पीपल बना ग्रामीणों की आस्था का केंद्र
जासं, गैपुरा(मीरजापुर) : छानबे विकास खंड के गैपुरा चौकी में सदियों पुराना पीपल का पेड़ अ
जासं, गैपुरा(मीरजापुर) : छानबे विकास खंड के गैपुरा चौकी में सदियों पुराना पीपल का पेड़ आस्था का केंद्र बना है। क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ ही पढ़े लिखे व नौकरीपेशा लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र बना हुआ है। इसके लिए एक पुरोहित की नियुक्ति की गई है जो प्रतिदिन सुबह- शाम पूजा-अर्चना करते हैं। पेड़ के पास ही एक आश्रय बना हुआ है। शनिवार के दिन गांव के सैकड़ों लोग सुबह-शाम दीपक जलाने के साथ महिलाएं धागा बांधकर पूजा करतीं हैं। परिसर में पीपल के अलावा नीम व बेल के भी पेड़ लगे है जहां पर दिन भर आने-जाने वालों का तांता लगा रहता है। तेज धूप में जब राहगीर परेशान हो जाते हैं तो इसी वटवृक्ष की छाया में कुछ देर रुक कर आराम करते हैं। इस वृक्ष की सघन छाया में उनकी थकावट दूर हो जाती है। इस पेड़ के आस- पास प्रतिदिन साफ- सफाई कर पानी का छिड़काव किया जाता है जिससे पूरा परिसर हरा-भरा रहता है।
यह पीपल का पेड़ कितना पुराना है अथवा किसने इसे लगाया था। इसके बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। यहां तक की गांव के बड़े बुजुर्ग भी यही कहते है कि वह भी इसके नीचे दोपहरी में खेल चुके हैं। यह जरूर है कि यह वटवृक्ष दिन प्रतिदिन और भी घना होता जा रहा है। शनिवार को विशेष रूप से इस पेड़ की पूजा होती है। गांव की महिला और पुरुष जुटते हैं और ढोल मंजीरे के साथ भजन कीर्तन भी होता है। इसकी छांव में बच्चे दिन भर धमाचौकड़ी मचाते रहते हैं। क्षेत्र के चौकी प्रभारी यादवेंद्र पांडेय ने बताया कि वह भी इस पेड़ की नियमित पूजा करते हैं। पूजा के समय पास की पुलिस चौकी के सिपाही भी इसमें शामिल हो जाते हैं। गांव के पुरोहित ने बताया कि पीपल का पेड़ आक्सीजन के साथ एक धाíमक आचार विचार भी देता है। प्रतिदिन पूजा करने के बाद ही काम की शुरूआत करना आदत बन गई है। उन्होंने बताया कि यह बहुत पुराना पीपल का पेड़ है। किसने पेड़ को लगाया था बताना मुश्किल है। गरमी का महीना हो या सर्द का हर मौसम में आने वालों को सुकून मिलता है।