Delhi-Meerut Expressway: दो दिन से काम बंद, धीमी पड़ी रफ्तार, तय समय में कैसे पूरा होगा लक्ष्य
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर परतापुर तिराहे का इंटरचेंज निर्माण सबसे बड़ी चुनौती है। प्रशासन और किसानों के बीच चल रही रस्साकशी में फिलहाल किसानों का पलड़ा भारी है। यहां दो दिन से काम बंद है। ऐसे में काम समय से पूरा होना चुनौती होगा।
मेरठ, जेएनएन। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर परतापुर तिराहे का इंटरचेंज निर्माण सबसे बड़ी चुनौती है। प्रशासन और किसानों के बीच चल रही रस्साकशी में फिलहाल किसानों का पलड़ा भारी है। यहां दो दिन से काम बंद है। यहां एक सप्ताह में सिर्फ एक फीसद ही काम हो पाया है। उधर, मुरादाबाद गांव में किसान धरने पर बैठे हैं। इसके चलते डेढ़ किमी के हिस्से में एक इंच काम नहीं हो पाया है।
तिराहे पर धरना शुरू
शनिवार को परतापुर बराल गांव समेत पांच गांवों के किसानों ने भाकियू के बैनर तले तिराहे पर धरना शुरू किया और काम रुकवा दिया। देहरादून बाईपास से रेलवे ओवरब्रिज तक काम ठप है। पिछले सप्ताह 32 किमी में से 23 किमी पर डामर का काम पूरा हो गया था। फिलहाल स्थिति जस की तस है। 13 प्वाइंट को मिट्टी भराव से जोड़ा जाना है। डासना से मेरठ तक हाईवे पर अब तक 79 फीसद काम हुआ है।
तीन स्ट्रक्चर पूरे, दो जल्द
परतापुर तिराहे से डासना तक छह स्ट्रक्चर पर काफी दिनों से काम चल रहा है। अब तीन स्ट्रक्चर पूरे हो गए हैं। दो स्ट्रक्चर पर स्लैब का काम होना है। परतापुर तिराहे पर रजवाहे की पुलिया और कुशलिया में निर्माणाधीन अंडरपास पर स्लैब डाली जाएगी। तीसरा स्ट्रक्चर है डासना का एलिवेटेड स्ट्रक्चर है। इसकी गर्डर लांचिंग हो रही है। इसके बाद स्लैब डाली जाएगी। इसमें दिसंबर तक का वक्त लगेगा।
इनका कहना है
मेरठ और गाजियाबाद के जिलाधिकारियों को किसानों से बात करके उन्हें समझाने और एक्सप्रेस-वे के काम को बाधित न करने के लिए मनाने का निर्देश दिया है। एक्सप्रेस-वे का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता वाला है। इसे हर हाल में समय से पूरा कराया जाना है। किसानों की समस्या भी शासन के संज्ञान में है। वहीं से उसके समाधान पर विचार किया जा रहा है। किसानों द्वारा एक्सप्रेस-वे का काम बंद कराया जाना अनुचित है। किसान नहीं मानते हैं तो सख्ती करके हाईवे का काम पूरा कराया जाएगा।
- अनीता सी मेश्राम, कमिश्नर