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Young Achievers: बास्केटबॉल के रास्ते सेना है मेरठ के पंकज का लक्ष्य, अपनी प्रतिभा को ऐसे निखारा

Young Achievers जीवन में एक लक्ष्‍य तय करने के बाद उसे पाने की लगातार कोशिशें की आपको सफलता दिलाती है। मेरठ के उभरते बास्केटबॉल खिलाड़ी पंकज के साथ भी कुछ ऐसा ही है। बास्केटबॉल के जरिए ही उन्‍होंने सेना में जाने की ठान रखी है।

By PREM DUTT BHATTEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 09:00 AM (IST)
Young Achievers: बास्केटबॉल के रास्ते सेना है मेरठ के पंकज का लक्ष्य, अपनी प्रतिभा को ऐसे निखारा
पंकज साल 2017 में गढ़मुक्तेश्वर के अबखापुर गांव से शहर आए थे।

मेरठ, [अमित तिवारी]। Young Achievers जिस तरह लोग अपने लक्ष्य साध कर मंजिल का चुनाव करते हैं, ठीक उसी तरह मंजिल भी उस योग्य व्यक्ति का चुनाव करती है जो सही मायने में परिश्रम करके आगे बढ़ता है। मेरठ के उभरते बास्केटबॉल खिलाड़ी पंकज के साथ भी कुछ ऐसा ही है। पंकज स्कूली शिक्षा के दौरान किसी एक खेल में रुचि नहीं रखते थे। कभी कबड्डी खेलते, तो कभी डिस्कस थ्रो और जैवलिन थ्रो सहित तमाम खेल थोड़ा-थोड़ा खेला करते थे। लेकिन 2017 में कोच मिले और उन्होंने बास्केटबॉल की ओर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। पहले तो बिना मन से पंकज ने बास्केटबॉल खेलना शुरू किया लेकिन जल्द ही यह खेल उनका पैशन बन गया। बस तीन साल में ही स्कूल, जिला, इंटर स्कूल, प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता से होते हुए राष्ट्रीय स्तर की बास्केटबॉल प्रतियोगिता तक खेल चुके हैं। पंकज का लक्ष्य सेना में भर्ती होना है। अब उनके इस लक्ष्य की पूर्ति भी इसी खेल के जरिए ही करने की तैयारी में हैं जिससे वहां जाकर भी सेना के लिए बास्केटबॉल खेलते हुए आगे बढ़े।

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सीखा, खेला और फिर खेलते गए

गढ़मुक्तेश्वर के अबखापुर के रहने वाले पंकज साल 2017 में गांव से शहर आए थे। उन्होंने कक्षा ग्यारहवीं में सीजेडीएवी पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया और वहीं पर खेल प्रशिक्षक डॉ विनीत त्यागी ने पंकज को बास्केटबॉल खेलने के लिए प्रेरित किया। स्कूल में बास्केटबॉल कोच कौशलेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में बास्केटबॉल सीखते हुए पंकज काफी तेजी से खेल को आत्मसात करने लगे। खेल प्रशिक्षक के प्रोत्साहन के बाद उन्होंने अपने अभ्यास का समय बढ़ाया और पढ़ाई के अलावा अधिकतर समय बॉस्केटबॉल की ट्रेनिंग व अभ्यास को देने लगे। इससे उनके खेल में निखार आता गया और स्कूल की टीमों में प्रतिभाग भी करने लगे। पिछले साल 2020 में 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास कर वह स्नातक प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले 3 सालों में पंकज ने स्कूल स्तर की प्रतियोगिता से लेकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता तक का सफर तय किया है। वह राष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन को और सुधारने के लिए लगातार परिश्रम भी कर रहे हैं। 12वीं के बाद अब विश्वविद्यालय व कॉलेज स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे।

स्कूली प्रतियोगिता में चमके और नेशनल में पहुंचे

पंकज ने डीएवी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करते हुए तमाम प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है। देश भर में डीएवी के स्कूलों में भी इंटर स्कूल प्रतियोगिताएं होती हैं जो प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर तक जाती हैं। डीएवी के जोनल में अक्टूबर 2018 में पंकज ने हिस्सा लिया था। उसके बाद अंडर-19 नेशनल बास्केटबॉल में भी हिस्सा लेकर बेहतरीन प्रदर्शन किया था। दिसंबर 2019 में इंटर स्कूल स्पोर्ट्स गेम्स कंपटीशन हुए थे उसमें भी डीएवी मेरठ का प्रतिनिधित्व किया था। 2018-19 में डीएवी नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया इंटर स्कूल स्पोर्ट्स गेम्स कंपटीशन में हिस्सा लिया था। इसमें उत्तर प्रदेश जोन का प्रतिनिधित्व किया था। इसके पहले जयपाल सिंह मुंडा मेगा स्पोर्ट्स कंपलेक्स रांची में दिसंबर 2018 में प्रतियोगिता हुई थी। 2019 में सीबीएसई की इंटर स्कूल स्पोर्ट्स एंड गेम्स कंपटीशन में भी हिस्सा लेकर क्लस्टर तक पहुंचे थे। उपयोगिता अंडर-17 की थी जो अक्टूबर 2019 में सहारनपुर के ब्राउन वुड पब्लिक स्कूल में हुई थी। इसके बाद पंकज को 37वें सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का अवसर मिला था। यह प्रतियोगिता फरवरी 2020 में आनंदपुर साहिब में हुई थी।

फ्लाइट छूटी और नौकरी भी छूट गई

सेना में जाने के इच्छुक पंकज को पिछले महीने ही खेल कोटे से सेना की भर्ती में हिस्सा लेने का अवसर मिला था। यह भर्ती पुणे में हुई थी। स्पोर्ट्स कोटे में इस भर्ती में जाने के लिए पंकज अपनी सगी बहन की शादी छोड़ कर निकले थे लेकिन फ्लाइट छूट जाने के कारण वह भर्ती रैली तक नहीं पहुंच सके। पहले मिली सूचना के अनुसार यह रैली 13 दिसंबर को होनी थी। अचानक 9 दिसंबर को पता चला कि रैली 10 को ही है। आनन-फानन में पुणे के लिए रवाना हुए पंकज व उनके एक साथी एयरपोर्ट तो पहुंचे लेकिन 20 मिनट देरी से। उन लोगों के थोड़ी देर पहले ही दो अन्य को प्रवेश मिल चुका था और उसके बाद काफी मिन्नतें करने के बाद भी सुरक्षाकर्मियों ने जाने की अनुमति नहीं दी। संभव है कि खेल प्रदर्शन के आधार पर यह अवसर उनके लिए स्वर्णिम हो सकता था लेकिन नहीं हो सका। पंकज के अनुसार अब फिर से उनका फोकस खेल पर है और वह अगली रैली में पूरा जोर लगा कर कोशिश करेंगे।


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