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बेगम की मौत और बेटे की हार से टूट गए थे नवाब कोकब

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के लंबे समय तक केंद्र रहे कोकब हमीद का इंतकाल हो गया। वे किसी एक वर्ग नहीं बल्कि हर वर्ग के नेता था।

By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 12:03 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 12:03 PM (IST)
बेगम की मौत और बेटे की हार से टूट गए थे नवाब कोकब
बेगम की मौत और बेटे की हार से टूट गए थे नवाब कोकब
मेरठ (जेएनएन)। उम्र का पैमाना अभी इतना भी बलशाली नहीं हुआ था कि वह नवाब कोकब हमीद को झुका पाता। उनके अंदर जिले की जनता के लिए बहुत कुछ करने की इच्छा थी, लेकिन चार वर्ष पूर्व उनकी पत्नी की मौत ने नवाब साहब को काफी कमजोर कर दिया।
लकवे का शिकार हो गए
सियासत रही हो या नवाब साहब की असल जिंदगी, उनकी बेगम ही सब कुछ तय करती थीं। बेगम की मौत के बाद वह अकेले पड़ गये। उधर पत्नी की बीमारी में व्यस्तता के कारण वर्ष 2012 का चुनाव भी हार गए। इस बीच सेहत ने भी उनका साथ छोड़ा तो वह लकवा का शिकार हो गए। कई महीने दिल्ली के बड़े अस्पताल में भर्ती रहे लंबे उपचार के बाद वह घर तो लौटे, लेकिन कभी पूरी तरह ठीक नहीं रह सके। कभी ह्रदय रोग, तो कभी श्वांस लेने की दिक्कत उन्हें परेशान किए रही। चार साल तक वह लगातार अस्पताल से घर के चक्कर लगाते रहे।

बेटे की राजनीति में एंट्री
इस बीच में बेटे हमीद ने राजनीति में एंट्री की। दरअसल बीमारी के कारण अब नवाब साहब राजनीति से पूरी तरह बाहर हो गए थे। इसलिए वह अहमद हमीद के राजनैतिक करियर को अपने सामने संवारना चाहते थे। बीमारी से जूझते हुए नवाब कोकब हमीद ने बेटे की सियासत को सही ट्रैक पर ले जाने का पूरा प्रयास किया। वह बीमार थे, चलने के लिए उन्हें सहारे की जरूरत थी, फिर भी वह मंचों पर गए। बेटे के लिए मंच से वोट भी मांगे। बसपा से वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव बेटे को अपने नेतृत्व में लड़ाया। मामूली वोटों से बेटा हार गया, तो कोकब हमीद को तगड़ा धक्का लगा।

कई बार अस्पताल में भर्ती रहे
उनकी हालत फिर बिगडऩे लगी। पिछले छह महीनों में वह लगातार कई बार अस्पताल में भर्ती रहे। इस बीच उन्होंने बेटे को रालोद में वापसी कराई। बसौद में उसे रालोद की सदस्यता ग्रहण कराई और खुद भी अजित सिंह के साथ मंच साझा किया। नवाब साहब पिछले दो-तीन दिनों से अचेत अवस्था में थे। मृत्यु से कुछ समय पूर्व छोटे चौधरी उनका हाल लेने आए, लेकिन वह न तो उनकी ओर देख सके, न ही कोई जवाब दे सके। कुछ देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।
अंग्रेजों ने नवाब बागपत घोषित किया था
नवाब कोकब हमीद के परिवारीजन हरियाणा से आकर बसे थे। यह हवेली अंग्रेजों के जमाने की बनी हुई है। तब अंग्रेज यहां पर यमुना के खादर में शिकार खेलने आया करते थे। उन दिनों नवाब साहब कोकब हमीद के दादा करम अली अंग्रेजी सरकार में सरकारी अफसर थे। गाजियाबाद तहसील की कर वसूली का कार्य इनके पास था। उस वक्त मेरठ से लेकर बागपत और गाजियाबाद एक ही थे। बागपत के आसपास की जागीर इनके पास थी। इन्हें अंग्रेजों ने नवाब बागपत घोषित किया हुआ था। दादा करम अली ने ब्रिटिश पीरियड में बागपत में आकर अपनी हवेली बनवाई।

