खुशखबरी : योगी सरकार ने मांगा मेरठ एयरपोर्ट का मास्टर प्लान
मेरठ में हवाई अड्डे के लिए योगी सरकार गंभीर नजर आ रही है। प्रदेश सरकार ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन विभाग से मास्टर प्लान मांगा है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 14 Oct 2018 02:03 PM (IST)Updated: Sun, 14 Oct 2018 02:04 PM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। चुनावी साल में एक बार फिर मेरठ की हवाई उड़ान को लेकर गंभीर कवायद शुरू हो गई है। मेरठ के लगातार जनप्रतिनिधियों के दबाव के बाद आखिरकार सूबे के मुख्यमंत्री ने पश्चिमी उप्र के विकास का हवाला और यहां की जनता की जरूरत बताते हुए मेरठ और सहारनपुर में रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत हवाई अड्डा दिए जाने की मांग की है। मुख्यमंत्री के इस पत्र के बाद प्रशासनिक स्तर पर भी कार्रवाई तेज कर दी गई है।
शीघ्र उपलब्ध कराएं
11 अक्टूबर को ही प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग के प्रमुख सचिव एसपी गोयल ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन विभाग के सचिव आरएन चौबे को पत्र लिखकर मेरठ और सहारनपुर में एयरपोर्ट की जरूरत बताई है और अनुरोध किया है कि जिस तरह से भारत सरकार ने फैजाबाद हवाई अड्डे का मास्टर प्लान प्रदेश सरकार को मुहैया कराया है, वैसे ही मेरठ की हवाई पट्टी को एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने और सहारनपुर हवाई अड्डे पर सिविल टर्मिनल के विकास के लिए भूमि की आवश्यकता को दर्शाते हुए मास्टर प्लान शीघ्र उपलब्ध कराया जाए। मेरठ शहर के पूर्व विधायक डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के हाल ही में मुख्यमंत्री से भेंट के बाद यह पत्र भारत सरकार को लिखा गया है।
मेरठ की डीपीआर तो किटको भी बना चुकी है
केरल की किटको कंपनी से एएआइ ने करोड़ों खर्च कर डीपीआर भी तैयार कराई हुई है। कंपनी ने मेरठ की मिट्टी की जांच, आसपास की स्थिति, इकोनॉमिक वायबिलिटी आदि विषयों पर रिपोर्ट तैयार की, लेकिन उसके बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई। कुछ माह पूर्व एएआइ की ओर से दक्षिण भारत में शहरों के बीच उड़ने वाले छोटे विमान डोर्नियर-228 का सुझाव दिया। इस पर भी अब तक कोई प्रगति नहीं है।
इस बार तो प्रभु भी गंभीर लगते हैं
डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने आठ अक्टूबर को लखनऊ में मुख्यमंत्री और नौ अक्टूबर को उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी से मुलाकात के बाद केंद्रीय नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु से फोन पर बात की और उन्हें पूरे प्रकरण से अवगत कराया। साथ ही यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सभास्थल पर ही पीएम ने एयरपोर्ट का वादा किया था। इसके बाद से तमाम मंचों पर यह वादा दोहराया जाता रहा। एएआइ को हवाई पट्टी सौंपे जाने के बाद से भी आज तक एक धेला नहीं रखा गया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर मौजूदा हवाई पट्टी का उच्चीकरण-विस्तारीकरण नहीं किया जाता है तो फिर बिडिंग में कोई विमानन कंपनी क्यों आकर्षित होगी। डा. बाजपेयी का कहना है कि सोमवार को वे प्रभु से मिलेंगे भी। उन्होंने इस पर पूरी रिपोर्ट अपने सचिव को भेजने की बात कही, जो भेज दी गई है।
यह भी जान लीजिए, जमीन आरक्षित है, दाम तय है
