गन्ने के रस में गोते लगा रही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में गन्ने का हमेशा अहम किरदार रहा है। गन्ना एजेंडा को धार देते हुए प्रदेश सरकार का किसानों को नए सिरे से साधने पर फोकस है।
मेरठ (संतोष शुक्ल)। लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा पश्चिम उप्र में चौरतफा फील्डिंग सजा रही है। गन्ना एजेंडा को धार देते हुए प्रदेश सरकार का किसानों को नए सिरे से साधने पर फोकस है। इन्वेस्टर्स समिट में मेगा निवेश का केंद्र भी पश्चिम यूपी बना, वहीं ओबीसी सम्मेलन के बहाने पार्टी जातीय संतुलन साधने पर जोर दे रही है।
साधने की कोशिश
विस चुनाव में प्रचंड बहुमत के बाद पार्टी ने सुरेश राणा को गन्ना मंत्री, स्वतंत्र प्रभार बनाकर बड़ा संदेश दिया। सतपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाकर जाटों को भी साधा। पश्चिम की 14 लोकसभा की 71 विस सीटों पर गन्ना किसानों की तादाद सर्वाधिक है। पार्टी ने जहां दर्जनभर से ज्यादा जाटों को विस का टिकट दिया, वहीं सहारनपुर से संभल तक तमाम चीनी मिलों की या तो क्षमता बढ़ाई अथवा बंद मिलों को चालू किया। ढुलाई सस्ती की और जून तक पेराई की गई। हालांकि, किसानों का 10 हजार करोड़ रुपया मिलों पर अब भी बकाया है।
मोदी ले चुके गन्ना किसानों की सुध
चंद माह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ हजार करोड़ का पैकेज देने के साथ ही दिल्ली में गन्ना किसानों से वार्ता भी की। सीएम योगी ने मंगलवार को गन्ना किसानों के लिए जारी 5535 करोड़ के पैकेज के बारे में स्वयं बताया। रालोद, सपा, बसपा एवं भाकियू जहां गन्ना भुगतान को लेकर भाजपा पर लगातार हमलावर रही, वहीं गन्ना मंत्री सुरेश राणा सीएम को समझाने में सफल हुए। इधर, सिर्फ 13 फीसद गन्ना बकाया भुगतान करने से पैकेज का लाभ पाने से चूकी मलकपुर चीनी मिल ने भी अपना रिकार्ड सुधारने का संकेत दिया है। पश्चिमी उप्र की अन्य 57 मिलों ने 30 फीसद से ज्यादा भुगतान किया है, ऐसे में सरकार इन्हें सस्ता लोन देगी।
जातीय सम्मेलनों के संकेत
पश्चिमी उप्र में सैनी, कश्यप, गुर्जर, जाट, कोरी, जोगी, बिंद, प्रजापति समेत 30 ओबीसी जातियों ने भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। किंतु अब युवाओं व किसानों में सुलगती नाराजगी, विपक्षियों की घेराबंदी, भाजपा का अंदरूनी घमासान और मुस्लिम-अनूसूचित मतों के एक साथ आने से भगवा खेमा परेशान है।
इन्होंने कहा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर साफ कर दिया कि गन्ना किसान उनके एजेंडे में काफी ऊपर हैं। चीनी मिलों को साफ्ट लोन के तौर पर साढ़े पांच हजार करोड़ का फंड दिया है। मलकपुर को छोड़कर पश्चिम की सभी मिलें 30 फीसद से ज्यादा भुगतान के आधार पर लोन पाने की पात्र हैं।
-सुरेश राणा, गन्ना विकास मंत्री