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    उत्कर्ष का मोबाइल एप दे रहा कचरा प्रबंध की सीख

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 19 Dec 2019 06:00 AM (IST)

    13 वर्षीय उत्कर्ष चंद्र बछल अपने मोबाइल एप के जरिए कचरे से कमाई का तरीका बता रहे हैं। विज्ञान प्रदर्शनी में आए उत्कर्ष ने क्लीन इंडो नामक मोबाइल एप्ली ...और पढ़ें

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    उत्कर्ष का मोबाइल एप दे रहा कचरा प्रबंध की सीख

    जागरण संवाददाता, मेरठ : 13 वर्षीय उत्कर्ष चंद्र बच्छल अपने मोबाइल एप के जरिए कचरे से कमाई का तरीका बता रहे हैं। विज्ञान प्रदर्शनी में आए उत्कर्ष ने 'क्लीन इंडो' नामक मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया है। यह एप्लीकेशन आपको कचरा प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के साथ ही कचरे का सही तरीके से प्रबंधन कर उससे कमाई का तरीका भी बताती है। माउंट लिट्रा जी स्कूल के छात्र उत्कर्ष के अनुसार इस मोबाइल एप में फेसबुक आइडी या मोबाइल नंबर के जरिए रजिस्टर किया जा सकता है।

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    छह महीने तक किया रिसर्च

    कक्षा आठवीं तक पढ़ रहे उत्कर्ष ने इस एप को बनाने के पहले उन्होंने छह महीने वेस्ट मैनेजमेंट यानी कचरा प्रबंधन पर रिसर्च किया। लोगों के घरों से निकलने वाले 25 तरह के कचरे की सूची बनाई। इसके लाभ-हानि और उनसे फैलने वाली बीमारियों और उनके निवारण की जानकारी लेकर गूगल को भेजा। वहां से मोबाइल एप्लीकेशन को मान्यता मिली और सितंबर महीने में गूगल प्ले स्टोर पर अपलोड किया गया। सभी 25 तरह के कचरा प्रबंधन का तरीका बताने वाली वीडियो के लिंक मिले। उत्कर्ष का मोबाइल एप यू-ट्यूब, गूगल, विकी पीडिया से जुड़े हैं। यूजर्स द्वारा किसी भी प्रकार के कचरे से संबंधित क्वेरी डालने पर एप उसके प्रबंधन से संबंधित वीडियो और अन्य जानकारियों को मुहैया कराता है। उत्कर्ष का यह एप डिजिटल इंडिया, माउंट लिट्रा, सीवाइएल टेक लैब द्वारा इस्तेमाल भी किया जा रहा है।

    यह रही हैं उपलब्धियां

    पिछले दो साल से मोबाइल एप बनाने के तौर तरीके सीख रहे उत्कर्ष ने 2018 के नेशनल चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस में हिस्सा लिया था। जिला व प्रदेश में सफल होने के बाद गोरखपुर से 20 साल नेशनल में पहुंचने वाले पहले बाल वैज्ञानिक बने। संयुक्त अरब अमिरात के अबूधाबी में 22 से 28 सितंबर तक आयोजित साइंस एक्सपो इंटरनेशनल 2019 में हिस्सा लिया। इसका टॉपिक 'लुब्रीकेंट वेस्ट मैनेजमेंट थ्रू डिजिटल प्लेटफार्म' था।

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    ऐसे होगा स्मार्ट एग्रीकल्चर

    प्रयागराज के एकेएन इंटर कॉलेज के छात्र उमंग कुमार ने स्मार्ट एग्रीकल्चर का मॉडल बनाया है। इसमें बायोप्लास्टिक का इस्तेमाल कर खेती की जमीन तैयार की गई है। साथ ही इनमें सेंसर लगाए गए हैं जिससे बाढ़ की स्थिति में फसल को जमीन से ऊपर उठाया जा सकता है। बायो प्लास्टिक से खेतों को कोई नुकसान भी नहीं होगा। नहीं होगी सड़क दुर्घटना

    बरेली की बीटीसी प्रथम वर्ष की प्रशिक्षु जॉली अग्रवाल ने 'एक्सीडेंट प्रिवेंशन रोड सेफ्टी मॉडल एंड स्पीड ब्रेकर पॉवर जनरेटर' बनाया है। इसमें सभी यू-टर्न विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सेंसर और सड़क से ही रोड लाइट उत्पन्न करने का तरीका भी बताया है। ताकि गांव-गांव चले प्रोजेक्टर

    मुरादनगर में जूनियर स्कूल के शिक्षक सचिन कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में आयुष कुमार स्मार्ट फोन प्रोजेक्टर बनाया है। कागज के गत्ते, एक शीशा और एक लेंस का इस्तेमाल कर प्रोजेक्टर बनाया हे जिससे मोबाइल की स्क्रीन को 32 इंच के प्रोजेक्टर पर देखा जा सकता है। सचिन कुमार राजपुर स्थित अपने विद्यालय में बच्चों को इसी प्रोजेक्ट से स्मार्ट क्लास की शिक्षा दे रहे हैं। ऐसे होगा ई-वेस्ट मैनेजमेंट

    कानपुर की चित्रांशि निगम ने दुनिया भर में बढ़ते ई-वेस्ट के मैनेजमेंट पर मॉडल बनाया है। घर-घर जाकर लोगों से ई-कचरा लेकर उन्होंने अपने प्रोजेक्ट में ई-वेस्ट से होने वाले नुकसान और उसके निवारण के तरीके बताए हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना ई-वेस्ट को नष्ट भी किया जा सके। स्कूल को तोहफे में देंगे मॉडल

    आजमगढ़ मंडल से आए जूनियर विद्यालय में विज्ञान शिक्षक के तौर पर कार्यरत राजीव कुमार मौर्य सर्व शिक्षा अभियान में सभी सरकारी योजनाओं से जोड़ते हुए चंद्रयान-2 का मॉडल बनाया है। बलिया निवासी राजीव के अनुसार वह इस मॉडल को स्कूल को भेंट करेंगे। इस बाबत उन्हें स्कूल के प्रिंसिपल की अनुमति भी मिल चुकी है। ऐसे बचाएं वर्षा का चल

    लखनऊ के जनता इंटर कॉलेज ऐलनबाग के छात्र आशीश कुमार वर्मा ने वर्षा जल संचयन का मॉडल बनाया है। इसमें उन्होंने वर्षा के जल को बचाकर पीने योग्य बनाने का इस्तेमाल करने की विधि दिखाई है।