Move to Jagran APP

मुआवजे को रिश्वत लेने का आरोप, दफ्तर में हंगामा

जनपद में निर्माणाधीन एनएच-7 चौड़ीकरण के लिए किसानों की अधिग्रहित जमीन के लिए मुआवजे की प्रक्रिया चल रही है। एसएलओ कार्यालय में तीन महीने से पैसे के लिए दौड़ रहे लोगों ने मंगलवार को जमकर हंगामा किया। वहीं लालगंज से आई महिला ने भी अधिकारियों पर मुआवजे के लिए दस हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। कार्यालय में अधिकारियों व किसानों के बीच आधे घंटे तक नोकझोक चलती रही।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 07:24 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 12:21 AM (IST)
मुआवजे को रिश्वत लेने का आरोप, दफ्तर में हंगामा
मुआवजे को रिश्वत लेने का आरोप, दफ्तर में हंगामा

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जनपद में निर्माणाधीन एनएच-7 चौड़ीकरण के लिए किसानों की अधिग्रहित जमीन के लिए मुआवजे की प्रक्रिया चल रही है। एसएलओ कार्यालय में तीन महीने से पैसे के लिए दौड़ रहे लोगों ने मंगलवार को जमकर हंगामा किया। वहीं लालगंज से आई महिला ने भी अधिकारियों पर मुआवजे के लिए दस हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। कार्यालय में अधिकारियों व किसानों के बीच आधे घंटे तक नोकझोक चलती रही।

loksabha election banner

भरपुरा निवासी आयुष सिंह का मकान अधिग्रहण की जद में है और इसके मुआवजे के लिए वे महीनों से चक्कर लगा रहे हैं। जब भी वे कर्मचारियों से बात करते तो उन्हें टरका दिया जाता। मंगलवार को स्थानीय संजय सिंह गहरवार व आयुष सिंह मुआवजे की मांग करने पहुंचे तो उनसे सीधे रिश्वत की मांग कर दी गई जिससे दोनों लोग आक्रोशित हो गए और कार्यालय में ही गरमा गरम बहस होने लगी। इसी बीच बरकछा की रीता देवी व लालगंज से आई केशरी देवी ने भी रोते हुए एसएलओ कार्यालय के बाबू राजेंद्र मिश्रा पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाया। इस दौरान काफी संख्या में लोग कार्यालय में जमा हो गए और कुछ अधिवक्ता भी पीड़ितों के पक्ष से बात करने लगे। देखते ही देखते माहौली काफी गर्म हो गया और कार्यालय में हंगामा जैसा माहौल बन गया। करीब आधे घंटे तक कर्मचारियों व मुआवजा लेने वालों के बीच बहस होती रही लेकिन कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।

बैंक की मिलीभगत से खेल

आयुष सिंह ने आरोप लगाया कि एसएलओ कार्यालय के बाबू राजेंद्र मिश्रा व भदोही स्थित इंडसइंड बैंक की मिलीभगत से किसानों को दौड़ाया जाता है। किसानों को कागज पर यह दिखा दिया जाता है कि आपका मुआवजा बैंक में भेज दिया गया लेकिन बैंक से भुगतान रोककर रिश्वत की मांग होती है। जो रिश्वत दे देता है, बैंक उसका भुगतान कर देता है और जो रिश्वत नहीं देता उसे महीनों दौड़ाया जाता है। आयुष ने बताया कि तीन अगस्त को बैंक में पैसा भेजा गया लेकिन 15 अक्टूबर तक भुगतान नहीं हुआ इसका मतलब साफ है कि रिश्वत न मिलने से देरी की जा रही है। ऐसे सैकड़ों किसान रोजाना एसएलओ आफिस पहुंच रहे हैं। बचाव में बैंक पर फोड़ा ठीकरा

एसएलओ कार्यालय में तैनात बड़े बाबू से जब आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसमें विभाग या किसी कर्मचारी, अधिकारी का दोष नहीं है, देरी के लिए संबंधित बैंक जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी कहा कि जिला प्रशासन ने मुआवजे के लिए भदोही का बैंक क्यों चुना, यह सवाल उनसे होना चाहिए। जनपद में बैंक रहता तो लोग सीधे बैंक से संपर्क कर अपना भुगतान सुनिश्चित करते।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.