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Young Achievers: ग्रांड प्रिक्स में पहुंचे तो पैरालिम्पिक में भी लंबी कूदेंगे मेरठ के सौरभ त्यागी

Young Achievers अपने सपनों को पूरा करने के लिए लंबी छलांग भरने वाले मेरठ के सौरभ त्यागी पैरा एथलीट हैं और टी-42 दिव्यांगता के साथ लंबी कूद खेलों में प्रतिभाग करते हैं। अपने प्रदर्शन से वह एशियन रिकॉर्ड तक पहूंच चुके हैं।

By PREM DUTT BHATTEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 08:50 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 08:50 AM (IST)
Young Achievers: ग्रांड प्रिक्स में पहुंचे तो पैरालिम्पिक में भी लंबी कूदेंगे मेरठ के सौरभ त्यागी
सौरभ त्यागी के दाहिने पांव में पोलियो है। जन्म के एक डेढ़ महीने में ही इसका पता चल गया था।

मेरठ, [अमित तिवारी] । Young Achievers जिंदगी इम्तेहान लेती है। कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है, जब इम्तेहान लेने से पहले जिंदगी रास्तों को और कठिन बना देती है। कठिन रास्तों से होकर इन इम्तहानों को जो पास करता है, वही जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है। मेरठ के पैरा एथलीट सौरभ त्यागी ऐसी ही कठिन परिस्थितियों में इम्तेहान देने में जुटे हैं। कुछ इम्तेहान पार हो गए तो कुछ बात होने बाकी हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए लंबी छलांग भरने वाले सौरभ त्यागी पैरा एथलीट हैं और टी-42 दिव्यांगता के साथ लंबी कूद खेलों में प्रतिभाग करते हैं। अपने प्रदर्शन से वह एशियन रिकॉर्ड तक पहूंच चुके हैं। बस अब एक मौके की तलाश में है जब देश के बाहर विदेशी जमीन पर रिकॉर्ड बना सके और देश के लिए पदक जीतकर लौट सकें। दो मौके मिले भी लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह उन मौकों को भुनाने नहीं जा सके। इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लंबी कूद में नित नए रिकॉर्ड बनाने की कोशिश में जुटे हैं।

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चलने में भी परेशानी, पर लगाते हैं लंबी छलांग

सौरभ त्यागी के दाहिने पांव में पोलियो है। जन्म के एक डेढ़ महीने के भीतर ही इसका पता चल गया था। इनके बाएं पांव से दाहिना पांव 12 इंच पतला है। इसके कारण उन्हें चलने में भी दिक्कत होती है। स्कूली शिक्षा के बाद उन्हें पैरा खेलों की जानकारी मिली। कोच गौरव त्यागी ने पैरा खेलों के महत्व को समझाया और   उनके हुनर को परखा। इसके बाद सौरव ने दौड़ना शुरू किया। पैरा खेलों के पहले दोस्तों के साथ क्रिकेट खेला करते थे। क्रिकेट में सौरभ काफी अच्छे थे लेकिन जब उन्हें पैरा गेम्स के बारे में पता चला तो उन्होंने लंबी कूद की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। बेहतरीन प्रशिक्षण मिला और उनके प्रदर्शन में बेहतरीन निखार भी आया। साल 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बाद सौरभ त्यागी का चयन 2019 पेरिस ग्रैंड प्रिक्स के लिए हो गया। प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन करने के साथ ही सौरभ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने लगे। वर्ष 2018 में सौरव ने लंबी कूद में 18वें नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 4.75 मीटर की छलांग लगाई थी। यह प्रतियोगिता हरियाणा के पंचकुला में 25 से 29 मार्च 2018 तक हुई थी।

जीतते गए पदक, बढ़ता गया हौसला

पैरा एथलीट सौरभ त्यागी ने साल 2016 में प्रदेश स्तरीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर की दौड़ में हिस्सा लिया था और स्वर्ण पदक जीते थे। इसके साथ ही उन्होंने 200 मीटर दौड़ में भी स्वर्ण पदक जीता और लंबी कूद में भी स्वर्ण पदक लेकर लौटे। एक प्रतियोगिता से तीन पदक तीन स्वर्ण पदक लेने के बाद उनका हौसला और भी बढ़ गया। साल 2017 में प्रदेश स्तरीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी सौरभ ने 100 मीटर दौड़, 200 मीटर दौड़ और लंबी कूद में स्वर्ण पदक जीता। 2017 में नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लंबी कूद में हिस्सा लिया और रजत पदक जीते। 2018 में प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में 100 व 200 मीटर दौड़ और लंबी कूद में स्वर्ण पदक जीतकर आए। 2019 की प्रतियोगिताओं में भी उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा।

