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वीवो मोबाइल फर्जीवाड़ा: सर्विस सेंटर स्वामी व कारीगर नहीं दे पाए संतोषजनक जवाब, मोबाइल का IMEI बदलने से इन्कार

वीवो कंपनी के मोबाइलों के फर्जीवाड़े में रविवार को सर्विस सेंटर स्वामी और कारीगर के बयान दर्ज किए गए है। दोनों ने बताया कि दारोगा के मोबाइल का मदरबोर्ड खोला तक नहीं है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 07:00 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 07:00 PM (IST)
वीवो मोबाइल फर्जीवाड़ा: सर्विस सेंटर स्वामी व कारीगर नहीं दे पाए संतोषजनक जवाब, मोबाइल का IMEI बदलने से इन्कार
वीवो मोबाइल फर्जीवाड़ा: सर्विस सेंटर स्वामी व कारीगर नहीं दे पाए संतोषजनक जवाब, मोबाइल का IMEI बदलने से इन्कार

मेरठ, जेएनएन। वीवो कंपनी के मोबाइलों के फर्जीवाड़े में रविवार को सर्विस सेंटर स्वामी और कारीगर के बयान दर्ज किए गए है। दोनों ने बताया कि दारोगा के मोबाइल का मदरबोर्ड खोला तक नहीं है। मदर बोर्ड से ही आइएमइआइ का लिंक है। उन्होंने मोबाइल का आइएमइआइ बदलने से इन्कार कर दिया।

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एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि साइबर सेल और नौचंदी थाना पुलिस की टीम वीवो मोबाइल के फर्जीवाड़े पर काम कर रही है। एडीजी ऑफिस में तैनात दारोगा के मोबाइल के शारदा रोड स्थित सर्विस सेंटर में जाने के बाद ही आइएमइआइ में बदलवा आया था। जांच में एक ही आइएमइआइ पर 13,557 मोबाइल चल रहे हैं। रविवार को नौचंदी थाने में पुलिस व साइबर सेल की टीम ने सर्विस सेंटर के स्वामी राहुल और कारीगर कपिल निवासी चिरोडी के बयान दर्ज किए। एसएसपी के मुताबिक दोनों बयानों में सर्विस सेंटर से आइएमइआइ बदलने से इन्कार कर दिया है। जांच टीम मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है। राहुल ने बताया कि मदर बोर्ड खोलने के बाद ही आइएमइआइ बदली जाती है। संतोषजनक जवाब ना मिलने पर पुलिस अन्य इलेक्ट्रोनिक्स एक्सपर्ट की राय लेने पर विचार कर रही है।

यह था मामला

एडीजी ऑफिस में तैनात दारोगा आशाराम ने नौ मार्च 2017 में वीवो कंपनी का मोबाइल खरीदा था। 24 सितंबर 2019 को उन्होंने ब्रrापुरी के शारदा रोड स्थित वीवो कंपनी के सर्विस सेंटर पर मोबाइल ठीक करने को दिया था। स्क्रीन, डिस्प्ले, एफएम बोर्ड बदलने की बात कहकर दारोगा से 2650 रुपये लिए थे। आइएमइआइ बदलने का मुकदमा दारोगा ने मेडिकल थाने में दर्ज कराया था।

क्यों है आइएमइआइ जरूरी

जब भी कोई मोबाइल गुम हो जाता है तो उसकी ट्रेकिंग के लिए आइएमइआइ नंबर की जरूरत होती है। ताकि गुम हुए मोबाइल नंबर को तलाशा जा सके।

2009 में डॉट ने की थी सख्ती

डॉट ने 2009 में टेलिकॉम कंपनियों को फेक आइएमइआइ नंबर के मोबाइल फोन पर सर्विस देने से रोक दिया था। लेकिन, टेलिकॉम आपरेटर्स को डुप्लीकेट आइएमइआइ नंबर वाले फोन को आइडेंटिफाइड करने में मुश्किलें आ रही हैं। मोबाइल फोन ट्रेकिंग के मामले में डीओटी की टेलिकॉम इंफोर्समेंट र्सिोसेस एंड मानिटरिंग (टीईआरएम) सेल ने तब भी पाया था कि करीब 18 हजार मोबाइल एक ही आइएमइआइ नंबर पर चल रहे थे।

सर्विस सेंटर और कारीगर के बयानों पर एक्सपर्ट की राय ली जा रही है। साथ ही पुलिस मोबाइल कंपनी की तरफ से मिलने वाले जवाब का इंतजार कर रही है।

- अजय साहनी, एसएसपी।


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