मेरठ में बोले जलपुरुष राजेंद्र सिंह, किसान हितेषी हैं तो बिलों पर खुली बहस करें पीएम मोदी
किसानों के समर्थन में किसान कानून साक्षरता यात्रा के तहत हरिद्वार से मेरठ पहुंचे जलपुरूष। वह गंगाजल बिरादरी के संयोजन में तरुण भारत संघ के बैनर तले कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में आंदोलनरत किसानों का समर्थन कर रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। रेमन मैगसेसे अवार्डी, स्टॉकहोम वाटर पुरस्कार विजेता जलपुरुष राजेन्द्र सिंह सोमवार को मेरठ पहुंचे। वह गंगाजल बिरादरी के संयोजन में तरुण भारत संघ के बैनर तले कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में आंदोलनरत किसानों का समर्थन कर रहे हैं। भीकमपुरा (राजस्थान) से शुरू हुई 'किसान कानून साक्षरता यात्रा' पूर्व मेजर डॉ हिमांशु के साथ हरिद्वार से मेरठ पहुंची। चौधरी चरण सिंह पार्क में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।
'अलोकतांत्रिक तरीके से बनाए तीनों कृषि कानून'
चौधरी चरण सिंह पार्क में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि तीनों कृषि कानून सरकार ने अलोकतांत्रिक तरीके से बनाए हैं। इससे पहले किसान आंदोलन में अपने प्राण गंवाने वाले किसानो को श्रद्धांजली अर्पित कर सभा की शुरुआत की गई। अपने संबोधन में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि किसान भारत की आत्मा है, इसे मत दुखाओ। किसान और सरकार वार्ता के छह दौर पूरे हो चुके है। किसानों की सीधी सी और मामूली मांग है। किसान विरोधी जो तीन कानून अलोकतांत्रिक तरीके से बनाये है, उन्हें जल्दी से जल्दी रद्द किए जाएं। किसानों ने अपना शांतिमय स्वरूप, अहिंसात्मक रास्ता पकड़ा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने इसी रास्ते पर देश को खड़ा करके अंग्रेजों को भगा दिया था। राजेंद्र सिंह ने एमएसपी दर लागू करने की मांग रखी।
गंगाजल बिरादरी के राष्ट्रीय संयोजक पूर्व मेजर हिमांशु ने अपने संबोधन में प्रस्ताव दिया कि यदि केंद्र सरकार किसानो से बिना सलाह बिना मांगे इन कृषि बिलों को इतना ही किसान हितैषी मानती है तो 2022 तक किसानो की आय दोगुना करने का वायदा करने वाले माननीय प्रधानमन्त्री 4-5 किसान जानकार आन्दोलनकारी नेताओ से इन बिलों पर खुली बहस कर लें। मामला सुलझाए देश में आग न लगवाएं, MSP दर से कम की खरीद को दंडनीय अपराध घोषित करें। इब्राहीम खान ने किसानो को बांटने और बदनाम करने पर कड़ी आपत्ति की। राजकुमार सांगवान का मत था कि ये बिल किसानों की लूट की छूट देते हैं और कालाबाजारी और जमाखोरी बढाने के रास्ते खोजते हैं। संतोष सरोकारी ने इस गतिरोध का जल्द समाधान निकाले जाने की वकालत की, क्योंकि ज्यादा दिन तक यदि किसान यहां बैठते है तो उनकी खेती का तो नुकसान है, वह भी सरकार का भी कहीं न कहीं नुकसान होगा। रूहामा अहमद ने किसानो की मांगो को जायज बताया और सरकार के रवैये पर आश्चर्य व्यक्त किया। रवि कुमार और फजल करीम ने किसानों के आहिंसात्मक आन्दोलन की जमकर सराहना साथ ही धरतीपुत्रों की दशा पर दुख व्यक्त किया। रवि कुमार, संतोष सरोकारी, विपुल चौधरी, अजय वर्मा, फजल करीम, कुलदीप त्यागी, कुलदीप तोमर, रूहामा अहमद, आदि मौजूद रहे।