Lockdown 4.0: 36 घंटे का इंतजार पर नहीं मिली बस, भूख और प्यास से बेहाल हुए कामगार Meerut News
कड़ी धूप के बीच अपने घर की ओर जाने के लिए कामगार 36 घंटे बस का इंतजार करते रहे पर बस न मिलने से निराश होकर चले आए। इस दौरान कई कामगार भूख और प्यास से भी बेहाल हो गए थे।
मेरठ, जेएनएन। भैंसाली अड्डे पर 36 घंटे बीतने के बाद भी मध्यप्रदेश, बिहार और छत्तीस गढ़ के कामगारों को बस नहीं उपलब्ध हो पाई। दोपहर की भीषण गर्मी हो या रात में मच्छरों के आतंक, घर वापसी को व्याकुल कामगार बेहाल हो रहे हैँ। अधिकारियों ने आज बसों की रवानगी बात कही है।
बस अड्डे पर सोमवार की सुबह से ही उक्त क्षेत्रों के कामगार जमा होने शुरु हो गए थे। दोपहर में कामगारों ने बस मिलने पर अधिकारियों का घेराव भी किया था। इसके बावजूद मंगलवार की रात बस का कोई अता पता नहीं है। अड्डे पर साढ़े तीन सौ से चार सौ कामगारों का जमावड़ा लगा रहा। जिनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। दोपहर मे शेड के नीचे लू के थपेड़ों से श्रमिक झुलस गए। तीन ओर से खुले शेड में धूप से बचने के लिए कामगार इधर से उधर चक्कर काटते रहे।
तीन घंटे बिन पानी के तरसे कामगार
भैंसाली बस अड्डे पर गर्मी से बेहाल श्रमिक बिना पानी के घंटो तरसते रहे। हुआ यह कि बस अड्डे पर लगा सबमर्सिबल का पंप खराब हो गया। दूसरे सबर्मिसबल से पानी की सप्लायी को जोड़ने में तीन घंटे लग गए। भारी संख्या में कामगारों के एकत्र होने से खाने के पैकेट कम पड़ गए। गुरुद्वारा थापर नगर से सेवादारों ने भोजन ला कर बांटा। सहायक नोडल अधिकारी अमरजीत सिंह ने बताया कि रोडवेज की बसें विभिन्न रूटों पर गई हैं। मंगलवार को भी बस नहीं मिल पायी। जिलाधिकारी के निर्देश के बाद बुधवार को सभी कामगारों को रवाना किया जाएगा। लगभग 25 बसों की व्यवस्था की जा रही है।
किसान ट्रैक्टर ट्राली में छोड़ने आए
बस अड्डे पर बैठे अधिकांश कामगार गन्ने की छिलायी करने वाले थे। यह दबथुवा, ङिाझोखर, जानी आदि गांवों से आए थे। कई किसान ट्रैक्टर-ट्राली से उन्हें बस अड्डे तक छोड़ने भी आए। इन किसानों के यहां यह कामगार वर्षो से कार्य करते रहे हैं। जिन कारण दोनों के बीच आत्मीय संबंध भी कायम हो गए हैं। स्टेशन अधीक्षक शिवदत्त सारस्वत और सुरेंद्र शर्मा ने कामगारों की सूची बनायी। मंगलवार को तीन बसें में 15 कामगार दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों से आए।