स्वदेश दर्शन योजना के तहत होगा मंदिर का कायाकल्प
जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना स्
जागरण संवाददाता, चुनार (मीरजापुर) : भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना स्वदेश दर्शन (इको सर्किट) के तहत चुनार-राजगढ़ मार्ग पर चुनार से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित दुर्गा खोह मंदिर कायाकल्प 399 लाख रुपये से होगा। जिसकी कार्य योजना और उसका प्रारंभिक आगणन तैयार कर स्वीकृति एवं धन आवंटन हेतु पर्यटन विभाग को भेजा गया है। इस बात की जानकारी आरटीआइ से मांगी गई सूचना से मिली है।
चुनार दीवानी के अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार मिश्र ने संयुक्त पर्यटन निदेशक वाराणसी से इस संबंध में जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी जिसमें यह खुलासा हुआ। बताया गया कि इन कार्यों को कराने की अनुमति के लिए अधीक्षण पुरातत्वविद सारनाथ से अनुरोध किया गया है।
प्राचीन और पुरातात्विक महत्व का दुर्गा खोह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है और यहां पर चुनार समेत आसपास के जिलों से हजारों श्रद्धालु दर्शन पूजन और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए आते हैं। प्रत्येक वर्ष यहां नवरात्र के साथ सावन के महीने में भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां का विकास काफी समय से अपेक्षित था और यहां के लोगों ने कई बार जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी इस ओर आकृष्ट कराया था। अब स्वदेश दर्शन योजना के तहत मंदिर समेत आसपास के क्षेत्र के कायाकल्प के लिए उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा कार्य योजना बनाकर भेजी गई है तो लोगों में भी उम्मीद जगी कि मां दुर्गा के इस पवित्र स्थल का सुंदरीकरण होगा और लोगों को इसका लाभ मिलेगा। 20 ¨बदुओं पर बनाई गई है कार्ययोजना
दुर्गा खोह को पर्यटन की ²ष्टि से विकसित करने के लिए जो आगणन और कार्ययोजना तैयार की गई है उसके तहत यहां 39.61 लाख रुपए की लागत से रैन बसेरा, 15.31 लाख से शौचालय ब्लाक, 12.16 लाख की लागत से मुख्य द्वार का सुंदरीकरण एवं सेंड फ्लो¨रग का कार्य, 12.48 लाख से केआईओएसके, 63 हजार से हार्टिकल्चर पार्क, 3.98 लाख से पार्क एरिया की क¨टग एवं लेव¨लग, 44.68 एवं 44.26 लाख से दीवारों की ऊंचाई बढ़ाई जाएगी। सीसी रोड हेतु 27.94 लाख, रास्तों पर पाली कारबोनेट शेड हेतु 49.44 लाख, सोलर फ्लड लाइट हेतु 22.60 लाख, सोलर लाइट हेतु 3.98 लाख, सोलर वाटर पंप हेतु 8.98 लाख, इन सबके इंस्टालेशन चार्जेज के रूप में 1.01 लाख, 10 डस्टबिन हेतु चौबीस हजार, 15 एसएस बैंचेज हेतु 3.30 लाख, 15 बैंचेज केआईओएसके हेतु .98 लाख, पंप रूम एवं स्टे¨गग हाइट हेतु 16.67 लाख, विद्युत कनेक्शन हेतु 2.50 लाख आदि के खर्च का अनुमान किया गया है। इसके साथ ही अन्य कई काम भी यहां के सुंदरीकरण के लिए कराए जाने प्रस्तावित हैं। इतिहास
पुरातत्व विभाग से संरक्षित यह मंदिर की भव्यता देखते बनती है। पहाड़ी गुफा में मां दुर्गा का विग्रह विराजमान हैं। इनके दर्शन-पूजन से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हजारों वर्ष पुराने इस मंदिर का काशी खंड में उल्लेख है।
मान्यताओं व किवदंतियों के अनुसार जब रूरू दैत्य के पुत्र दुर्ग की तपस्या पर ब्रह्मा ने उसे वरदान दिया तब वह देवताओं पर अत्याचार करने लगा। इस पर देवता त्राहिमाम करते हुए भगवान भोलेनाथ की शरण में गए। जिस पर शिव ने पार्वती को दुर्ग का संहार करने को कहा। जिस पर माता पार्वती काल रात्रि को सुंदर स्त्री का रूप धर कर पहुंची। उनकी सुंदरता पर मोहित दुर्ग ने अपने दैत्यों से मां पार्वती को पकड़ कर लाने का आदेश दिया। ज्यों ही दैत्य माता के पास पहुंचे उनकी श्वास से सभी भस्म हो गए। जिस पर कुपित दुर्ग अपनी सेना के साथ उनसे लड़ने के लिए आया। जिस पर माता ¨वध्य के पहाड़ की इसी चोटी पर पहुंची जहां उनका पीछा करते करते दुर्ग भी वहां पहुंच गया। उसे देख कुपित होकर मां पार्वती ने सहस्त्र भुजा धरण कर दुर्ग की सेना का संहार किया और दुर्ग का भी वध किया। तभी से प्रसन्न देवताओं द्वारा उनका नाम दुर्गा रखा। द्वापर के अंत में राजा सुरथ द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया। जो आज भी दुर्गा खोह मंदिर के नाम से जाना जाता है।