ईरानी शैली में बनी हवेली
इतिहासकार अमित राय जैन बताते हैं कि उन दिनों जिम कार्बेट भी यहां पर आकर रुके थे, और शिकार किया था। हवेली को बनवाने में ईरानी शैली का प्रयोग किया गया है, इसे बनाने के लिए तब ईरान से कारीगर आए थे। हवेली में बनी लाइब्रेरी दादा करम अली ने बनवाई थी। उसमें तब के कई ऐतिहासिक दस्तावेज सुरक्षित हैं। नवाब साहब को पढऩे का बहुत शौक था, वह आए दिन इस लाइब्रेरी में किताबें पढ़ा करते थे। नवाब साहब की ससुराल अलीगढ़ में है, इनके ससुर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वीसी रहे हैं। अलीगढ़ मुरसान में उनकी नवाबियत रही है।

इंदिरा गांधी और राजीव भी आए थे
कोकब हमीद की हवेली में प्रधानमंत्री की हैसियत से इंदिरा गांधी और उनके बाद राजीव गांधी आए थे। गुजामनबी आजाद, वीरबहादुर ङ्क्षसह, चौधरी चरण सिंह, रालोद मुखिया चौ. अजित सिंह समेत देश की सिसयात के कई दिग्गज उनकी हवेली में आ चुके हैं।
कोकब ने शुरू कराई सिनौली में खोदाई
आज दुनिया में छाया बागपत के सिनौली गांव में खोदाई का काम कोकब हमीद ने शुरू कराया था। एक दशक पूर्व नवाब कोकब हमीद प्रदेश सरकार में पर्यटन तथा ग्रामीण विकास अभियंत्रण सेवा मंत्री थे। तब पर्यटन मंत्री की हैसियत से कोकब हमीद ने ऐतिहासिक धरोहर सामने लाने के लिए महाभारत सर्किट योजना को शुरू कराने में अहम भूमिका निभाई। महाभारत की धरोहर सामने लाने को सबसे पहले सिनौली गांव में कोकब हमीद के प्रयास से खोदाई शुरू हुई, जिससे बागपत को लेकर महाभारत के इतिहास से काफी पर्दा उठा।
भगवान कृष्ण की धरती बताया था
सिनौली में खोदाई शुरू होने से पहले कोकब हमीद ने बागपत में एक जनसभा में कहा था कि यह धरती भगवान श्री कृष्ण की है। खोदाई से भगवान का रथ और गाडीव का पता लगेगा। पर्यटन मंत्री रहते महाभारत सर्किट योजना के तहत कोकब हमीद ने बागपत के अति प्राचीन महर्षि वाल्मीकि मंदिर बालैनी व परशुरामेश्वर महादेव मंदिर पुरा में गेस्ट हाउस समेत कई विकास कार्य कराने, बागपत में यमुना पर पक्काघाट का निर्माण, शेख बाहुद्दीन की मजार समेत कई विकास कराए। बागपत में राजकीय कन्या विद्यालय स्कूल की स्थापना कराने काम किया। एनडी तिवारी की सरकार में ऊर्जा मंत्री की हैसियत से बागपत के वंचित गांवों का विद्युतीकरण कराने का काम किया। बसपा शासनकाल में सहकारी चीनी मिल बागपत को बिकने से बचाया।
हर वर्ग के थे नेता
नवाब साहब की राजनीति में धर्म और समुदाय आड़े नहीं आता था। वह सभी वर्गों के लोगों की खुलकर मदद करते थे। इसीलिए वह हर वर्ग के नेता बनकर रहे। किसी दायरे में कभी नहीं बंधे। उनके प्रशंसकों में हर समाज के लोग हैं।

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