मेरठ कैंट की पहली प्लास्टिक सड़क पर आपका स्वागत है
छावनी परिषद मेरठ ने कूड़े से एकत्रित किए गए प्लास्टिक से पहली बार दो सैंपल सड़क बनाई हैं। पर्यावरण सरंक्षण और कूड़े के निस्तारण के लिए मध्य कमान में मेरठ कैंट ने इस तरह की कोशिश की है। करीब 242 किलो अपशिष्ट प्लास्टिक से 136 मीटर की सड़क बनाई गई है। सामान्य सड़कों के मुकाबले इसकी लाइफ अधिक बताई जा रही है।
मेरठ । छावनी परिषद मेरठ ने कूड़े से एकत्रित किए गए प्लास्टिक से पहली बार दो सैंपल सड़क बनाई हैं। पर्यावरण सरंक्षण और कूड़े के निस्तारण के लिए मध्य कमान में मेरठ कैंट ने इस तरह की कोशिश की है। करीब 242 किलो अपशिष्ट प्लास्टिक से 136 मीटर की सड़क बनाई गई है। सामान्य सड़कों के मुकाबले इसकी लाइफ अधिक बताई जा रही है।
मंगलवार को वार्ड तीन लालकुर्ती स्काउट गाइड भवन के सामने सार्वजनिक शौचालय के पास और वार्ड आठ जुबलीगंज सार्वजनिक शौचालय के पास प्लास्टिक से सड़क बनाई गई है। वार्ड तीन में सड़क की लंबाई 93 मीटर और वार्ड आठ में 43 मीटर है। इसमें करीब 242 किलो अपशिष्ट प्लास्टिक को गर्म करके तारकोल मिलाकर सड़क बनाई गई। लागत करीब दो लाख 58 हजार रुपये आई है। कैंट बोर्ड के अध्यक्ष व स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर अनमोल सूद, उपाध्यक्ष बीना वाधवा, सीईओ प्रसाद चव्हाण ने सैंपल सड़क का लोकार्पण किया। इस दौरान वार्ड मेंबर अनिल जैन, रिनी जैन, सीईई अनुज सिंह, एई पीयूष गौतम आदि मौजूद रहे। इनका कहना--
पर्यावरण को सुधारने के लिए एक कोशिश की गई है, जिसमें कूड़े से एकत्रित किए गए पालीथिन, प्लास्टिक से सड़क बनाई गई। यह प्रयोग सफल रहा तो कैंट में बाकी जगह भी ऐसा किया जाएगा।
ब्रिगेडियर अनमोल सूद, अध्यक्ष, मेरठ छावनी परिषद कैंट क्षेत्र से कूड़े को खत्म करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। वेस्ट मेटेरियल से टाइल्स बनाई गई, अब प्लास्टिक से सड़क बनाई गई है। कूड़े से खाद भी बनाई जा रही है। करीब 60 फीसद कूड़े का निस्तारण करने में सफलता मिल गई है। 40 फीसद के लिए काम करना है। प्लास्टिक की जो सैंपल सड़क बनी है, उसकी लाइफ दस साल है, जो सामान्य सड़क से अधिक है।
प्रसाद चव्हाण, सीईओ, कैंट बोर्ड कैंट क्षेत्र में पहले पालीथिन का इस्तेमाल रोका गया, फिर पहले से इस्तेमाल हुई प्लास्टिक और पालीथिन को एकत्रित करके सड़क बनाई गई है।
बीना वाधवा, उपाध्यक्ष, कैंट बोर्ड टिकाऊ बनाने की कोशिश
कैंट बोर्ड ने सैंपल सड़क के लिए टेंडर छोड़ा था। बोर्ड के सहायक अभियंता पीयूष गौतम ने बताया कि प्लास्टिक को छोटे-छोटे टुकड़े करने के बाद उसे रोड़ी के साथ मिलाकर 140-150 डिग्री पर गर्म किया गया। इसमें बाद में तारकोल मिलाया गया। फिर प्लांट से मिश्रण को लाकर सड़क बनाई गई। प्लास्टिक मिलाने से करीब आठ फीसद कम तारकोल का प्रयोग किया गया। अपशिष्ट प्लास्टिक की सड़क बनाने से इसकी लागत भी कम आएगी। बरसात में भी यह सड़क खराब नहीं होगी। सीईओ से मिले स्थानीय लोग
सैंपल सड़क के लोकापर्ण के समय लालकुर्ती के कुछ लोग सीईओ से भी मिले। उन्होंने स्काउट भवन के पीछे नाले भरने की शिकायत की। इस दौरान उन्होंने लोगों को समस्या के समाधान का आश्वासन दिया।