..जब रोबोट पर निर्भर हो जाएगा इंसान
आने वाले समय में रोबोट कई क्षेत्रों में दिखेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जिस तरह से रोबोट जोड़े जा रहे हैं। उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब इंसान पूरी तरह से रोबोट पर निर्भर हो जाए। यह कहना है एनआइटी राउरकेला उड़ीसा के प्रो सिंघल का।
मेरठ, जेएनएन : आने वाले समय में रोबोट कई क्षेत्रों में दिखेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जिस तरह से रोबोट जोड़े जा रहे हैं। उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब इंसान पूरी तरह से रोबोट पर निर्भर हो जाए। यह कहना है एनआइटी राउरकेला उड़ीसा के प्रो सिंघल का। जो मेरठ इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलॉजी एमआइईटी में तीन दिवसीय रोबो चैंप्स के उद्घाटन पर बोल रहे थे। पहले दिन प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने कई एडवांस रोबोट का प्रदर्शन किया।
प्रो. सिंघल ने इंजीनियरिग से जुड़े लोगों को आगाह किया कि जो भी अविष्कार या इनोवेशस करें, उसका समाज पर गलत प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। हमें तकनीकी को इंसानों पर हावी नहीं होने देना है। चीनी कंपनी ने ऐलान किया है, कि वह एक रोबोट बनाने वाली फैक्ट्री बनाएगी। तीन साल में पाच लाख कर्मचारियों की जगह रोबोट ले लेंगे। विभागाध्यक्ष अमित कुमार ने कहा कि अगर रोबोट में भावना नहीं होगी, तो वह एक अभिशाप भी साबित हो सकता है। नेरोन कंपनी के मुख्य तकनीकी अधिकारी देव कुमार, एमआइईटी चेयरमैन विष्णु शरण, वाइस चेयरमैन पुनीत अग्रवाल, डीन एकेडमिक डा. डीके शर्मा ने मौजूद रहे।
मेरा रोबोट से सबसे तेज..
रोबोचैंप्स प्रतियोगिता में पांच आइआइटी, 14 एनआइटी सहित कई विश्वविद्यालय और कॉलेजों से 380 टीमों ने प्रतिभाग किया। पहले दिन रोबोवॉर, रोबोट ड्रोन, एम्फीबोट, कोडिंग एरिना, हेक्ट्रानिक्स, आइओटी बेस्ड हैकथॉन, रोबोरेस, रोबोट्रान्सपो, रिसोचेट,सिल्क आदि प्रतियोगिताएं हुई, इसमें रोबोट की तकनीकी देखने को मिली। अलग अलग सामान को किस तरह से रोबोट पहचान कर उसे ले जा सकता है दिखाया गया। प्रतियोगिता में विजेता टीमें आइआइटी मुंबई और रुड़की के टेकफेस्ट में सीधे सेमीफाइनल और फाइनल में हिस्सा ले सकेंगी। फैकल्टी समन्वयक डा. अरविंद कुमार पांडेय ने बताया कि एम्फीबोट में एक ऐसा रोबोट है, जो जमीन और पानी दोनों में ही चलने में सक्षम होता है। रोबोट्रान्सपो में रोबोट का इस्तेमाल ढुलाई के काम में किया जाता है।