सूखी धरती पर दिखा उम्मीद का झरना, बूंद-बूंद सहेजें तो बने बात
जिले का पटेहरा ब्लाक इस समय पानी की भीषण समस्या झेल रहा है। हैंडपंप सूख चले और नदी तालाब में भी पानी खत्म हो चुका है। लेकिन कहते हैं कि प्रकृति के अनमोल खजाने में कई ऐसे करिश्मे होते हैं जो इंसान को शुकून दे जाते हैं।
जागरण संवाददाता, मीरजापुर : जिले का पटेहरा ब्लाक इस समय पानी की भीषण समस्या झेल रहा है। हैंडपंप सूख चले और नदी, तालाब में भी पानी खत्म हो चुका है। लेकिन कहते हैं कि प्रकृति के अनमोल खजाने में कई ऐसे करिश्मे होते हैं, जो इंसान को शुकून दे जाते हैं। एक ओर जहां पूरे ब्लाक में पानी की बूंद-बूंद के लिए हाहाकार मचा है। वहीं लकवड़ जंगल में बह रहा झरने के पानी का सही संचयन किया जाए तो पशु-पक्षी ही नहीं इंसानों को भी लाभ मिलेगा।
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पटेहरा ब्लाक के अमोई पुरवा ग्राम पंचायत में मौजूद घनघोर जंगल में बह रहे लकवड़ झरने का पानी देखकर सहायक विकास अधिकारी भौचक रह गए। एडीओ सूर्यनारायण पांडेय व बीडीओ दिनेश कुमार मिश्र ने जब जंगल में बह रहे झरने के पानी को देखा तो कई विचार एक साथ मष्तिष्क में कौंध गए। उन्होंने बताया कि अमृत स्वरुप इस जल का संचयन किया जाए तो क्षेत्र के लोग और जंगल के पशु-पक्षी जलसंकट से निजात पा सकते हैं। अधिकारियों ने माना कि झरने का यह जल बहकर बर्बाद हो रहा है और लोग पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। बीडीओ ने कहा जंगली जानवरों व बेसहारा पशुओं के लिए इस झरने का निर्मल जल वरदान की तरह है। झरने के आस-पास 10 किमी. की परिधि में कोई जलस्त्रोत नहीं होने से यह इंसानों के लिए भी अच्छा है।
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पर्यटन विकास की संभावनाएं
पर्यटन की ²ष्टि से भी यह क्षेत्र काफी आकर्षक है। अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान यह माना कि इस जलस्त्रोत के आसपास पर्यटन का विकास किया जाए तो जिले के पर्यटन मानचित्र पर लकवड़ झरना भी प्रसिद्ध हो जाएगा। निश्चित तौर पर इससे राजस्व का लाभ मिलेगा और स्थानीय स्तर पर भी रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
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प्रकृति के अनमोल खजाने में इतना कुछ है कि हम उसका सही संचयन कर लें तो परेशानी न हो। इस झरने के सुंदरीकरण की योजना पर निश्चित तौर पर काम किया जाएगा।
- सूर्यनारायण पांडेय, एडीओ
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