विश्व जल दिवस 2021 : सूखे जलाशयों में 'डूब' गई गंगाजल आपूर्ति योजना
मीठे पानी की पर्याप्त उपलब्धता वाले गंगा-यमुना के दोआब में भी पानी का संकट गहराने लगा है। नलकूपों से हो रहे अंधाधुंध भूजल दोहन के कारण तेजी से भूजल स्तर गिर रहा है। शहर की 50 फीसद से ज्यादा आबादी की प्यास भूजल से ही बुझ रही है।
मेरठ, जेएनएन। मीठे पानी की पर्याप्त उपलब्धता वाले गंगा-यमुना के दोआब में भी पानी का संकट गहराने लगा है। नलकूपों से हो रहे अंधाधुंध भूजल दोहन के कारण तेजी से भूजल स्तर गिर रहा है। शहर की 50 फीसद से ज्यादा आबादी की प्यास भूजल से ही बुझ रही है। भूजल दोहन रोकने के लिए गंगाजल आपूर्ति की परियोजना है, लेकिन इसके चार भूमिगत जलाशय सूखे पड़े हैं। अगर यह परियोजना पूरी हो जाए तो बड़े पैमाने पर भूजल दोहन रुक सकता है।
गंगाजल आपूर्ति के लिए भोला की झाल स्थित 100 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट संचालित है। करीब 58 एमएलडी गंगाजल की आपूर्ति होती है। इसके लिए शहर में नौ स्थानों टाउनहाल, सर्किट हाउस, पीएल शर्मा स्मारक, विकासपुरी-माधवपुरम, नौचंदी, गोलाकुंआ, शास्त्रीनगर सेक्टर-12 और बच्चा पार्क के समीप भूमिगत जलाशय स्थित हैं। इनमें से नौचंदी, गोलाकुंआ, बच्चा पार्क और शास्त्रीनगर सेक्टर-12 आदि भूमिगत जलाशय सूखे पड़े हैं।
गंगाजल आपूर्ति परियोजना की पाइप लाइन इन तक नहीं पहुंची। इसके चलते इन क्षेत्रों की पेयजल आपूर्ति के लिए डेढ़ एमएलडी क्षमता के नौ बड़े नलकूपों से भूजल दोहन किया जाता है। वहीं 10 एचपी के छोटे नलकूपों से भी भूजल दोहन इन क्षेत्रों में हो रहा है। लोगों ने घरों में सबमर्सिबल पंप ऊपर से लगा रखे हैं।
महाप्रबंधक जल कुमार गौरव ने कहा कि चारों भूमिगत जलाशयों को गंगाजल आपूर्ति से जोड़ा जाएगा। जल निगम ने टेंडर निकाला है। अप्रैल में गंगाजल आपूर्ति से जोडऩे का काम शुरू होने की उम्मीद है। भूजल दोहन रोकने की दिशा में काम किया जाएगा। पेयजल सप्लाई से पूरे शहर को कवर करने के लिए एक्शन प्लान भी तैयार कर रहे हैं।
यह भी जानें
- 211 एमएलडी भूजल दोहन बड़े नलकूपों से।
- 91 एमएलडी भूजल दोहन छोटे नलकूपों से।
- 58 एमएलडी गंगाजल आपूर्ति भोला की झाल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से।
- 250 एमएलडी कुल मांग है पेयजल की शहर में।
- 360 एमएलडी लगभग है पेयजल की उपलब्धता।
- 58 एमएलडी लगभग है पेयजल लास।