पौधारोपण से चार वर्ष में 25 फीसद बढ़ा हरियाली दायरा
पिछले चार सालों से प्रदेशभर में कराए जा रहे पौधारोपण के चलते वन क्षेत्रों में 25 प्रतिशत हरियाली बढ़ी है। यही नहीं पर्यावरण के साथ भूमि संरक्षण जलस्तर और मृ़दा आदि में भी काफी सुधार हुआ है जिससे प्रदेश स्तर के अधिकारी के साथ शासन के लोगों ने राहत की सांस ली है। इस सफलता के बाद प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021 में भी पौधरोपण कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए अभी से रणनीति बनाने को कहा गया है।
प्रशांत यादव, मीरजापुर
पिछले चार सालों से प्रदेशभर में कराए जा रहे पौधारोपण के चलते वन क्षेत्रों में 25 प्रतिशत हरियाली बढ़ी है। यही नहीं, पर्यावरण के साथ भूमि संरक्षण, जलस्तर व मृदा आदि में भी काफी सुधार हुआ है। इससे प्रदेश स्तर के अधिकारी के साथ शासन के लोगों ने राहत की सांस ली है। इस सफलता के बाद प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021 में भी पौधारोपण कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए अभी से रणनीति बनाने को कहा गया। पिछले चार सालों के अंदर प्रदेशभर में विभिन्न प्रजातियों के 48 करोड़ पौधे लगाए गए। इसमें वर्ष 2016 में पांच करोड़ पौधे, नौ अगस्त 2019 को 22 करोड़ व वर्ष 2020 में 23 करोड़ पौधे लगाए गए। वन विभाग द्वारा प्रदेश सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि इन चार सालों के अंदर पौधे लगाने से प्रदेश में हरियाली का क्षेत्र बढ़ा है। सबसे अधिक तराई वाले लखनऊ चित्रकूट, मीरजापुर, सोनभद्र समेत अन्य क्षेत्र में हरियाली बढ़ने का क्षेत्रफल अधिक है। ऐसे ही पौधारोपण का कार्यक्रम चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब प्रदेश में हरियाली ही हरियाली दिखेगी।
93 लाख पौधे चार साल में रोपे
मीरजापुर में वर्ष 2016 के दौरान 25 लाख, 2019 के दौरान 23 लाख व 2020 के दौरान 50 लाख पौधे लगाए गए। इसमें 50 लाख वन विभाग व 52 लाख अन्य विभागों द्वारा पौधा लगाया गया है।
सवा लाख हेक्टेयर है वन क्षेत्र का दायरा
मीरजापुर के वन क्षेत्रफल का एरिया सवा लाख हेक्टेयर है। ड्रमंडगंज, लालगंज, मड़िहान, पहाड़ी ब्लाक, चुनार व अहरौरा इलाके में हरियाली बढ़ी है। इन इलाकों में प्लांटेशन की संख्या भी बढ़ी है। पहले 15 थे लेकिन अब 35 हो गए हैं।
पौधारोपण से ये हुए फायदे
प्रदेशभर में पौधारोपण से वन क्षेत्रों में जंगली पशु पक्षी की संख्या बढ़ी है। जंगलों के वीरान होने के चलते तेजी से गायब हो रहे पशु-पक्षी हरियाली लौटने पर दोबारा लौटने लगे हैं। इसमें भालू, मोर, लकड़हारा समेत अन्य पशु पक्षी शामिल हैं। पौधारोपण से भू-संरक्षण भी हुआ है। पर्यावरण में सुधार होने से हुई अच्छी बारिश के चलते जलस्तर में बढ़ोत्तरी में हुई है। मृदा में सुधार आया है। सबसे बड़ी बात ये है कि वे पौधारोपण के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है।
वर्जन
पिछले चार सालों में कराए गए पौधारोपण से प्रदेशस्तर पर हरियाली का दायरा बढ़ा है। इससे जलस्तर, पयार्वरण, मृदा आदि में काफी सुधार हुआ है। सबसे बड़ी बात है कि लोगों में पौधारोपण के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
- राकेश चौधरी प्रभागीय वनाधिकारी