हम ला रहे नई शिक्षा नीति निश्चिय ही बढ़ेगी गुणवत्ता
समाज के तीन मुख्य शत्रु हैं। पहला शत्रु अज्ञान हैं। आपके पास कितना भी खाने-पीने को हो। किसी प्रकार की कमी न हो। शहर सुंदर हो। पर आपको मालूम न हो कि इसका उपयोग कैसे करना है तो सब बेकार है।
मेरठ। समाज को जागृत करना है। हर तबके को जागृत करना है। उनको अच्छे रास्ते पर लेकर आना है। माय सिटी माय प्राइड अभियान के फोरम में आए केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह का कहना है कि अभियान में जो पांच विषय लिए गए हैं, वे सभी महत्वपूर्ण विषय हैं। यह अभियान लोगों को आगे बढ़ाएगा। हमें बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। 10 फीसद भी सफलता मिलती है तो बहुत है। मेरी जिम्मेदारी आजकल शिक्षा व्यवस्था की है। पहले मैं पुलिस में था। मैं स्वास्थ्य का प्रेमी हूं। बुनियादी जरूरत सबको है। चाणक्य से एक सवाल पूछा गया कि सुख का मूल क्या है? चाणक्य ने जवाब दिया था कि धर्म। जब अगला सवाल किया गया कि धर्म का मूल क्या है? उसकी जड़ क्या है तो चाणक्य ने कहा कि धर्म का मूल अर्थ है सही अर्थव्यवस्था। कहते हैं कि भूखे भजन न होय गोपाला..। भूखे आदमी से पूछिए कि दो और दो चार कितने होते हैं तो वह कहेगा चार रोटी..।
इन सभी विषयों में सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा है। कहते हैं कि समाज के चार शत्रु हैं, लेकिन समाज के तीन मुख्य शत्रु हैं। पहला शत्रु अज्ञान हैं। आपके पास कितना भी खाने-पीने को हो। किसी प्रकार की कमी न हो। शहर सुंदर हो। पर आपको मालूम न हो कि इसका उपयोग कैसे करना है तो सब बेकार है। आप बहुत पढ़े-लिखे हैं, विद्वान हैं, प्रोफेसर या इंजीनियर हैं, लेकिन कोई बदमाश आता है और आपसे छीनकर ले जाता है। तो समाज के दूसरे शत्रु का नाम अन्याय है। लोग अच्छे पढ़े-लिखे हैं। लेकिन खाने को कुछ नहीं है। पहनने को कुछ नहीं। रहने के लिए मकान नहीं। तो समाज के तीसरे शत्रु का नाम अभाव है। सभी प्रकार की गरीबी का नाम अभाव है..। इन शत्रुओं से कैसे लड़ा जाए। इसके लिए जागृति चाहिए। यह जागृति कैसे आएगी..तो मैं कहता हूं कि इसका मूलमंत्र ही शिक्षा है। आज की शिक्षा में नैतिक और मानवीय मूल्यों की कमी आ गई है। देश का शिक्षामंत्री होने के नाते कहता हूं कि बहुत कुछ सुधार की जरूरत है। भारत सरकार इसे लेकर चिंतित है। नई शिक्षा नीति में कमियों को दूर किया जा रहा हैं। इससे शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। यह नैतिक मूल्य और संस्कार वाली होगी। आज की शिक्षा ने हमें यह भी नहीं सिखाया कि मानव जीवन क्या है। आदमी इतना हताश हो सकता है, इतना निराश हो सकता है कि खुद जीवन खत्म कर देगा। एक दिन संसद में बहस चल रही थी। एक सांसद बोल रहे थे कि ओल्ड एज होम के लिए बजट कम है इसे बढ़ाना चाहिए। अर्थात बूढ़े लोगों के रहने के लिए घर में जगह नहीं है। मैंने कहा कि जिस दिन हमारे बच्चों को यह पढ़ाया जाएगा कि मां-बाप से बड़ा दुनिया में कोई नहीं होता, उस दिन शिक्षा का महत्व होगा। जो शिक्षा बच्चों को संस्कार नहीं दे सकती, वह शिक्षा नहीं है। अगर हम अपने को स्वस्थ नहीं रख सकते तो हमारी शिक्षा में कमी है। जिस दिन हम शिक्षित हो जाएंगे तो सड़क पर कूड़ा नहीं फेकेंगे। हमें ऐसी शिक्षा नहीं मिली कि हम निस्वार्थी बने। अच्छी शिक्षा से ही सत्य बोलने की हिम्मत आएगी।