्र 21 घड़ा गंगाजल से ही मंदिर को धुला जाएगा।