खुद व दूसरों के लिए भी निकाल पा रहे हैं वक्त
इस लॉकडाउन में घर में रहते हुए बोर होने की जरूरत नहीं है।
मेरठ, जेएनएन। इस लॉकडाउन में घर में रहते हुए बोर होने की जरूरत नहीं है। घर पर भी बहुत काम है, जिसे करने लगे तो वक्त का पता भी नहीं चलेगा। इसे शहर में टीनएजर्स और युवतियां अपने घर पर रहते हुए साबित भी कर रही हैं। मोबाइल और टीवी से हटकर भी कई तरह के रचनात्मक कार्य भी कर रही हैं। मम्मी के साथ किचन में भी जा रही हैं तो कई रचनात्मक कार्य भी कर रही हैं। कुछ की कहानी पढ़एि.. मास्क और सैनिटाइजर बनाकर जरूरमंद को देती हूं : हिना
मैं डीएन डिग्री कॉलेज से बीएससी फाइनल ईयर की छात्रा हूं। सच कहूं तो मुझे यह लॉकडाउन बहुत अच्छा लगने लगा है। पहले जिन कामों के लिए वक्त नहीं मिलता था। अब उसके लिए पूरा वक्त दे पा रही हूं। घर का काम करती हूं। जरूरतमंद लोगों की मदद भी करती हूं। मैंने अब घर पर मास्क बनाना शुरू कर दिया है। इसमें मैं नए रुमाल का इस्तेमाल करती हूं। मास्क बनाकर जरूरतमंद लोगों को देती हूं। सैनिटाइजर को लेकर जिस तरह से मारामारी मची हुई है, उसमें मैं घर पर ही सैनिटाइजर भी बना रही हूं। यह बिलकुल आसान है। एक लीटर पानी में नीम के 20 पत्ते, तुलसी के 20 पत्ते, 10 ग्राम एलोवेरा, 10 ग्राम फिटकरी और कपूर मिलाकर उसे उबाल देती हूं। इसके बाद उसे छान कर सैनिटाइजर तैयार हो जाता है। यह मेंरे घर के लोग भी इस्तेमाल करते हैं। साथ ही आसपास के जरूरतमंद लोगों को भी मैं इसे उपलब्ध करा रहीं हूं। जो पाकेट मनी है, उससे मैं जरूरतमंद लोगों की मदद कर रही हूं। मुझे लगता है कि इस लॉकडाउन ने हमें खुद को पहचानने के साथ समाज के लिए भी सोचने के लिए एक अवसर दिया है। एक बात और घर पर मैं कॉलेज की पढ़ाई भी कर रही हूं। मैंने कोरोना कोविड-19 वायरस की संरचना का चार्ट भी तैयार किया है। ऑनलाइन इस वायरस के विषय में बहुत सारी जानकारी भी एकत्रित की है। मुझे पेंटिग और क्राफ्ट बनाने बहुत शौक है। टाइम मैनेजमेंट भी सींख लिया है। घर की बेकार की चीजों से भी मैं कई उपयोगी चीज बनाने का तरीका भी सीख रही हूं।
हिना मुस्कान, फाजलपुर, मेरठ लॉकडाउन नहीं..गृह-तपस्या है ये : अनम
मै आरजी डिग्री कॉलेज से बीए की पढ़ाई कर रही हूं। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने से परीक्षा स्थगित हो गई तो लगा अब सारा दिन घर पर क्या करुंगी। फिर मैंने एक टाइम टेबल बनाया तब लगा कि इतनी सारी चीजें थीं, जिन्हें कॉलेज और कोचिग के चलते नहीं कर पा रही थी । सुबह उठकर सबसे पहले दैनिक जागरण पढ़ती हूं। फिर छोटी बहन और भाई के साथ अंत्याक्षरी और शब्दों के ज्ञान पर खेल खेलती हूं। स्कूल - कॉलेज के चलते इन सब के लिए टाइम नहीं मिलता था। अब परिवार के साथ क्वालिटी टाइम मिल रहा है। दादा दादी पुराने किस्से सुनाते हैं जो बहुत प्रेरणादायक है, जिनसे हम अभी तक वंचित थे। वही, पढ़ाई के लिए भी काफी टाइम मिल रहा है, जिसका मैं पूरा लाभ उठा रही हूं। 'इस वैश्विक महामारी का समाज पर प्रभाव' विषय पर अध्ययन कर रही हूं। अखबार की महत्वपूर्ण जानकारी की कटिग को एक फाइल पर पेस्ट कर रही हूं। शाम के वक्त छत पर जाकर वॉक करती हूं। पहले से ज्यादा फिट रहने लगी हूं। पहले किचन के लिए टाइम नही मिलता था। अब किचन के काम करती हूं। मम्मी से नई-नई डिश को बनाना सीख रही हूं। इसके लिए यूट्यूब का भी सहारा ले लेती हूं। मुरादाबादी दाल और टोमेटो सूप अच्छी तरह से सीख लिया है। अब रोटियों को गोल बनाना सीख रही हूं। किताबें पढ़ने का शौक है जिसे पूरा कर रही हूं। थोड़ा टाइम स्केचिग के लिए भी मिल रहा है। लॉकडाउन ने भरपूर समय दिया है। यह संक्रमित बीमारी से लड़ने का लॉकडाउन ही नही है बल्कि गृह तपस्या है जिसे पूरा करने का सार्थक प्रयास कर रही हूं। -अनम, बुनकर नगर, मेरठ अपनी दिनभर की कहानी..ईमेल कीजिए
अगर आप डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, इंजीनियरिग कॉलेज, सीए आदि की पढ़ाई करती हैं। लॉकडाउन में किस तरह से समय बीता रही हैं। क्या कुछ नया सीखने का प्रयास कर रही हैं। घर पर रहते रचनात्मक कार्य के अनुभव कैसे हैं। आदि विषयों को बताना चाहती हैं तो ईमेल पर लिखकर अपनी फोटो के साथ भेज सकती हैं।