बोर्ड बैठक में हंगामा, नगर आयुक्त का छुट्टी पर जाना
बीते मंगलवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में महिला पार्षदों द्वारा चूड़ियां फेंकने से नगर आयुक्त आहत हैं। वह चार सितंबर तक अवकाश पर चले गए हैं। उन्होंने प्रमुख सचिव नगर विकास और महापौर को पत्र लिखा है कि वह सदन में हुए अपमान से बेहद मानसिक तनाव में हैं। मेरठ
जेएनएन, मेरठ। बीते मंगलवार को नगर निगम की बोर्ड बैठक में महिला पार्षदों द्वारा चूड़ियां फेंकने से नगर आयुक्त आहत हैं। वह चार सितंबर तक अवकाश पर चले गए हैं। उन्होंने प्रमुख सचिव नगर विकास और महापौर को पत्र लिखा है कि वह सदन में हुए अपमान से बेहद मानसिक तनाव में हैं। अब नगर निगम में जनता की समस्या सुनने के लिए कोई आला अधिकारी मौजूद नहीं है।
महापौर सुनीता वर्मा, कमिश्नर अनिता सी मेश्राम और प्रमुख सचिव नगर आयुक्त को लिखे पत्र में नगर आयुक्त डा. अरविंद चौरसिया ने लिखा है कि बोर्ड बैठक में महिला पार्षदों ने उन पर चूड़ियां फेंकी। इससे वह मानसिक रूप से तनाव में हैं। इसके बाद वह चार सितंबर तक अवकाश पर चले गए हैं। अपर नगर आयुक्त समेत सभी प्रशासनिक पद रिक्त पड़े हैं। नगर आयुक्त ने अपना चार्ज मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी संतोष कुमार शर्मा को सौंपा है। चार सितंबर तक स्थिति यह रहेगी कि मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी अब स्वीकृति देंगे और भुगतान भी खुद करेंगे। उधर, पार्षदों और कर्मचारियों के बीच विवाद थम नहीं रहा है। शहर और जनता दोनों बेहाल है। इसकी पीर न शासन को सुनाई दे रही है और न ही नगर निगम को।
प्रशासनिक अधिकारियों के अभाव में दम तोड़ती योजनाएं
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट स्कीम 2016: इस स्कीम के तहत बल्क कूड़ा जनरेटर तो चिह्नित कर लिए गए हैं लेकिन आगे की प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। दिसंबर तक यह योजना 90 वार्डो में लागू करनी है।
स्वच्छ भारत मिशन : योजना के तहत अभी तक 250 से अधिक शौचालयों का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। नवनिर्मित यूरीनल चालू हालत में नहीं है। पूरा प्रोजेक्ट अधर में है।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2020: सरकार की प्राथमिकता का यह काम है, लेकिन नगर निगम में स्वच्छता सर्वेक्षण के कार्यो को देखने के लिए कोई नोडल अधिकारी नहीं है। इससे एक भी काम धरातल पर नहीं है।
कूड़ा निस्तारण प्लांट : प्लांट लगाने का मामला यूं तो हाईकोर्ट में लंबित है, लेकिन गांवड़ी में एनजीटी के आदेशों का पालन कराना है। निर्धारित तिथि गुजर गई है, लेकिन कूड़े से पॉलीथिन अलग नहीं हो सकी है।
डेयरी हटाओ अभियान : हाई कोर्ट के निर्देश पर शहर से सारी डेयरियों को बाहर करना है। अभी तक 177 डेयरियां ही बाहर करने का दावा है, जबकि 2200 डेयरियां हैं। यह अभियान अपर नगर आयुक्त अमित कुमार सिंह के मार्गदर्शन में चल रहा था, लेकिन उनका भी स्थानांतरण हो गया है।
