मड़िहान के जंगल में मिला प्रकृति का अद्भुत खजाना
मड़िहान तहसील के वनक्षेत्र में स्थित एक विहंगम ²श्य जो अब तक दुनिया की नजरों से ओझल रहा है, अब सामने आ गया है। प्रकृति की अनुपम छटा बिखेरता 120 फीट उंचा झरना जानकारी, सुरक्षा और संवर्धन के अभाव में बिल्कुल ही वीरान पड़ा हुआ है। इसे पर्यटक स्थ्ल के रुप में विकसित किया जाए तो जनपद के अन्य झरनों की छंटा को यह मात दे देगा और पर्यटक इसकी ओर ¨खचे आएंगे।
जागरण संवाददाता, मड़िहान (मीरजापुर) : मड़िहान तहसील के वनक्षेत्र में स्थित एक विहंगम दृश्य है जो अब तक दुनिया की नजरों से ओझल रहा है, अब सामने आ गया है। प्रकृति की अनुपम छटा बिखेरता 120 फीट ऊंचा झरना जानकारी, सुरक्षा और संवर्धन के अभाव में बिल्कुल ही वीरान पड़ा हुआ है। इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो जनपद के अन्य झरनों की छटा को यह मात दे देगा और पर्यटक इसकी ओर ¨खचे आएंगे।
यहां बरसात के दिनों में पानी करीब 120 फीट की ऊंचाई से गिरता है, जो अपने आप में सबका मन मोह लेने वाला है। यह तीन ओर से जंगलों से घिरा हुआ है और इसका विहंगम ²श्य एक अलग तरह का नजारा प्रस्तुत कर रहा है। यदि इस स्थान पर वन विभाग और शासन मेहरबान हुआ तो निश्चित तौर पर यहां सैलानियों की बड़ी संख्या देखने को मिलेगी। इससे महज मीरजापुर को ही नहीं बल्कि प्रदेश को एक नया पर्यटन स्थल मिलेगा। साथ ही जनपद के अन्य पर्यटन स्थलों में यह चार चांद लगा देगा। इस विहंगम ²श्य को देखने के लिए मीरजापुर जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर चल कर जाना पड़ेगा। बाणसागर नहर की बनी पटरियों से होकर जाने पर दाहिनी तरफ जो दिखाई देता है समझ लीजिए कि यही जोगिया दरी है। जो अपनी अनुपम छटा बिखेर रहा है।
वन औषधियों की भरमार
यहां पर बहुतायत मात्रा में पाई जाने वाली वन औषधियां भी जलप्रपात की अनुपम छटा में चार चांद लगाने का काम कर रही हैं। इनमें अर्जुन का वृक्ष जो हृदय की बीमारी के लिए अत्यंत ही लाभकारी और अब दुर्लभ प्रजातियों में गिना जाने वाला वह बहुतायत है। इसके अलावा कई ऐसी जड़ी बूटियां हैं, जिनका प्रयोग स्थानीय वैद्य पुरातन काल से करते चले आ रहे हैं। लेकिन नक्सली गतिविधियों की वजह से यह जगह अब तक अंजान थी और लोगों को यहां जाने में भी डर लगता था।
संकरा व बदहाल रास्ता
जोगिया दरी तक पहुंचने का रास्ता काफी दुर्लभ है। जंगल के बीच में होने के कारण पहाड़ी रास्ता पार करना मुश्किल होता है। इस रास्ते पर आवागमन न होने की वजह से कंटीली झाड़ियां, पत्थर व पुराने पेड़ अवरोध उत्पन्न करते हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विभाग की टीम भी अब यहां आने जाने लगी है और बारिश से पहले यहां की सफाई कराने की योजना बनाई गई है।