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World Sparrow Day: चिड़िया रानी, यहां घर-घर में है दाना-पानी, चुग लो दाना पी लो पानी फ‍िर सुनाओ मधुर कहानी

गौरैया के कलरव से तमाम आंगन भले ही सूने हो गए हों लेकिन इस परिसर में हालात एकदम जुदा हैं। गौरैया के चहचहाहट से यहां और आसपास की फिजा हर वक्त गुलजार रहती है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 12:26 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 02:23 PM (IST)
World Sparrow Day: चिड़िया रानी, यहां घर-घर में है दाना-पानी, चुग लो दाना पी लो पानी फ‍िर सुनाओ मधुर कहानी
World Sparrow Day: चिड़िया रानी, यहां घर-घर में है दाना-पानी, चुग लो दाना पी लो पानी फ‍िर सुनाओ मधुर कहानी

नए कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है,

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परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है।

मेरठ, [राजन शर्मा]। दुनिया में मोहब्बत के राजदूत परिंदों की सिमटती दुनिया से दुखी होकर नामचीन शायर मुनव्वर राना ने यह शेर लिखा होगा, लेकिन सुपरटेक पामग्रीन के बाशिंदों ने राना के इस शेर को झुठला दिया है। कंकरीट के इस जंगल में परिंदों के लिए दाना-पानी का भरपूर इंतजाम है। फ्लैट कल्चर में जिंदगी बसर करने वाले यहां के इंसानों के पास छत और आंगन नहीं है, लेकिन इनके बड़े दिल में परिंदों की जानिब बेपनाह मोहब्बत जरूर है। नतीजतन, इस परिसर में परिंदों की ऐसी खूबसूरत दुनिया आबाद है कि हर वक्त चिड़ियों की चहचहाहट दिल की धड़कन सा समा बनाए रखती है।

गौरैया के कलरव से तमाम आंगन भले ही सूने हो गए हों, लेकिन इस परिसर में हालात एकदम जुदा हैं। गौरैया के चहचहाहट से यहां और आसपास की फिजा हर वक्त गुलजार रहती है। सुपरटेक में रहने वाले ज्यादातर लोगों का पक्षी प्रेम इसकी खास वजह है। इन्होंने अपने फ्लैट की बालकनी में ही चिड़िया के आशियाने का इंतजाम कर रखा है। बालकनी में लकड़ी व मिट्टी के घोंसले लगाए गए हैं। इसके अलावा लगभग हर गैलरी की मुंडेर पर मिट्टी के दो बर्तन रखे मिल जाएंगे। एक बर्तन में पानी, दूसरे में दाना। इन बर्तनों में दाना-पानी डालना ज्यादातर लोग अपनी ड्यूटी समझते हैं। दूर-दराज से हिजरत करके दर-ब-दर परिंदे मोहब्बत के बनाए गए इन घोंसलों को आबाद करना अपना हक समझते हैं। इंसानों की इस आवभगत के चलते संजय वन के परिंदों ने भी यहां का रास्ता समझ लिया है। बालकनी में दुर्लभ प्रजाति की चिड़िया मुंडेरों पर थिरकती हुई दिख जाती है। गौरैया और इनकी जुगलबंदी से निकले सुर कानों में शहद सा घोल देते हैं।

आबोहवा भी एक वजह

कंकरीट के जंगल के विस्तार से शहरों में बाग-बगीचे सिमटते जा रहे हैं। मोबाइल टावर के विकिरण ने पर्यावरण को प्रभावित किया है। इसके मद्देनजर यह क्षेत्र गौरैया के लिए काफी मुफीद है। यहां अपेक्षाकृत विकिरण कम है। गौरैया को घास का बीज बेहद पसंद है। यहां पार्क और संजय वन होने से गौरैया को अपना प्रिय भोजन मिल जाता है।

केतु दोष का शमन

पक्षियों को दाना डालना पर्यावरण के साथ ही ज्योतिष की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। इस परिसर में स्थित मंदिर के पुजारी आचार्य कौशल वत्स बताते हैं कि ज्योतिष के दृष्टिगत पक्षी केतु का वाहन माना जाता है। इन्हें दाना डालने से केतु दोष का शमन होता है। इससे आर्थिक हानि की आशंका खत्म हो जाती है।

दानिश्वरों की नजर में परिंदों की खिदमत

इस्लामी स्कॉलर मौलाना खालिद जाहिद परिंदों का जिक्र आते ही रुहानी हो जाते हैं। इस्लामी फलसफे के हवाले से बताते हैं कि वो इंसान कभी किसी इंसान का सच्चा खिदमतगार नहीं हो सकता, जिसके दिल में गौरैया की जानिब मोहब्बत और इन्हें आबाद करने की फिक्र न हो। नामचीन शायर अशोक साहिल अपने शेर के जरिए पक्षी प्रेम की पूजा-अर्चना से तुलना करते हैं। कहते हैं कि-

फखत मंदिर में जाकर ही न तू दीपक जलाया कर,

परिंदों को भी थोड़ा दाना-पानी डाल आया कर।।

वक्त रहते नहीं चेते तो गिद्धों की तरह ही सिमट जाएगी गौरैया

सुपरटेक निवासी दंपती संजीव मोहन और सपना मोहन का कहना है कि गौरैया का ख्याल न रखा गया तो जल्द ही ये भी गिद्धों की तरह विलुप्त हो जाएगी। शालिनी गर्ग, रमा सूरी, विनय गोयल, सुनील कौशिक, अर्चना कौशिक, पारुल और पिंकी समेत बड़ी संख्या में लोग नियमित रूप से दाना-पानी का ख्याल रखते हैं।


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