विजय दिवस स्वर्णिम जयंती समारोह : क्रांति धरा मेरठ के शहीदों को नमन कर आगे बढ़ी विजय ज्योति
विजय दिवस पर दिल्ली से चारों दिशाओं में निकली विजय ज्योति में उत्तर भारत की ओर निकली विजय ज्योति गुरुवार को मेरठ छावनी में क्रांति धरा के शहीदों और वीर सपूतों को नमन करते हुए रुड़की की ओर आगे बढ़ गई।
मेरठ, जेएनएन। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष में सेना की ओर से स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस कड़ी में विजय दिवस पर दिल्ली से चारों दिशाओं में निकली विजय ज्योति में उत्तर भारत की ओर निकली विजय ज्योति गुरुवार को मेरठ छावनी में क्रांति धरा के शहीदों और वीर सपूतों को नमन करते हुए रुड़की की ओर आगे बढ़ गई। मवाना रोड स्थित भगत लाइंस में आयोजित विजय दिवस स्वर्णिम जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के वीर नारियों को सम्मानित किया। विजय ज्योति को छावनी में वीर चक्र से सम्मानित अफसर लेकर आए और सभी ने सलामी के साथ स्थापित किया।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा यह भारत की गरिमा की जीत थी। ऐसा युद्ध जिसमें इतिहास रचा गया और भूगोल बदल दिया गया। उन्हेंने कहा कि युद्ध पूरा देश लड़ता है लेकिन उसमें सर्वोच्च भूमिका और बलिदान सेना का होता है। ऐसे वीरों का नमन हमें करते रहना चाहिए और उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाना चाहिए।
सांस्कृतिक आयोजनों से देश भक्ति मय हुआ माहौल
इस अवसर पर पंजाब रेजीमेंट के जवानों ने देशभक्ति गीतों पर भांगड़ा प्रस्तुत कर पूरे माहौल को देश भक्ति मय बनाते हुए उपस्थित हर सैनिक, जवान व युवाओं में जोश भर दिया। विजय ज्योति का स्वागत जवानों के साथ ही आर्मी पब्लिक स्कूल के छात्र छात्राओं व 71 एनसीसी बटालियन के कैडेट्स ने किया। इसके बाद महाराष्ट्र युद्ध कला पर आधारित लेजियम डांस की प्रस्तुति 336 फैल्स रेजिमेंट के नायब सूबेदार अमित कुमार और उनकी टीम ने किया। उत्तर पूर्व का खुकरी नृत्य 5/11 गोरखा रेजीमेंट के जवानों ने किया। इसके बाद 17वीं पंजाब बटालियन और 5/11 गोरखा रेजीमेंट के पाइप बैंड की प्रस्तुति दी। दोनों बैंड को पूर्वी कमान में सर्वश्रेष्ठ बैंड का भी पुरस्कार पा चुका है।
जीओसी ने वीरों को किया सम्मानित
छावनी स्थित चार्जिंग एंड डिविजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल संजय कुमार विद्यार्थी ने वर्ष 1971 के युद्ध में अद्वितीय प्रदर्शन के लिए महावीर चक्र और वीर चक्र से सम्मानित अफसरों को सम्मानित किया। इस अवसर पर स्वर्गीय ब्रिगेडियर राजकुमार की पुत्री पूनम सिंह ने सम्मान स्वीकार किया। इनके अलावा मेरठ के पांच वीर चक्र सम्मानित अफसरों को जीओसी ने सम्मानित कर उनके योगदान के लिए आभार जताया। सभी वीर चक्र सम्मानित अफसरों ने इस मौके पर अपने युद्ध के अनुभवों को साझा किया।
सियाचिन तक जाएगी यह ज्योति
विजय ज्योति को सलामी देते हुए जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल संजय कुमार विद्यार्थी ने कहा कि दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल से निकले चार विजय ज्योति देश को एक सूत्र में बांधते हुए देश के वीरों और वीर शहीदों की शहादत को नमन करेंगे। उत्तर भारत की ओर निकली विजय ज्योति गाजियाबाद, मेरठ छावनी होकर रुड़की, अंबाला होते हुए देश के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल सियाचिन तक जाएगी। युद्ध में पाकिस्तान सेना ने पूर्वी क्षेत्र को खोने के साथ ही 93,000 सैनिकों के समर्पण किए थे जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा समर्पण था। दुनिया के युद्ध इतिहास में सबसे कम समय के लिए हुए युद्ध में यह सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर दर्ज है जो हमारे लिए एक गौरवशाली युद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि हम देश के उन वीर जवानों को सम्मानित करते हुए सलामी देते हैं। उनका जज्बा हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा। यह समारोह उन्हें समर्पित जिन्होंने अपने कर्तव्य को अपने से पहले रखा। कार्यक्रम के अंत में सांसद राजेंद्र अग्रवाल, जीओसी मेजर जनरल संजय कुमार विद्यार्थी सहित अन्य अफसरों ने विजय ज्योति को अगले पड़ाव के लिए सैनिक टीम को सौंप दिया।