बैंक अकाउंट खाली था, इसलिए नहीं मिला वीजा

मेरठ में किला रोड पर अलीपुर गांव के रहने वाले पैरा एथलीट सौरभ त्यागी ने अपनी प्रतिभा के दम पर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए 2019 में क्वालीफाई किया था। पहले पोलिस स्पोर्ट एसोसिएशन की प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई हुए और उसके बाद पेरिस ग्रैंड प्रिक्स के लिए भी क्वालीफाई कर लिया था। लेकिन इन प्रतियोगिताओं का वीजा न मिल पाने के कारण हुआ इसमें हिस्सा लेने नहीं जा सके। दोनों प्रतियोगिताएं यूरोपीय देशों पोलैंड और पेरिस में होनी थी। उनके बैंक खाते में सालाना साढ़े चार लाख रुपये का ट्रांजैक्शन नहीं होने के कारण उन्हें वीजा नहीं मिला। बेहतरीन प्रदर्शन के साथ इन दोनों प्रतियोगिताओं के लिए क्वालीफाई होने के बावजूद उनका टैलेंट किसी काम नहीं आ सका। भारतीय टीम के चयनकर्ताओं ने भी उन्हें टीम के साथ भेजने की कोई व्यवस्था नहीं की। इतना ही नहीं 2019 में ही सौरव त्यागी ने पैरा एथलेटिक्स की वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी क्वालीफाई कर लिया था, लेकिन इस प्रतियोगिता में भी नहीं जा सके। दरअसल वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए खिलाड़ी को इससे पहले किसी न किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेना जरूरी होता है। दो ग्रैंड प्रिक्स में चयनित होने के बाद भी नहीं जा पाने के कारण वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी सौरभ नहीं जा सके। इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए की गई कार्यवाही के दौरान सौरभ त्यागी के करीब एक लाख रुपये भी खर्च हो गए। न प्रतियोगिता में हिस्सा ले सके, न रुपए वापस आ सके। इस निराशा के बाद लगभग टूट चुके सौरभ त्यागी को उनके बड़े भाई गौरव त्यागी ने प्रोत्साहित किया और आगे बढ़ने को प्रेरित किया। गौरव ने सौरभ से कहा कि वह मैदान के बाहर उन्हें हारने नहीं देंगे और मैदान के भीतर जितना कैसे है यह उन्हें अच्छी तरह से पता है। गौरव दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं। बड़े भाई गौरव त्यागी और कोच गौरव त्यागी ने सौरभ को आगे बढ़ने की हिम्मत और हौसला देने में बहुत अधिक भूमिका निभाई है।

...तो उनके नाम होता वर्ल्ड चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक

सौरभ के पिता दयानंद त्यागी किसान है। वह घर में खेती में भी समय-समय पर हाथ बंटाते रहते हैं। सौरभ ने होम ग्राउंड पर 5.65 मीटर की लंबी कूद लगाई है, जबकि उनके दिव्यांगता वर्ग में लंबी कूद का एशिया रिकॉर्ड 5.37 मीटर है। 2019 के वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए हुए क्वालीफाइंग प्रतियोगिता में सौरभ ने 5.25 मीटर की लंबी कूद लगाई थी। यह उनका देश में सबसे बेहतर प्रदर्शन था। दूसरे स्थान पर रजत पदक पाने वाले खिलाड़ी ने 5.05 मीटर की छलांग लगाई थी। वीजा न मिलने से सौरभ प्रतियोगिता में हिस्सा लेने नहीं जा सके जबकि उस वर्ल्ड चैंपियनशिप में श्रीलंका के खिलाड़ी ने 4.89 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था। भारतीय खिलाड़ी ने 4.50 मीटर की छलांग लगाई थी। सौरभ के अनुसार अगर वह उस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जाते तो देश के नाम वर्ल्ड चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक लेकर ही लौटते।

अब दुबई ग्रांड पिक्स पर नजर, फिर पैरालंपिक्स की क्वालीफाइंग प्रतियोगिता

सौरभ त्यागी के अनुसार अब उनकी नजर में 2021 की आठ प्रतियोगिताओं पर हैं। इसमें अप्रैल तक ही दो ग्रांड प्रिक्स प्रतियोगिताएं हैं। दुबई में ख्वाजा ग्रांड प्रिक्स प्रतियोगिता 8 से 13 फरवरी तक होगी। इसके बाद मार्च में चीन में एक ग्रांड प्रिक्स प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इन दोनों में से किसी एक या फिर दोनों में सौरभ प्रतिभाग करने जाना चाहते हैं। इसके लिए चयन का आधार संभवत 2019 की क्वालीफाइंग प्रतियोगिता को ही माना जाएगा। ऐसा हुआ तो भारतीय टीम का हिस्सा बनकर सौरभ दुबई में हिस्सा लेने जरूर जाएंगे। वह अपनी तैयारी के अनुसार एशिया रिकॉर्ड को पीछे छोड़ चुके हैं और बेहतरीन प्रदर्शन के लिए तैयार हैं। फरवरी में ही 18 से 22 फरवरी तक कर्नाटक में नेशनल पैरा एथलेटिक चैंपियनशिप की प्रतियोगिताएं भी होनी है। उसमें भी सौरव हिस्सा लेंगे और उनका लक्ष्य स्वर्ण पदक से नीचे कुछ नहीं है। अप्रैल से पहले अगर ग्रांड प्रिक्स में प्रतिभाग लेकर पदक जीतकर सौरभ लौटते हैं, तो अप्रैल के बाद टोक्यो ओलंपिक क्वालीफाइंग राउंड भी होंगे। उसमें सौरभ हिस्सा ले सकेंगे। उन्हें पूरी उम्मीद है कि पैरालीम्पिक के क्वालीफाइंग राउंड में वह जरुर सफल होंगे और देश की टीम में शामिल होकर पैरालिम्पिक में हिस्सा लेने भी जाएंगे।


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