पॉलीथिन अभियान: शहर को पॉलीथिन मुक्त बनाना है। अपर नगर आयुक्त अमित कुमार सिंह की निगरानी में यह काम किया जा रहा था। हालांकि प्रवर्तन दल मौजूद है,लेकिन वह निर्देशों के पालन तक सीमित है।
हर घर वाटर कनेक्शन: शहर में गंगाजल की सप्लाई के लिए भोला की झाल से 100 एमएलडी पानी की आपूर्ति शुरू की जानी है। महाप्रबंधक जलकल का प्रभार अपर नगर आयुक्त ही देख रहे थे। अब कोई देखने वाला नहीं है।
जितनी बैठकें..सभी हंगामेदार
-27.8.19 : नगर निगम की बोर्ड बैठक में पहली बार जनता सदन में घुसी। गेट बंद करने पर पथराव किया। पार्षद और कर्मचारी में गाली-गलौज और मारपीट हुई। महिला पार्षदों ने नगर आयुक्त के ऊपर चूड़ियां फेंकी।
-29.1.19: वार्ड में विकास कार्य न होने से क्षुब्ध पार्षद पवन चौधरी ने नगर निगम बोर्ड बैठक के दौरान खुद पर केरोसिन उड़ेलकर आत्मदाह का प्रयास किया था। इसके बाद महापौर और तत्कालीन नगर आयुक्त ने बैठक स्थगित कर दी थी।
-11.9.18: नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में एक प्रस्ताव से तिलमिलाए कर्मचारियों ने बिना अनुमति बैठक में घुसकर खूब हंगामा काटा। सभागार के दरवाजे बंद कर महापौर और पार्षदों को बंधक बना लिया था। कर्मचारियों और पार्षदों की नोकझोंक हुई थी।
-17.3.18 : नगर निगम के वित्तीय वर्ष 2017-18 के पुनरीक्षित बजट के लिए आयोजित बोर्ड बैठक में वंदेमातरम पर टिप्पणी करने पर एक निर्दलीय पार्षद को दोनों दलों के पार्षदों ने पीटा था।
-13.3.18: विधानसभा और लोकसभा के सत्र के दौरान बोर्ड बैठक रखी गई थी। भाजपा पार्षद ने विरोध किया था। बैठक के औचित्य पर सवाल उठा। वैध और अवैध की बहस में पार्षद भिड़ गये थे। बसपा पार्षदों ने जमकर हंगामा किया था।
-8.1.18 : नगर निगम की बोर्ड बैठक में सोमवार को वंदेमातरम को लेकर जमकर बवाल हुआ था। वंदेमातरम के दौरान मुस्लिम पार्षद उठकर बाहर चले गए, लेकिन एकाएक लाउडस्पीकर पर वंदेमातरम की जगह उससे मिलता-जुलता फिल्मी गाना बजने लगा। इससे गुस्साए भाजपा पार्षदों ने हंगामा खड़ा कर दिया था।
--- सदन भंग करने की चर्चा जोरों पर
शुक्रवार को नगर निगम में सदन भंग करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाने की चर्चा जोरों पर रही। हालांकि मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने इससे इंकार किया है। जानकारों का कहना है कि एक तिहाई सदस्य सदन की कार्यवाही को बाधित करें, अमर्यादित व्यवहार करें तो ऐसी स्थिति में सदन को भंग करने की अपील की जा सकती है। -नगर आयुक्त का पत्र मिला है। वह अवकाश पर चले गए हैं। अब नगर निगम में जनता की बात सुनने के लिए कोई अधिकारी नहीं है। लोग कहां जाए। किससे काम के लिए कहें। शासन को पत्र लिखूंगी कि जल्द से जल्द रिक्त पदों पर नियुक्तियां करे। योजनाओं के काम ठप हो गए हैं। रही बात बोर्ड बैठक की तो दो सितंबर को बोर्ड बैठक होगी। मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी बैठक में रहेंगे। पार्षद लिपिक के निलंबन का मुद्दा उठाएंगे। पार्षदों ने पत्र भी दिया है।
-सुनीता वर्मा, महापौर।