मीट प्लांट पर सील की कार्रवाई रुकवाने हाईकोर्ट पहुंचे याकूब कुरैशी
मीट प्लांट पर एमडीए द्वारा सील लगाने की कार्रवाई के खिलाफ याकूब कुरैशी हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। एमडीए को यह कार्रवाई 12 फरवरी को करनी थी।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 11:31 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 11:31 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी के मीट प्लांट के स्टे को शासन ने निरस्त कर दिया था। इस पर एमडीए ने 12 फरवरी को सील लगाने की तैयारी की थी। लेकिन एक बार फिर पूर्व मंत्री ने आदेश के खिलाफ प्रयागराज हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। जिसकी पहली सुनवाई शुक्रवार को थी। कोर्ट में मेरठ विकास प्राधिकरण के वकीलों ने अपना पक्ष रखा। मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को होगी।
एमडीए ने पहले ही दिया था सुझाव
बता दें कि हापुड़ रोड स्थित पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी के मीट प्लांट का कुछ हिस्सा रोड वाइडिंनिंग और कुछ हिस्सा सार्वजनिक भूमि में आता है तो कुछ हिस्सा ग्रीन वर्ज में है। पूर्व मंत्री ने कुछ वर्ष पूर्व प्लांट के मानचित्र को स्वीकृति कराने के लिए एमडीए में आवेदन किया था। इस पर एमडीए ने ग्रीन वर्ज और रोड वाइडिनिंग वाले हिस्से को तोड़ने को कहा। साथ ही सार्वजनिक भूमि वाले हिस्से को कहीं और उपलब्ध कराने का सुझाव दिया
कमिश्नर कोर्ट में की अपील
इसके बाद पूर्व मंत्री एमडीए के खिलाफ कमिश्नर कोर्ट चले गए। वहीं बोर्ड बैठक में भी मामला रखा,लेकिन वह खारिज कर दिया गया।इसके बाद याकूब के बेटे व मैसर्स अलफहीम मीटेंक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक इमरान ने भी कमिश्नर कोर्ट की आपत्तियों के खिलाफ आवास एवं शहरी नियोजन विभाग में अपील की थी। लेकिन बुलंदशहर कांड के बाद शासन के निर्देश पर जब एमडीए ने प्लांट सील करने की तैयारी की तब प्लांट के निदेशक ने कार्रवाई पर शासन से स्टे ले लिया। स्टे को विशेष सचिव राजेश कुमार पांडेय ने गत दिनों निरस्त कर दिया। इसके बाद एमडीए सील लगाने की तैयारी में था। 12 फरवरी को सील लगाने की योजना थी।
एमडीए में किया प्रदर्शन
पर्यावरण सुधार संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने इसे लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण परिसर में प्रदर्शन किया। समिति के महामंत्री शक्ति मोहन ने कहा कि यह सब जिला प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। कार्रवाई के लिए लंबा समय दिया गया। जिससे याकूब ने स्टे के लिए हाईकोर्ट में वकील खड़ा कर दिया। उन्होंने बताया कि तानिया मीट फैक्ट्री प्रबंधन ने एमडीए में शमन के लिए 57 लाख रुपये जमा किए हैं। जिसका भी विरोध किया गया है।
एमडीए ने पहले ही दिया था सुझाव
बता दें कि हापुड़ रोड स्थित पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी के मीट प्लांट का कुछ हिस्सा रोड वाइडिंनिंग और कुछ हिस्सा सार्वजनिक भूमि में आता है तो कुछ हिस्सा ग्रीन वर्ज में है। पूर्व मंत्री ने कुछ वर्ष पूर्व प्लांट के मानचित्र को स्वीकृति कराने के लिए एमडीए में आवेदन किया था। इस पर एमडीए ने ग्रीन वर्ज और रोड वाइडिनिंग वाले हिस्से को तोड़ने को कहा। साथ ही सार्वजनिक भूमि वाले हिस्से को कहीं और उपलब्ध कराने का सुझाव दिया
कमिश्नर कोर्ट में की अपील
इसके बाद पूर्व मंत्री एमडीए के खिलाफ कमिश्नर कोर्ट चले गए। वहीं बोर्ड बैठक में भी मामला रखा,लेकिन वह खारिज कर दिया गया।इसके बाद याकूब के बेटे व मैसर्स अलफहीम मीटेंक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक इमरान ने भी कमिश्नर कोर्ट की आपत्तियों के खिलाफ आवास एवं शहरी नियोजन विभाग में अपील की थी। लेकिन बुलंदशहर कांड के बाद शासन के निर्देश पर जब एमडीए ने प्लांट सील करने की तैयारी की तब प्लांट के निदेशक ने कार्रवाई पर शासन से स्टे ले लिया। स्टे को विशेष सचिव राजेश कुमार पांडेय ने गत दिनों निरस्त कर दिया। इसके बाद एमडीए सील लगाने की तैयारी में था। 12 फरवरी को सील लगाने की योजना थी।
एमडीए में किया प्रदर्शन
पर्यावरण सुधार संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने इसे लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण परिसर में प्रदर्शन किया। समिति के महामंत्री शक्ति मोहन ने कहा कि यह सब जिला प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। कार्रवाई के लिए लंबा समय दिया गया। जिससे याकूब ने स्टे के लिए हाईकोर्ट में वकील खड़ा कर दिया। उन्होंने बताया कि तानिया मीट फैक्ट्री प्रबंधन ने एमडीए में शमन के लिए 57 लाख रुपये जमा किए हैं। जिसका भी विरोध किया गया है।
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