वर्दीवाला : क्यों जनाब, दाग अच्छे हैं Meerut News
मेरठ में अपराध से लेकर यातायात का आलम यह है कि पुलिस विभाग इसे रोकने में विफल हो रही है। इसी पर आधारित सुशील कुमार की रिपोर्ट
मेरठ [सुशील कुमार] हम आपको गणतंत्र दिवस की मेरठ में आयोजित परेड में लेकर पहुंचते हैं। यहां उन जांबाज पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया जा रहा था जिन्होंने अपने अच्छे काम से महकमे को गौरवान्वित किया। प्रशंसा चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर प्रभारी मंत्री श्रीकांत शर्मा भी अच्छा महसूस कर रहे थे। हालांकि उनसे ज्यादा तो वो अच्छा महसूस कर रहे थे, जिन्हें चंद दिनों पहले दागी मानकर पद से हटाया तो गया था मगर आज उनके सीने पर मंत्री सम्मान का बैज सजा रहे थे। एक इंस्पेक्टर को प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी को हिलाकर रख देने वाले तेल के खेल में हटाया गया था। दूसरे को तो थाने में पीड़ित के आत्महत्या करने पर सस्पेंड कर दिया गया था। कई तो ऐसे जिन्होंने थाने में रहते हुए पुलिस की फजीहत कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हाल में सम्मान पाने के बाद अब ये थाना प्रभारी बनने की लाइन में लग गए हैं।
मेरठ में जाम पर इनाम
पुलिस महकमे में इन दिनों पुरस्कारों की बारिश हो रही है। यूं तो कांस्टेबल से लेकर शीर्ष अफसरों तक इनाम मिला है, पर यातायात के मुखिया संजीव वाजपेयी को मिले इनाम की गूंज जनपद भर में है। शहर का ऐसा कोई कोना नहीं बचा है जहां पर लोग उनके इनाम पर चर्चा नहीं करते। हो भी क्यों न, पूरे शहर में जाम ने हाहाकार मचा रखा है। हालत यह हो गई कि शहर को पार करने के लिए एक घंटे से ज्यादा समय लगता है। कुछ प्वाइंट तो ऐसे हैं, जहां से गुजरना एक बड़ी परेशानी से कम नहीं है। जाम से निजात दिलाने के लिए शायद अफसरों ने कोई प्लान बनाया हो, जिसकी जानकारी शहर की जनता को नहीं हो। हालांकि लखनऊ के बैठे अफसरों को भी शहर के हालातों की जानकारी नहीं थी या फिर यातायात मुखिया को सम्मानित कर जाम से सुधार की उम्मीद लगाई जा रही है।
ये है कमांडर की वार्ता
इन दिनों पीड़ित के शिकायत पत्र पर ‘वार्ता’ शब्द का प्रयोग हो रहा है। यह वार्ता शब्द क्या है, शिकायतकर्ता कमांडर के लिखे इस शब्द से कुछ समझ नहीं पाता है। यह कमांडर का वह कोड वर्ड है, जिसे जनपद के थाना प्रभारी ही समझ पाते हैं। हमने भी वार्ता के बारे में जानने की कोशिश की। पता चला कि वार्ता उस शिकायती पत्र पर लिखा जाता है, जिस पर किसी सत्ता के बड़े नेता या फिर बड़े अफसर की सिफारिश हो। वार्ता लिखे शिकायत पत्र को देखते ही थाना प्रभारी समझ जाते हैं कि कमांडर का आदेश इस मामले में क्या है? दरअसल, अनर्गल दबाव वाले मामलों में वार्ता का सबसे ज्यादा प्रयोग कमांडर अजय साहनी कर रहे हैं। वार्ता का मतलब है थाना प्रभारी या सीओ को बताया जाता है कि उनके अग्रिम आदेश के बिना कुछ नहीं करोगे। सामने बैठकर चर्चा करने पर ही कार्रवाई की जाएगी।
कैंट अच्छा या बुरा सर्किल
पुलिस महकमे में अधीनस्थों के हुनर को परखने का पैमाना अलग ही है। हो भी क्यों न, चंद मिनटों में घटना हो जाए तो पुलिसवाले बुरे हो जाते हैं। अगर पर्दाफाश हो जाए तो अच्छे की श्रेणी में आ जाते हैं। हम बात सर्किल अफसर की कर रहे हैं। नौचंदी के सेंट्रल मार्केट स्थित ज्वेलरी शोरूम में दिनदहाड़े लूट की घटना के बाद सीओ को हटाने के लिए कमांडर ने भरी बैठक में सबसे घटिया सर्किल की खोज शुरू कराई। रिसर्च हुआ तो सामने आया कि सिविल लाइन ही सबसे खराब सर्किल है। उसके बाद सर्किल अफसर को हटाने के फैसले पर विराम लग गया। वारदात का पर्दाफाश हुआ तो सर्किल ऑफिसर सबसे शानदार क्वालिटी वाले हो गए। उन्हें जनपद के सबसे बड़े सर्किल कैंट का चार्ज दे दिया गया। इस सर्किल में ज्यादातर आइपीएस अफसर को लगाते है ताकि यहां की वाहन मंडी की रीढ़ तोड़ी जा सके।