योगी ने किया आगरा में बेंच का समर्थन, मेरठ के वकीलों को ये बात रास नहीं आई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगरा में हाई कोर्ट बेंच की वकालत पर मेरठ के वकील बिफर गए हैं। उन्होंने सीएम के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 11:21 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 11:21 AM (IST)
मेरठ, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगरा में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना का समर्थन करने पर पश्चिमी उप्र के अधिवक्ताओं ने कड़ी नाराजगी जतायी है। उन्होंने साफ कहा है कि पश्चिम उप्र के 22 जिलों की अनदेखी कर आगरा में बेंच बनायी जाए। यह वह किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री से की थी मुलाकात
उप्र उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना जनमंच के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर मुलाकात की थी। साथ ही ज्ञापन देकर आगरा में बेंच की स्थापना की मांग की। प्रतिनिधि मंडल में शामिल सदस्यों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने यह कहा है कि वह भी चाहते हैं कि आगरा में खंडपीठ बने लेकिन यह उनके हाथ में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि खंडपीठ स्थापना के लिए प्रयास करेंगे।
पश्चिमी उप्र के वकीलों में नाराजगी
मुख्यमंत्री के बयान को लेकर पश्चिमी उप्र के अधिवक्ताओं ने कड़ी नाराजगी जतायी है। उनका कहना है कि बेंच की स्थापना की दृष्टि से आगरा किसी भी दशा में उपयुक्त नहीं है। जसवंत सिंह आयोग ने देहरादून व आगरा में बेंच को लेकर रिपोर्ट दी थी, लेकिन उत्तराखंड राज्य के बन जाने के बाद यह संभावना खत्म हो चुकी है कि आगरा में बेंच बने। केंद्र सरकार ने भी पूर्व में आगरा में बेंच की स्थापना की मांग पहले ही खारिज कर दी है। ऐसे में एक बार फिर आगरा का नाम उछालना अधिवक्ताओं को बांटने की साजिश है।
बयान दुर्भाग्यपूर्ण बताया
हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उप्र के चेयरमैन एवं संयोजक राजेंद्र सिंह जानी एवं देवकी नंदन शर्मा का कहना है कि यदि आगरा को लेकर ऐसा बयान मुख्यमंत्री ने दिया है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। यह अधिवक्ताओं को बांटने की साजिश है। समिति इसकी निंदा करती है। स्थान विशेष को लेकर हमने कभी कोई मांग नहीं की। पश्चिमी उप्र में जहां उपयुक्त स्थान हो वहां सरकार बेंच दे सकती है। केंद्रीय संघर्ष समिति के पूर्व चेयरमैन डीडी शर्मा का कहना है कि आंदोलनरत 22 जिलों की अनदेखी कर आगरा में बेंच बनायी जाए, यह पश्चिमी उप्र के अधिवक्ता किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेंगे। वैसे भी आगरा बेंच के लिए किसी भी तरह उपयुक्त नहीं है।
मुख्यमंत्री से की थी मुलाकात
उप्र उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना जनमंच के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हाईकोर्ट बेंच की स्थापना को लेकर मुलाकात की थी। साथ ही ज्ञापन देकर आगरा में बेंच की स्थापना की मांग की। प्रतिनिधि मंडल में शामिल सदस्यों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने यह कहा है कि वह भी चाहते हैं कि आगरा में खंडपीठ बने लेकिन यह उनके हाथ में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि खंडपीठ स्थापना के लिए प्रयास करेंगे।
पश्चिमी उप्र के वकीलों में नाराजगी
मुख्यमंत्री के बयान को लेकर पश्चिमी उप्र के अधिवक्ताओं ने कड़ी नाराजगी जतायी है। उनका कहना है कि बेंच की स्थापना की दृष्टि से आगरा किसी भी दशा में उपयुक्त नहीं है। जसवंत सिंह आयोग ने देहरादून व आगरा में बेंच को लेकर रिपोर्ट दी थी, लेकिन उत्तराखंड राज्य के बन जाने के बाद यह संभावना खत्म हो चुकी है कि आगरा में बेंच बने। केंद्र सरकार ने भी पूर्व में आगरा में बेंच की स्थापना की मांग पहले ही खारिज कर दी है। ऐसे में एक बार फिर आगरा का नाम उछालना अधिवक्ताओं को बांटने की साजिश है।
बयान दुर्भाग्यपूर्ण बताया
हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिमी उप्र के चेयरमैन एवं संयोजक राजेंद्र सिंह जानी एवं देवकी नंदन शर्मा का कहना है कि यदि आगरा को लेकर ऐसा बयान मुख्यमंत्री ने दिया है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। यह अधिवक्ताओं को बांटने की साजिश है। समिति इसकी निंदा करती है। स्थान विशेष को लेकर हमने कभी कोई मांग नहीं की। पश्चिमी उप्र में जहां उपयुक्त स्थान हो वहां सरकार बेंच दे सकती है। केंद्रीय संघर्ष समिति के पूर्व चेयरमैन डीडी शर्मा का कहना है कि आंदोलनरत 22 जिलों की अनदेखी कर आगरा में बेंच बनायी जाए, यह पश्चिमी उप्र के अधिवक्ता किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेंगे। वैसे भी आगरा बेंच के लिए किसी भी तरह उपयुक्त नहीं है।
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