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World Mental Health Day 2020: हादसे की तरह जेहन में कोरोना का डर, जानिए चिकित्‍सकों की राय

कोविड-19 से उबरने वाले मरीजों में पोस्ट ट्रामैटिक डिसआर्डर देखा जा रहा है जिसमें मन में भय स्मृतिलोप एवं फिर से संक्रमित होने की आशंका घेर लेती है। यह डिस्आर्डर ऐसे लोगों में पाया जाता है जिन्होंने अपने सामने दुष्कर्म हत्या व सामूहिक जघन्य अपराध देखा है।

By Prem BhattEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 11:00 AM (IST)
World Mental Health Day 2020: हादसे की तरह जेहन में कोरोना का डर, जानिए चिकित्‍सकों की राय
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक लाकडाउन में एंजायटी और अवसाद के मरीज 30 फीसद तक बढ़ गए।

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। कोरोना महामारी में भले ही मौत की दर दो फीसद से कम, और रिकवरी रेट 85 फीसद से ज्यादा है, लेकिन बीमारी ने लोगों के जेहन में गहरा असर छोड़ा है। कोविड-19 से उबरने वाले मरीजों में पोस्ट ट्रामैटिक डिसआर्डर देखा जा रहा है, जिसमें मन में भय, स्मृतिलोप एवं फिर से संक्रमित होने की आशंका घेर लेती है। यह डिस्आर्डर ऐसे लोगों में पाया जाता है, जिन्होंने अपने सामने दुष्कर्म, हत्या व सामूहिक जघन्य अपराध देखा है। मनोविश्लेषकों का कहना है कि यह मनोदशा कोरोना खत्म होने के बाद भी रह सकती है।

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अवसाद के मरीज 30 फीसद तक बढ़े

भारत में कोरोना संक्रमण आठ माह पूरा कर चुका है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक लाकडाउन में एंजायटी और अवसाद के मरीज 30 फीसद तक बढ़ गए। बड़ी संख्या में लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया। खासकर, कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों का मनोबल कमजोर मिला। लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज के न्यूरोसाइकेट्रिस्ट डा. तरुण पाल लंबे समय से कोरोना मरीजों की काउंसलिंग कर रहे हैं। वो बताते हैं कि मरीजों में पोस्ट ट्रामैटिक डिसआर्डर के लक्षण हैं। उनके विचारों में नकारात्मकता और निराशा उभर रही है।

कुछ यूं बदल गई सोच

- कोरोना से ठीक होकर घर गए मरीजों में आशंका है कि वो 90 दिनों तक संक्रमण फैला सकते हैं, इसीलिए लोगों से मिलने जुलने में हिचक रहे हैं।

- आइसीयू और आक्सीजन पर रखे गए मरीज फ्लैशबैक से उबर नहीं पा रहे हैं, जो एक प्रकार का ट्रामैटिक डिसआर्डर है।

- कई मरीजों में सांस फूलने और हार्ट बढऩे की शिकायतें मिल रही हैं, ऐसे में जेहन में असाध्य बीमारी का डर बैठ सकता है।

- परिवार में कोई संक्रमित न हो जाए, इस डर में आठ माह से जीने की वजह से बिगड़ रही मानसिक सेहत।

- बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार छूटा। बच्चों का स्कूल छूटा। आशंकाओं के बादल अब भी छंट नहीं रहे हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोरोनाकाल में एंजायटी और अवसाद के मरीज हर उम्र वर्ग में देखे जा रहे हैं। खासकर, युवाओं की जिंदगी रुकने से उनमें कई प्रकार के डिसआर्डर उभरे हैं। कोरोना से ठीक होने के बावजूद लोगों में पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसआर्डर नजर आ रहा है। यह लक्षण उन मरीजों में उभरता है, जिनके सामने दुष्कर्म एवं मौत और भीषण दुर्घटनाएं होती हैं। गहरी सांस लेने का अभ्यास करें। एक घंटे एक्सरसाइज करें, और कोरोना को लेकर कोई भय न पालें। इसे सामान्य बीमारी मानें।

- डा. सत्यप्रकाश, न्यूरोसाइकेट्रिस्ट

कई कोविड मरीजों में अनिद्रा एवं खराब सपने आने की शिकायतें हैं। ब्रेन फागिंग के लक्षण हैं, जिसमें भूलने की बीमारी एवं निर्णय न लेने की समस्या उभर रही है। कोरोनाकाल में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज क्लीनिकों में पहुंच रहे हैं, जिनमें पैनिक डिसआर्डर के लक्षण हैं। प्राणायाम करें और सकारात्मक सोचें।

- डा. तरुण पाल, न्यूरोसाइकेट्रिस्ट , मेडिकल कालेज


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