यहां धरती की कोख भी लबालब कर रहा उद्योग जगत, 70 फीसद में रेन वाटर हार्वेस्टिंग पूरा, शेष पर चल रहा काम
उत्तर प्रदेश का शामली जनपद। रिम-धुरा समेत कृषि यंत्र निर्माण के लिए प्रसिद्ध इस जिले की औद्योगिक इकाइयां धरती की कोख भी लबालब कर रही हैं। यहां औद्योगिकी क्षेत्र पर 70 फीसद रेन हार्वेसटिंग का काम किया जा चुका है जबकि 30 फीसद काम बाकी है।
[योगेश कुमार राज], शामली। उत्तर प्रदेश का शामली जनपद। रिम-धुरा समेत कृषि यंत्र निर्माण के लिए प्रसिद्ध इस जिले की औद्योगिक इकाइयां धरती की कोख भी लबालब कर रही हैं। शामली में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) और शामली इंडस्ट्रियल इस्टेट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (एसआइइएमए) से करीब 300 औद्योगिक इकाइयां संबद्ध हैं। इन दोनों ही संगठनों ने जल संरक्षण के लिए बड़ा कदम उठाते हुए बीते तीन सालों से सभी औद्योगिक इकाइयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने का अभियान छेड़ रखा है। अब इसका सुपरिणाम सामने है। यहां की 70 फीसद औद्योगिक इकाइयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित कराया जा चुका है। इससे हर साल बरसात का करोड़ों लीटर पानी धरती की कोख में संग्रहित होता है। दोनों ही संगठनों के पदाधिकारियों का दावा है कि जितनी भी फैक्ट्रियों में वर्षा जल संरक्षण का यह सिस्टम लगा है, वह सौ फीसद काम कर रहा है। तसल्ली के लिए कोई भी व्यक्ति कभी भी आकर इन्हें देख सकता है। इतना ही नहीं, शेष 30 फीसद औद्योगिक इकाइयों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम इस साल के अंत तक बनवा दिया जाएगा। ये 30 फीसद नई औद्योगिक इकाइयां हैं, जहां किसी प्रकार उत्पादन तो शुरू कर दिया गया है, लेकिन आधारभूत ढांचे को अभी खड़ा किया जा रहा है।
डीएम एनपी सिंह ने की थी पहल: 2014 में तत्कालीन डीएम एनपी सिंह ने औद्योगिक क्षेत्र में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित कराने की पहल की थी। एसआइइएमए के अध्यक्ष अंकित गोयल बताते हैं कि जिलाधिकारी ने अपील की तो उद्यमियों ने भी अपना सामाजिक दायित्व निभाते हुए फैक्ट्रियों में वर्षा जल संरक्षण के उपाय करने का संकल्प लिया। आइआइए के अध्यक्ष अशोक मित्तल बताते हैं कि र्आिथक गतिविधियों के साथ ही सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारियों का उद्योगपतियों को अहसास है, इसीलिए आने वाली पीढ़ी के लिए कोई समस्या नहीं छोड़ना चाहते।
कोरोना ने डाला नकारात्त्मक प्रभाव: एसआइइएमए के संरक्षक अशोक बंसल बताते हैं कि कोरोना महामारी ने भी उद्योगों की गति को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, फिर भी हम लक्ष्य हासिल करेंगे।
जल है तो कल है
जल संरक्षण दैनिक जागरण के सात सरोकारों में शुमार है। इसी क्रम में हम जल प्रहरियों के प्रेरक कार्यों को पाठकों तक पहुंचा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि इन प्रहरियों से प्रेरणा ले ज्यादा से ज्यादा लोग जल संरक्षण के काम में सहभागी बनें।