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कॉरपोरेट कंपनी की तरह करते हैं काम, पूरे देश में नेटवर्क

1.17 करोड़ की ऑनलाइन ठगी के मामले में अपनी फजीहत कराने के बाद भी पुलिस सिर्फ दो खाता धारकों को पकड़ने में कामयाब हो सकी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 May 2019 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 06:27 AM (IST)
कॉरपोरेट कंपनी की तरह करते हैं काम, पूरे देश में नेटवर्क
कॉरपोरेट कंपनी की तरह करते हैं काम, पूरे देश में नेटवर्क

मेरठ। 1.17 करोड़ की ऑनलाइन ठगी के मामले में अपनी फजीहत कराने के बाद भी पुलिस सिर्फ दो खाता धारकों को पकड़ने में कामयाब हो सकी है। पुलिस का तर्क है कि आरोपित कॉरपोरेट कंपनी की तर्ज पर काम करते हैं। पूरे देश में उनका नेटवर्क है। इस धंधे में 50 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। सरगना की धरपकड़ के लिए पुलिस की एक टीम भोपाल तो दूसरी देहरादून भेजी गई है। गैंग के सदस्य नाजिम और इम्तियाज खाताधारक को तैयार करते हैं। इसके बाद रकम उनके खातों में डाल दी जाती है। खाताधारक को भी रकम का दो फीसद हिस्सा दिया जाता है।

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पुलिस लाइन में आयोजित प्रेसवार्ता में एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया कि महानगर के बड़े कारोबारी अभिषेक जैन की कंकरखेड़ा में सारू सिल्वर एलॉयल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी है। गत वर्ष सितंबर में कंपनी के दो बैंक खातों को हैक कर साइबर ठगों ने 1.17 करोड़ रुपये निकाल लिए थे। कई शहरों के बैंक खातों में रकम ऑनलाइन भेजी गई थी। साइबर सेल की टीम घटना के राजफाश में लगी थी। टीम ने गौरव सोनी निवासी लालकुआं नैनीताल और नितिन चौहान निवासी विजय नगर गाजियाबाद को पकड़ लिया है। उनके खातों में 16-16 लाख की रकम डाली गई थी, जो बाद में निकलवा ली गई। खाता धारकों को तैयार करने का काम नाजिम और इम्तियाज करते हैं। फर्जी आइडी पर खाता खुलवाया जाता है। पकड़े गए आरोपितों के कब्जे से विभिन्न बैंकों की पासबुक, एटीएम कार्ड और आइडी तथा चेक बुक मिली है। अभी साइबर सेल की टीम गैंग के सरगना तक नहीं पहुंच पाई है, जो दिल्ली में बैठकर रकम खातों में स्थानांतरण करता है। भोपाल और देहरादून में उसकी लोकेशन मिली है।

बैंकों की मिलीभगत से होता है फ्राड

आरोपित बैंकों की मिलीभगत से खाता संख्या, उनसे कनेक्ट मोबाइल नंबर और खातों में मौजूद रकम की जानकारी लेते हैं। इसके बाद ही खाते को निशाना करते है। कंपनी से मोबाइल नंबर बंद करने के बाद नया जारी करा लेते है। इसके बाद खाते का ई-मेल आइडी बदल देते हैं। साथ ही इसी नंबर पर बैंक की ओटीपी समेत तमाम जानकारी मिलती है, जिसका खाताधारक को पता तक नहीं चलता। इसी तरह से खाते से मोटी रकम साफ कर देते हैं। इस प्लानिंग को अंजाम देने में पूरी टीम का काम बंटा हुआ है।

कालीचरण के साथ की जा रही छापामारी

पुलिस गिरफ्त में गैंग का एक सदस्य कालीचरण है, जिसकी निशानदेही पर बाकी लोगों की धरपकड़ की जा रही है। दरअसल, सभी इंटरनेट कॉल पर बातचीत करते हैं, जिसके कारण सर्विलांस से उन तक पहुंचना मुश्किल है। ऐसे में पुलिस इस गैंग से जुड़े ठगों तक एक दूसरे को कड़ी बनाकर पहुंचने की कोशिश कर रही है। कप्तान ने दावा किया है कि जल्द ही पुलिस की टीम बाकी सदस्यों को भी पकड़ लेगी।


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