Martyr soldiers in Galwan: शहीद हवलदार बिपुल रॉय के अंतिम दर्शनों के लिए पत्नी और बेटी हुईं रवाना
शहीद हवलदार बिपुल रॉय का अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव में होगा। शहीद की पत्नी रुम्पा रॉय और बेटी तमन्ना शुक्रवार सुबह मेरठ से 5.30 बजे दिल्ली के लिए रवाना हो गईं।
मेरठ, जेएनएन। चीनी सेना के साथ सोमवार रात हुई खूनी झड़प में शहीद हुए हवलदार बिपुल रॉय का अंतिम संस्कार शुक्रवार को उनके पैतृक गांव में होगा। शहीद की पत्नी रुम्पा रॉय और बेटी तमन्ना शुक्रवार सुबह मेरठ से 5.30 बजे दिल्ली के लिए रवाना हो गईं। सेना ने उन्हें दिल्ली के लिए रवाना किया। सुबह 8 बजे दिल्ली एयरपोर्ट पहुंच गए थे और 11.30 बजे प्लेन टेक ऑफ कर गयी थी। सेना के अनुसार दोपहर एक बजे उनका विमान लैंड करेगा। पत्नी के पहुंचने के बाद शहीद बिपुल रॉय का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।
सैन्य अफसरों की पत्नियों ने हिम्मत बंधाया
रोहटा रोड स्थित घर से ले जाकर सेना ने पत्नी व बेटी को छावनी स्थित चार्जिंग रैम डिवीजन के सिग्नल रेजीमेंट में ही रखा था। सेना के अफसरों के साथ ही आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़ी सैन्य अफसरों की पत्नियों ने हिम्मत बंधाया। शहीद बिपुल रॉय की पार्थिव देह गुरुवार रात आठ बजे हाशिमारा एयरबेस पहुंच गया। यहां से शुक्रवार सुबह सड़क मार्ग से पैतृक गांव ले जाया जाएगा।
दो रात से नहीं सो पाई वीर नारी
चीन के साथ चल रही गहमा-गहमी की सूचनाओं के बीच रुम्पा रॉय की नींद पहले ही उड़ चुकी थी। नौ जून को हवलदार बिपुल रॉय से बातचीत होने पर उनका मन जरूर शांत हुआ, लेकिन उसके बाद बार-बार कोशिश करने पर कोई बात न हो पाने पर उनकी चिंता बढऩे लगी थी। मंगलवार रात सीधे यूनिट से फोन आने और सटीक जानकारी न मिलने पर उनकी नींद पूरी तरह से गायब हो गई। बुधवार दोपहर में शहादत की सूचना मिलने के बाद भी रात में मां-बेटी सो नहीं सके। सैन्य अफसरों ने किसी तरह समझाकर दोनों को खाना खिलाया और आराम करने को कहा।
उत्तर-पूर्व से आए थे मेरठ
मेरठ छावनी में चार्जिंग रैम डिवीजन में पोस्टिंग से पहले वह नॉर्थ-ईस्ट में चीनी सीमा पर तैनात थे। सिग्नल रेजीमेंट में कार्यकाल के दौरान उन्हें चीनी सेना की हरकतों का भी अंदाजा रहा है। 2017 में चीनी सेना के साथ डोकलाम में आमने-सामने खड़ी भारतीय सेना के स्टैंडऑफ की परिस्थितियों से भी वह अच्छी तरह से परिचित थे। छावनी में उनकी पोस्टिंग वर्ष 2016 में हुई थी। मेरठ की यूनिट के साथियों के बीच भी वह उत्तर-पूर्व के किस्से सुनाते रहते थे। मेरठ छावनी में पोङ्क्षस्टग होने पर वह परिवार को भी मेरठ लेकर आए। मेरठ से दिसंबर 2018 में उनकी पोस्टिंग लद्दाख में हो गई थी। जनवरी 2003 में सेना में भर्ती हुए शहीद हवलदार बिपुल रॉय की सेवा जनवरी 2027 तक की थी।