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बिजनौर के धामपुर में रामलीला मंच से बुलंद हुई थी आजादी के संघर्ष की आवाज Bijnore News

बिजनौर के धामपुर में 84 वर्ष पहले रामलीला मंच से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका गया था। आज भी वो यादें जहन में है। देश भक्तों आजादी के संघर्ष के लिए राम लीला के मंच को माध्यम बनाया। इसका बखान कई लोग करते हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 12:14 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 12:14 PM (IST)
बिजनौर के धामपुर में रामलीला मंच से बुलंद हुई थी आजादी के संघर्ष की आवाज Bijnore News
बिजनौर जिले की ऐतिहासिक रामलीला आजादी की लड़ाई के संघर्ष की यादें संजोए हुए है।

बिजनौर, जेएनएन। बिजनौर के धामपुर में तहसील क्षेत्र के गांव मोरना की ऐतिहासिक रामलीला आजादी की लड़ाई के संघर्ष की यादें संजोए हुए है। करीब 84 वर्ष पहले रामलीला मंच से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका गया था। हालांकि उस समय अंग्रेजों द्वारा किसी भी प्रकार की सभा या आयोजनों पर रोक थी, लेकिन देश भक्तों आजादी के संघर्ष के लिए राम लीला के मंच को माध्यम बनाया। आज भी यहां की ऐतिहासिक रामलीला इतिहास के यादें संजोए है।

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गांव मोरना की रामलीला 1936 में प्रारंभ हुई। गांव निवासी वृद्धजनों के जहन में आज भी पुरानी यादें ताजा है, व्योवृद्ध जगदीश सिंह बताते हैं 1936 में गांव में देवता स्थल पर मूक रामलीला का मंचन शुरू हुआ था। यह समय वो था जब देश में आजादी की जंग का बिगुल फूंक चुका था और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष अपने चरम पर पहुंच रहा था। उस समय अंग्रेज हर प्रकार से देशवासियों की आवाज दबाने का प्रयास कर रहे थे, किसी भी प्रकार की सभा या बैठक पर रोक थी। ऐसे में आजादी की लड़ाई में अपना योगदान देने वालों ने गांव में हो रहे रामलीला के मंच को माध्यम बनाया। उन्होंने रामलीला के साथ-साथ आजादी की लड़ाई का संदेश भी रामलीला देखने आने वालों तक पहुंचाया। इसी का परिणाम रहा की मोरना सहित धामपुर तहसील क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद हो गई।

परंपरा को निभा रहे कलाकार

मोरना की ऐतिहासिक रामलीला की परंपरा को आज भी कलाकार निभाते चले आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते हालांकि इस बार अधिक भीड़ नहीं जुट रही है, लेकिन रामलीला के मंचन की परंपरा इस बार भी निभाई जा रही है। इतना ही नहीं इसमें प्रतिभाग करने वाले कलाकार युवा, नौकरीपेशा, शिक्षित, एडवोकेट, इंजीनियर और व्यापारी आदि हैं। सरकारी सहित निजी विभागों में कार्यरत हैं, लेकिन हर साल रामलीला के लिए छुट्टियां लेकर समय निकालते हैं। रामलीला में किरदार निभाने वाले गांव निवासी गौतम कुमार गुड़गांव में एक कंपनी में इंजीनियर हैं। परवेंद्र कुरुक्षेत्र में गन्ना विभाग में कर्मचारी हैं। सोनू शर्मा स्वास्थ्य विभाग बिजनौर में कार्यरत हैं। पवन कुमार जिला सहकारी बैंक में कैशियर के पद पर हैं। कुलवीर, योगेश कुमार और सुशील कुमार दुकानदार हैं।


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