सुरेश प्रभु को लिख गए पत्र में यह भी बताया गया है कि मेरठ को हवाई पट्टी के लिए 600 किसानों की एकड़ भूमि एयरपोर्ट के लिए महायोजना-2011 में आरक्षित है। इसके अधिग्रहण के लिए तत्कालीन डीएम पंकज यादव ने 5600 रुपये प्रति वर्ग मी. का रेट भी तय कर दिया गया था लेकिन, मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसी दौरान भारत सरकार ने भी घाटे का सौदा बताकर अपनी फाइल बंद कर ली थी। इसके समाधान की कोशिश भी गत वर्ष में मंडलायुक्त ने की थी। इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न को पॉजीटिव करने के लिए हवाई अड्डे के लिए एकड़ की बजाय 227 एकड़ भूमि पर रजामंदी का प्रयास शुरू किया गया था। इसका ले-आउट प्लान भी सुझाया गया, ताकि एटीआर-42 और एटीआर-72 जैसे मझोले विमान उड़ सकें। इस सुझाव पर अमल नहीं हुआ।
मेरठ और सहारनपुर में एयरपोर्ट जरूरी है, बनवा दीजिए: योगी
रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत प्रथम व द्वितीय बिडिंग में उप्र के 11 एयरपोर्ट का चयन किया गया है। उप्र के मेरठ और सहारनपुर (सरसावा) स्थित एयरपोर्ट्स रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम की सूची में अनरिजर्वड एयरपोर्ट के रूप में शामिल हैं, जिनका चयन अभी तक नहीं हुआ है। यह दोनों एयरपोर्ट्स पश्चिमी उप्र में हैं और इन्हें छोटे वायुयानों के लिए दिल्ली एयरपोर्ट के वैकल्पिक एयरपोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जिसमें न केवल दिल्ली एयरपोर्ट के बढ़ते यात्रियों का दबाव कम किया जा सकता है बल्कि राज्य के आम नागरिकों को भी सुविधा होगी। इसके अतिरिक्त व्यापार, पर्यटन और उद्योग की दृष्टि से भी मेरठ और सहारनपुर का पश्चिमी उप्र में महत्वपूर्ण स्थान है। अत: इन स्थानों से वायुसेवा की शुरुआत पश्चिमी उप्र में आर्थिक विकास को भी प्रेरित करेगी। यह भी बता दें कि मेरठ में राज्य सरकार द्वारा विकसित की गई एक हवाई पट्टी पहले से ही है। इसके व्यावसायिक उपयोग की दृष्टि से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) ने पूर्व में यहां एक समस्त सुविधाआ युक्त हवाई अड्डे के विकास की योजना बनाई थी, जिनके परिपेक्ष्य में राज्य सरकार और एएआइ के बीच 24 फरवरी, 2014 को एमओयू हुआ और 4 जुलाई, 2014 को हवाई पट्टी एएआइ को स्थानांतरित की गई। इन तथ्यों के आधार पर यह आवश्यक है कि मेरठ और सहारनपुर में रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत नो-फिल्स एयरपोर्ट का निर्माण और हवाई सेवा को प्रारंभ किया जाए।
(मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 3 अगस्त, 2018 को केंद्रीय नागर विमानन मंत्री को लिखे पत्र का मुख्य अंश)
शीघ्र उपलब्ध कराएं
11 अक्टूबर को ही प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग के प्रमुख सचिव एसपी गोयल ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन विभाग के सचिव आरएन चौबे को पत्र लिखकर मेरठ और सहारनपुर में एयरपोर्ट की जरूरत बताई है और अनुरोध किया है कि जिस तरह से भारत सरकार ने फैजाबाद हवाई अड्डे का मास्टर प्लान प्रदेश सरकार को मुहैया कराया है, वैसे ही मेरठ की हवाई पट्टी को एयरपोर्ट के रूप में विकसित करने और सहारनपुर हवाई अड्डे पर सिविल टर्मिनल के विकास के लिए भूमि की आवश्यकता को दर्शाते हुए मास्टर प्लान शीघ्र उपलब्ध कराया जाए। मेरठ शहर के पूर्व विधायक डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के हाल ही में मुख्यमंत्री से भेंट के बाद यह पत्र भारत सरकार को लिखा गया है।
मेरठ की डीपीआर तो किटको भी बना चुकी है
केरल की किटको कंपनी से एएआइ ने करोड़ों खर्च कर डीपीआर भी तैयार कराई हुई है। कंपनी ने मेरठ की मिट्टी की जांच, आसपास की स्थिति, इकोनॉमिक वायबिलिटी आदि विषयों पर रिपोर्ट तैयार की, लेकिन उसके बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई। कुछ माह पूर्व एएआइ की ओर से दक्षिण भारत में शहरों के बीच उड़ने वाले छोटे विमान डोर्नियर-228 का सुझाव दिया। इस पर भी अब तक कोई प्रगति नहीं है।
इस बार तो प्रभु भी गंभीर लगते हैं
डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने आठ अक्टूबर को लखनऊ में मुख्यमंत्री और नौ अक्टूबर को उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नंदी से मुलाकात के बाद केंद्रीय नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु से फोन पर बात की और उन्हें पूरे प्रकरण से अवगत कराया। साथ ही यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सभास्थल पर ही पीएम ने एयरपोर्ट का वादा किया था। इसके बाद से तमाम मंचों पर यह वादा दोहराया जाता रहा। एएआइ को हवाई पट्टी सौंपे जाने के बाद से भी आज तक एक धेला नहीं रखा गया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर मौजूदा हवाई पट्टी का उच्चीकरण-विस्तारीकरण नहीं किया जाता है तो फिर बिडिंग में कोई विमानन कंपनी क्यों आकर्षित होगी। डा. बाजपेयी का कहना है कि सोमवार को वे प्रभु से मिलेंगे भी। उन्होंने इस पर पूरी रिपोर्ट अपने सचिव को भेजने की बात कही, जो भेज दी गई है।
यह भी जान लीजिए, जमीन आरक्षित है, दाम तय है
सुरेश प्रभु को लिख गए पत्र में यह भी बताया गया है कि मेरठ को हवाई पट्टी के लिए 600 किसानों की एकड़ भूमि एयरपोर्ट के लिए महायोजना-2011 में आरक्षित है। इसके अधिग्रहण के लिए तत्कालीन डीएम पंकज यादव ने 5600 रुपये प्रति वर्ग मी. का रेट भी तय कर दिया गया था लेकिन, मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसी दौरान भारत सरकार ने भी घाटे का सौदा बताकर अपनी फाइल बंद कर ली थी। इसके समाधान की कोशिश भी गत वर्ष में मंडलायुक्त ने की थी। इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न को पॉजीटिव करने के लिए हवाई अड्डे के लिए एकड़ की बजाय 227 एकड़ भूमि पर रजामंदी का प्रयास शुरू किया गया था। इसका ले-आउट प्लान भी सुझाया गया, ताकि एटीआर-42 और एटीआर-72 जैसे मझोले विमान उड़ सकें। इस सुझाव पर अमल नहीं हुआ।
मेरठ और सहारनपुर में एयरपोर्ट जरूरी है, बनवा दीजिए: योगी
रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत प्रथम व द्वितीय बिडिंग में उप्र के 11 एयरपोर्ट का चयन किया गया है। उप्र के मेरठ और सहारनपुर (सरसावा) स्थित एयरपोर्ट्स रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम की सूची में अनरिजर्वड एयरपोर्ट के रूप में शामिल हैं, जिनका चयन अभी तक नहीं हुआ है। यह दोनों एयरपोर्ट्स पश्चिमी उप्र में हैं और इन्हें छोटे वायुयानों के लिए दिल्ली एयरपोर्ट के वैकल्पिक एयरपोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जिसमें न केवल दिल्ली एयरपोर्ट के बढ़ते यात्रियों का दबाव कम किया जा सकता है बल्कि राज्य के आम नागरिकों को भी सुविधा होगी। इसके अतिरिक्त व्यापार, पर्यटन और उद्योग की दृष्टि से भी मेरठ और सहारनपुर का पश्चिमी उप्र में महत्वपूर्ण स्थान है। अत: इन स्थानों से वायुसेवा की शुरुआत पश्चिमी उप्र में आर्थिक विकास को भी प्रेरित करेगी। यह भी बता दें कि मेरठ में राज्य सरकार द्वारा विकसित की गई एक हवाई पट्टी पहले से ही है। इसके व्यावसायिक उपयोग की दृष्टि से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ) ने पूर्व में यहां एक समस्त सुविधाआ युक्त हवाई अड्डे के विकास की योजना बनाई थी, जिनके परिपेक्ष्य में राज्य सरकार और एएआइ के बीच 24 फरवरी, 2014 को एमओयू हुआ और 4 जुलाई, 2014 को हवाई पट्टी एएआइ को स्थानांतरित की गई। इन तथ्यों के आधार पर यह आवश्यक है कि मेरठ और सहारनपुर में रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत नो-फिल्स एयरपोर्ट का निर्माण और हवाई सेवा को प्रारंभ किया जाए।
(मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 3 अगस्त, 2018 को केंद्रीय नागर विमानन मंत्री को लिखे पत्र का मुख्य अंश)
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