UP Election 2022: मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर बोले अमित शाह-पीड़ितों को ही बना दिया था आरोपित
UP Vidhan Sabha Election 2022 गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को मुजफ्फरनगर में चुनाव प्रचार किया। इस दौरान उन्होंने दंगों का भी जिक्र किया। उन्होंने सपा के साथ-साथ कांग्रेस और बसपा पर भी निशाना साधा। यहां शिव आराधना भी की।
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। UP Election 2022 केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को मुजफ्फरनगर में दंगों का भी जिक्र किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जब मैं उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना तभी मुजफ्फरनगर में दंगे हो गए। जो पीड़ित थे उन्हें आरोपित बना दिया और जो आरोपित थे उन्हें पीड़ित बना दिया। 2014 हो या 17 या फिर 19..यहीं मुजफ्फरनगर की धरती से लहर उठती है, जो था से उठकर काशी तक जाती है। इस बार भी यहीं से भाजपा की विजय की नीव डाली जाएगी। पहले यहां पर हर व्यक्ति को सिक्योरिटी की चिंता रहती थी। माफिया ने प्रदेश में अपना कब्जा जमाया था। आज जब मैं आया हूं तो कोई सुरक्षा की बात नहीं कर रहा है। गृह मंत्री अमित शाह भगत सिंह रोड पर डोर टू डोर प्रचार कर वापस निकले। इसके बाद शहर के उद्यमी सतीश गोयल के आवास पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह। यहां भोजन कर देवबंद के लिए होंगे रवाना।
भगवान शिव की आराधना
इस बीच शिव चौक पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने की भगवान शिव की आराधना। शिव चौक से भगत सिंह रोड जाते हुए दाल मंडी के चौराहे पर पहुँचते ही अमित शाह ने पैदल चलने से किया मना। कुछ कदम चलकर अपनी गाड़ी में हुए सवार। गाड़ी के ऊपर खड़े होकर जनता की तरफ हाथ हिलाकर किया अभिवादन । हनुमान चौक की तरफ रवाना हो गए।
दादी चंद्रो तोमर, बाबा टिकैत को भी लिया नाम
अपने संबोधन में शाह ने कहा कि दस साल तक सोनिया -मनमोहन की सरकार थी। सपा बसपा का समर्थन था। दस साल तक देश की सरहद असुरक्षित थी। हमारे जवानों के सिर काट लिए जाते थे। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आतंकियों को लगा कि हम अब भी वही कर सकते हैं। पाकिस्तान मुगालते में था। उन्होंने हमले किए तो सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से जवाब मिला। सपा बसपा और कांग्रेस देश प्रदेश को सुरक्षित रख सकते हैं क्या? नहीं रख सकते। राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर कुछ नहीं किया गया। भाजपा सरकार में उनके नाम पर अलीगढ़ में विश्वविद्यालय देने का काम हुआ। हमने दादी चंद्रो तोमर, बाबा टिकैत के नाम पर सड़कों का नामकरण किया। वह होते तो परिवारवाद से आगे नहीं बढ़ते। उन्हें तो सरदार पटेल से भी दिक्कत है। परिवारवादी पार्टियां विभूतियों का सम्मान नहीं कर सकती।