UP TET 2021 Paper Leak: यूपी टीईटी 2021 के पेपर लीक का मास्टरमाइंड अरविंद राणा उर्फ गुरुजी मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार
UP TET Paper Leak 2021 एटीएफ पूर्व में हुई अन्य परीक्षाओं के दौरान पकड़े गए कई साल्वर गिरोह के सक्रिय सदस्यों की तलाश की। एसटीएफ ने आरोपितों के मोबाइल नंबरों के जरिए उन लोगों के बारे में भी छानबीन कर की जिनके वे अधिक संपर्क में थे।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। प्रदेश में बीते वर्ष 28 नवंबर को यूपी टीईटी पेपर लीक होने का मास्टर माइंड अब उत्तर प्रदेश एसटीएफ के गिरफ्त में है। इस केस के मास्टरमाइंड अरविंद राणा उर्फ गुरुजी को एसटीएफ ने मुजफ्फरनगर से गिरफ्तार किया है। यूपी टीईटी पेपर लीक मामले में सरकार की काफी बदनामी हुई थी और इस मामले में परीक्षा नियामक प्राधिकारी को गिरफ्तार किया गया। इसके साथ तीन दर्जन लोगों को गिरफ्तार करने के साथ कई बड़ों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी और मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी।
योगी आदित्यनाथ सरकार के पहले कार्यकाल के यूपी टीईटी 2021 पेपर लीक के मुख्य आरोपित मास्टर माइंड अरविंद राणा उर्फ गुरुजी को उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम ने गिरफ्तार किया है। यूपी टीईटी 2021 के पेपर लीक मामले का सरगना तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराने वाले गैंग के सरगना अरविंद राणा उर्फ गुरुजी को उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मुजफफरनगर के बुढाना से गिरफ्तार किया। यूपी टीईटी 2021 पेपर लीक कांड में वांछित अरविंद राणा के साथ उसके साथी राहुल को भी गिरफ्तार किया गया है।
एसटीएफ के एएसपी बृजेश सिंह ने बताया कि मूल रूप से शामली के झिंझाना का निवासी अरविंद राणा प्रदेश का बड़ा नकल माफिया है। उसके तार उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड से जुड़े हैं। उन्होंने बताया कि आरोपित राणा साल्वर गिरोह चलाता है। आरोपित का गिरोह एसएससी सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सेंधमारी करते हुए पेपर लीक कराता था। उत्तर प्रदेश टीईटी 2021 सहित कई प्रतियोगी परीक्षाओं में वह अपने साल्वर बैठाकर पैसे लेकर हजारों अपात्र लोगों फर्जी तरीके से नौकरी दिलवा चुका है।
एसपी ने बताया कि आरोपित के खिलाफ चार मुकदमे दर्ज हैं। वह कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र के वांछित चल रहा था। इन दिनों आरोपित अरविंद राणा पल्लवपुरम के एक आलीशान मकान में रह रहा था। नवंबर में एसटीएफ ने यूपी टीईटी पेपर लीक मामले में शामली से तीन आरोपियों रवि, धर्मेंद्र, मनीष, बबलू को गिरफ्तार किया है। तब से अरविंद राणा फरार चल रहा था। उसी समय से राणा एसटीएफ के रडार पर था।
लीक कर चुका छह प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर : यूपी टीईटी लीक प्रकरण में मास्टरमाइंड अरविंद राणा ने पूछताछ के दौरान बताया कि पिछले 15 साल से वह साल्वर गैंग चला रहा है। आरोपित शामली समेत अन्य जिलों में कोचिंग सेंटर खोलकर पर्चा लीक की योजना बनाया करता था। अभी तक छह प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक कर चुका है। अरविंद राणा उर्फ गुरुजी साथी राहुल के साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अभ्यर्थियों से पैसा वसूलकर पेपर आउट करा चुका है। साथ ही साल्वर बिठाकर भी अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण करा चुका है। 2013 में भी अरविंद ने एसएससी परीक्षा में 50 अभ्यर्थियों को पास कराया था। तब उसके खिलाफ लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया गया था। उसी वर्ष दिल्ली में भी एसएससी का पेपर लीक कराया था। उसी साल रेलवे भर्ती में भी साल्वर बिठाया। थाना बुढ़ाना में भी अरविंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने अरविंद को उस समय जेल भेज दिया था। वर्ष 2018 में यूपी पुलिस भर्ती में साल्वर बिठाए थे। शामली में वर्ष 2019 में अरविंद ने एक कोचिंग सेंटर खोला था। इसी कोचिंग सेंटर से पेपर आउट कर अभ्यर्थियों को भर्ती कराने का काम कर रहा था। उस समय हर छात्र से भर्ती कराने के नाम पर चार लाख तक की रकम ली जाती थी। इसके अलावा 2019 में फायर सर्विस भर्ती में भी युवकों को उत्तीर्ण कराकर मोटी रकम वसूली थी।
यूपी टीईटी प्रश्नपत्र लीक केस की जांच कर रही एसटीएफ के हाथ पेपर लीक होने के अगले ही दिन यानी 29 नवंबर 2021 को ही अहम सुराग लगे थे। प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देशों के बाद एसटीएफ की जांच पेपर लीक करने वालों पर केंद्रित हो थी। एसटीएफ ने पेपर लीक मामले की जांच के साथ ही इस मामले में आरोपितों के विरुद्ध दर्ज मुकमदों की विवेचना भी शुरू कर दी थी। एसटीएफ की अलग-अलग टीमों ने लखनऊ, मथुरा, कौशाम्बी, प्रयागराज, अयोध्या व अन्य जिलों में 15 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। बिहार के नालंदा निवासी साल्वर गिरोह के सरगना राजन को भी खोजा गया। प्रयागराज स्थित परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से कई जानकारियां जुटाई गई। एटीएफ पूर्व में हुई अन्य परीक्षाओं के दौरान पकड़े गए कई साल्वर गिरोह के सक्रिय सदस्यों की तलाश की। एसटीएफ ने आरोपितों के मोबाइल नंबरों के जरिए उन लोगों के बारे में भी छानबीन कर की, जिनके वे अधिक संपर्क में थे।