Yoga In Corona: अभ्यंतर कुंभक प्राणायाम कर बनाएं फेफड़ों को मजबूत, जानिए मेरठ के योग शिक्षक की राय
इनदिनों कोरोना संकट के दौर में जिस तरह वायरस फेफड़ों को निशाना बना रहा है उसमें फेफड़ों से संबंधित योग का अभ्यास स्वास्थ्य के लिए हितकारी हो सकता है। अभ्यंतर कुंभक प्राणायाम उन्हीं में से एक है। इसके बारे में जानिए बहुत कुछ।
मेरठ, जेएनएन। Yoga In Corona योग एक तरह से मन, मस्तिष्क और शरीर की औषधि की तरह कार्य करता है। स्वस्थ शरीर के लिए नियमित रूप से योग करना बेहद जरूरी है। यह कहना है योग शिक्षक डा. ब्रह्मïदत्त का। उन्होने बताया कि कोरोना संकट के दौर में जिस तरह वायरस फेफड़ों को निशाना बना रहा है उसमें फेफड़ों से संबंधित योग का अभ्यास स्वास्थ्य के लिए हितकारी हो सकता है। अभ्यंतर कुंभक प्राणायाम उन्हीं में से एक है। आइए जानते हैं इसे करने के फायदे व तरीके के बारे में।
अभ्यंतर कुंभक करने का तरीका
इस प्राणायाम को करने के लिए सबसे पहले पद्मासन या सावधान मुद्रा में बैठ जाएं। फिर पूरी सांस को बाहर निकालेंगे और नाभि से नीचे के पेट का हिस्से को अंदर दबाएंगे। इसके बाद गहरी सांस लेकर उसे फेफड़ों में रोककर रखेंगे। इसके बाद जालंधर बंध लगाएंगे यानी गर्दन को झुकाते हुए ठुड्ढी को गर्दन से स्पर्श कराएंगे। इसके बाद जितनी देर संभव हो इस अवस्था में रहे। ध्यान रहे कि जब सांस को छोडऩा हो तब जालंधर बंध की मुद्रा से वापस आते हुए सामान्य अवस्था में बैठकर सांस को छोड़ें। इस अभ्यास को तीन से पांच बार दोहराएं। उच्च रक्तचाप वाले मरीज इस प्राणायाम को करने से बचे।
अभ्यंतर कुंभक के लाभ
- फेफड़ों संबंधी समस्याओं में राहत देता है और उसे मजबूत बनाता है। आक्सीजन का स्तर भी ठीक रहता है।
- सही ढंग से किया जाए तो रक्त संचार सही ढंग से होने लगता है।
- मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों को सक्रिय करता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है व पेट संबंधी विकार में लाभ होता है।